Skip to playerSkip to main content
🧔🏻‍♂️ आचार्य प्रशांत से समझे गीता और वेदांत का गहरा अर्थ, लाइव ऑनलाइन सत्रों से जुड़ें:
https://acharyaprashant.org/hi/enquiry-gita-course?cmId=m00021

📚 आचार्य प्रशांत की पुस्तकें पढ़ना चाहते हैं?
फ्री डिलीवरी पाएँ: https://acharyaprashant.org/hi/books?cmId=m00021
➖➖➖➖➖➖
पूरा वीडियो : अपनी ज़िंदगी की असलियत जाननी है? || आचार्य प्रशांत (2020)
➖➖➖➖➖➖
#acharyaprashant

Category

📚
Learning
Transcript
00:00डाकूरत ना कर तो बढ़ियां चल रही थी जंदगी जंगल पर उसका एक्षत्र राज्य था आते जातों को लूटता था और बड़ा डाकू था भई देश थर रहाता था उससे सिपाही भी उसके इलाके से गुजरने से कत्राते थे ऐसा तो डाकू था अब यह जो मस चलती �
00:30गुजर रहे थे इनको लूटने के लिए भी डाकू खड़ा हो गया तो हसने लग गए मेरे पास है क्या जो कुछ है लेलो तुम पर यह बता दो कि यह जो तुम कर रहे हो यह किसके लिए कर रहे हो अपने लिए कर रहा हूं बोले तुम तो सामने खड़े हुए हो मुझे ल
01:00कुछ अपने लिए करते हैं उनके लिए करते हैं साथ उने का बढ़िया है जो कर रहे हैं करें चलो बस एक काम करना घर जाना और अपने परिवार से पूछ के आना कि ये सब जो तुम कर रहे हो जब इसका अंजाम मिलेगा करमफल मिलेगा एक नर्क में सड़ोगे तुम तो क्
01:30प है उनी के लिए करें सब साथ देंगे तो सबसाथ देंगे तो बड़्याँ बात है तुम्हारा खट मेरी गर्धन उड़ा देना इतनों कि तुमने हल्या की मेरी पतिक्षा करूँगा आन है साथ हूं डरता नहीं भागता नहीं प्रतना कर घर जाता है सामने sensitive फ्रतनागर
02:00उसने बोल दिया या कहिए उसके मुझे निकल गया, नहीं, नरक वरक तो तुम अकेले ही जाना, यहां का जो कुछ है, वो अपना साथ साथ है, लेकिन भई, अंजाम वगरा तुम अकेले ही भुगत लेना, रतनाकर फट गया अंदर से उसी समय, उसकी चेतना, उसका विश्व
02:30कहते हैं कि जो बार बार मरा मरा कहता था, वो राम राम कहने लग गया,
Be the first to comment
Add your comment

Recommended