00:00दोस्तो आज हम आपको लिये चलते हैं पाकिस्तान के उस शहर में जो सिर्फ एकदारुल्हकूमत नहीं बलके एक एहसास है सुकून, खुबसूर्ती और तहजीब का हसीन इम्तिजाज जी हां हम बात कर रहे हैं इसलामबाद की ये वो शहर है जो हरे भरे पहाडों, साफ सुत
00:30जहां फिजा में ठहरा हुआ सुकून, हवा में खुश्बू और पहाडों में अल्ला की कुदरत का रंग बिखरा नजर आता है। इसलामबाद एक ऐसा शहर जो ना शोर करता है ना भागता है बलके खामोशी से दिल को अपनी तरफ खैंच लेता है। यहां के लोग कहते है
01:00या अंदाजे गुफ्तगू, तरजे जिन्दकी हो या सोचने का जाविया, सब कुछ जदीद, सजीला और मगरिबी रंग में रंगा जा चुका है। चेहर की सड़कों पर आज लैंबरगीनी, बी-म-डब्ल्यू, मर्सेडीज और रोल्स-रॉइस दौर्टी नजर आती हैं
01:30पहिल पैदा किये, तो सदर अयूब खान ने फैसला किया कि एक नया दार-ul-हकूमत बनाया जाए। ऐसा शहर जो पुरसुकून हो, मुनजम हो और कुदरत के हुस्न से भरपूर हो। यूँ 1960 में मारगला की पहाडियों के दामन में एक नए खाप की बुनियाद रखी गई
02:00सफारत खाने मौजूद हैं। इसलामाबाद की पहिचान अगर किसी एक इमारत को कहा जाएं तो वो सिर्फ फैसल मस्जिद है। ये मस्जिद सौदी बादशा शाह फैसल का तोफा है। तामीर का आगाज 12 अक्टूबर 1976, तकमील 2 जून 1986, लागत 10 लाक सौदी रियाल, ग�
02:30ये मस्जिद सिर्फ एक इबाददगा नहीं बलके एमान, फन तामीर, इसलामी तहजीब और रुहानियत का शाहकार है। दिन में ये शहर सुकून और खामोशी की अलामत है। मगर जैसे ही रात होती है, इसलामाबाद एक नए रंग में ढल जाता है। कैफे, शीशा बार्
03:00तेज मौसी की, नियौन, लाइट्स और फिल्मी मनाजिर जैसे माहूल आम बाद बन चुके हैं। लड़कियों लड़के, जदीद फैशन, खुद एतिमादी और क्लास के साथ भरपूर जिन्दगी गुजारते दिखाई देते हैं। ये नया इसलामाबाद कभी कभी हमारी
03:30दर्गा बरी इमाम सरकार, असल नाम स्यद अब्दल्लतीफ काजमी कादरी, पैदाईश 1617 ईसवी जिला चकवाल, ये दर्गा मुगल बादशा औरंगजेब के दोर में तामिर की गई। रसाल लाखों आकीदत मंद यहां हाजिर होते हैं। यहां की फिजा में अत्र, कवाल
04:00कदीम हैं। यह मकाम कदीम बुद्मत के राहिबों की अबादतगा हुआ करता था। पत्थर तराश के बनाएगे कमरे, मुराकबे के लिए जगहें और मिट्टी के दिये आज भी तारीख की गवाही देते हैं। अगर रूह को सुकून चाहिए, अगर दिल को खामोशी, त
04:30यहां वाके The Dome Restaurant, कोहेदामन, मुनाल और डिम्पल पॉइंट सयाहों के लिए जन्नत से कम नहीं।
05:00फूड कोट और आलमी मेयार की सहुलियाद। यह एरपोर्ट जदीद सहुलियाद, वसी तामीर और शफाफ डिजाइन के बायस दुनिया के बहतरीन एरपोर्ट में शुमार होता है। यहां से निकलती मोटर वेज आपको मरी, नत्यागली, नारान, कागान, गिलगित बलति
05:30जदीदियत और सुकून, मुहबबत, महमान नवाजी और खुले दिलों का शहर। दोस्तों, अगर आप दुनिया के किसी भी कोने से आएं, इसलामाबाद आपको अपने दामन में समेट लेता है, और आखिर में दिल से सिर्फ एक ही आवाज निकलती है, क्या जगा है, क्या
Be the first to comment