00:00बगदाद शहर था और अब्बासिद खिलाफत का दौर था जब दजला के किनारे पर बने इस शहर की गलियों में इल्म, अदब और तिजारत का एक ऐसा रंग था जो पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन गया था
00:15महलों में वजीर और उदबा की महफिलें होती थी और बाजारों में खुरासान, बसरा, मिस्र और सिंध तक के ताजिर अपना माल बेचते हुए मिलते थे
00:25इसी दौर में एक अधीब और दानिशमंद शख्स था अबू हसन अलजयादी उसका नाम अदब और हिकमत के दायरों में इज्ज़त से लिया जाता था
00:38इबन अल, नदीम ने अपनी मशहूर किताब अल, फिहरिस्त में उनका जिक्र किया है और मसूदी ने मुरूज अध, धहब में उन्हें उन बुज़र्गों में शामिल किया है जो इल्मी गुफ्तगू के लिए बगदाद के इल्म, खानों में जमा हुआ करते थे
00:56अबु हसन एक समझदार और नरम स्वभाव के इनसान थे, लेकिन सबसे बड़ी बात यह थी कि उन्हें इनसान के दुख और उसके अंदर छुपे सबक को समझने का हुनराता था
01:08कहते हैं, एक रात जब वो अपने दोस्त के घर से महफिल, एल्म से लौट रहे थे, दजला के किनारे पर चांद अपनी रोशनी पानी पर बिखेर रहा था
01:20उस वकत उन्होंने एक अजीब मनजर देखा, एक आदमी मेले कपड़ों में बाजार के कोने में बैठा हुआ था, जिसका चेहरा थका हुआ, मगर आँखों में एक अजीब सुकून था
01:34अबू हसन ने रुक कर पूछा, ए मुसाफिर, तुम कौन हो और कहा से आये हो, उसने सर उठाया और कहा, मैं खोरासान से आया हूँ, लंबी राहों से गुजरा हूँ, जहां हवा भी कठिन लगती है, मैं यहां ग्यान और नसीहत की तलाश में आया हूँ, मगर लगता है कि
02:04मैं वह आदमी जो बाद में खुरासान का आदमी कहलाया ने अपनी कहानी बयान करनी शुरू की, खुरासानी ने कहा, मैं अपने मुल्क में एक दौलतमंद ताजिर था, मेरे पास सोना, चांदी, कपड़े और गुलाम तक की कमी नहीं थी, लेकिन इंसान का दिल कभी भर न
02:34दुगुनी हो सकती है, उसने अपने सामान का काफिला तयार किया, घोडे और खचर भरे और सफर पर निकल गया, रास्ते में तूफान आये, लुटेरे मिले, कभी भूक, कभी प्यास, मगर वो सब सहकर जब बगदाद पहुँचा, तो उसके दिल में सिर्फ एक जबबा थ
03:04मिस्री लिबास, हिंदुस्तान के इत्र, चीन के कपड़े और हर करिस्म का माल, इसी शोर शराबे में उसकी मुलाखात एक औरत से हुई, एक ऐसी औरत जिसका चेहरा खूब सूरत और जुबान मीठे जहर जैसी थी, उसने कहा, ऐ मुसाफिर, मैं यहां के बाजारों को जान
03:34तुम्हारा माल सही हाथों तक पहुँचे, खौरसानी ने उसकी बात पर यखीन कर लिया, हर दिन वह औरत उसके माल के सौदे करती, पैसा लेती, और कहती, सब कुछ सेट हो रहा है, खौरसानी खुश था, उसे लगता था कि वह बगदाद में अपनी किस्मत लिख रहा है,
04:04दिल में शोर मच गया, उसने पूछा, यहां वह औरत रहती थी, जो मेरी मदद करती थी, पडोसियों ने कहा, वह तो कल रात ही अपना सामान लेकर गई, उस वक्त, खौरसानी के पैरों तले जमीन खिसक गई, उसने कहाजी के पास शिकायत की,
04:23कहाजी ने पूछा, क्या तुम्हारे पास कोई गवा है, खौरसानी ने कहा, सिर्फ मेरा यकीन, काजी ने ठंडी सांस लेकर कहा, यकीन सबूत नहीं होता, मुसाफिर, तुम्हारा नुकसान लिख लो, अल्लाह के नाम, और इस तरह एक दौलतमंद ताजिर सड़कों पर ब
04:53और कहा, मुसीबत के बाद सबक आता है, तुम्हारा माल गया, मगर तुम्हारा इम्तिहान भी बाका ही है, अबु हसन ने अपने दोस्त के जरिये उसके लिए काम तैय किया, ताकि वो अपनी इज़त से कमा सके, धीरे धीरे, खोरासानी ने अपनी हालत सुधारी, लेकिन इ
05:23उसने कहा, अबु हसन, मैं वापस खोरासान जा रहा हूँ, इस दफा मेरा तजुर्बा मेरे साथ है, और मुझे यकीन है कि मैं इस दफा सब कुछ पालूँगा, अबु हसन ने मुस्कुराते हुए कहा, यकीन अच्छा है, मगर घमंड खतरनाक, सीखा नहीं तो सब दोबा
05:53अबु हसन तब तक नहीं सीखता, जब तक किस्मत उसे दोबारा नजग जोड़े, कुछ महीने बाद, खबर आई कि खोरासानी का काफिला रास्ते में लूट गया, और वो खुद भी जिन्दा बचा तो सिर्फ अपनी सांस के सहारे, उसके पास नमाल रहा, नसा थी, और उ
06:23ना छोड़ दिया था, एक दिन जब वो हज के सफर पर गया, तो मक्का के हरम के करीब एक फखीर को देखा कमजोर, लेकिन चेहरे पर नूर था, उसने पहचाना, ये तो वही खरोसान का आदमी था, अबु हसन ने उससे सलाम किया, उसने आँखें उठाई और मुस्कुरात
06:53और मेरी ख्वाहिश सब छीन ली, वगर बदले में मुझे सुकून और यकीन दे दिया, अबु हसन की आँखें नम हो गई, उसने कहा, तुमने वो सबक सीखा जो किताबों में नहीं मिलता, खोरासानी ने जवाब दिया, मैंने सीखा के इंसान जब तक दुनिया की चका, च
07:23तुम्हारी कहानी लोगों के लिए सबक बनेगी, बगदाद वापस आकर, अबु हसन ने अपनी डायरी में लिखा, मैंने एक आदमी देखा, जिसने सब कुछ खोकर वास्तव में सब कुछ पा लिया, ये अलफाज बाद में उनके तज़किरे में लिखे गए, और उनके ज
07:53अपनी जाहरी रूप में एक तिजारत और धोखे की कहानी लगती है, लेकिन असल में ये इनसानी फितरत और किस्मत के फलस्फे को समझाता है, उस वक्त के बगदाद का सामाजिक मनजर भी इस से जहलकता है, एक शहर जहां हर मुलक के लोग, इल्म, तिजारत और इज़त क
08:23बगदाद के बाजारों में बेचते, जहां उन्हें हर किस्म के लोग मिलते अच्छे भी, और वो भी जो दिखते फरिशते, लेकिन थे शैतान, अल्फ लैला के लिखने वालों ने इस वाक्या को एक मिसाल बनाया, ताकि लोग समझें की हर दुहक में एक सबक है, और हर न�
08:53दोनों के इल्म के केंदरों में मशहूर रहे, उनका रिष्टा खलीफा अल्ब, मुतामित के दौर के वजएर अहमद इबन अलज्याद से भी जोडा जाता है, और उन्हें अकसर उन लोगों में शामिल किया जाता है, जिन्होंने अदब और अखलाकलियत को साथ मिला कर सम�
09:23इस कहानी का पैगाम यह है, कि जब इनसान अपनी चीजों पर फक्र करता है, तो किस्मत उसे तोड़कर नमरता सिखा देती है, जब वो गिरता है, तो अगर सब्र करे, तो अल्लाह उसे उठाकर बेहतरीन मकाम देता है, खुरासान का आदमी इनसानी फितरत की मिसाल है, हर �
09:53जो सिर्फ देखते नहीं, समझते भी हैं, जो दूसरों के तज्जूर्बे से अपनी रूह को रोशन करते हैं, कहते हैं, अबू हसन की वफात के बाद, उनके लिखे अलफाज बगदाद के कुतुब खानों में मिलते रहे, एक परचाई पर लिखा था, इनसान के लिए सब
10:23के दाइरे में लिखा गया, तो इसमें जरा सी कहानी को रूप दिया गया, लेकिन जो तालीम थी, वो वही रही, इनसानी लालच का नतीजा बरबादी है, और सब्र का इनाम सुकून, जब भी कोई इस किस्से को पढ़ता, तो कहता, बगदाद का अबू हसन और खोरासन का �
10:53जब दजला का पानी पुरानी कहानियों का सुर सुनाता है, तो लगता है जैसे अबू हसन की आवाज अब भी कहती हो, जो कुछ गया, वो सबक बन गया, और जो मिला, वो सिर्फ यकीन.
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