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  • 7 hours ago

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00:00नमस्कार दोस्तों, टॉपिक तो आपने देखे लिया है, किस टॉपिक भी हमारी आपकी बात होने वाली है, आज का इंसान सब कुछ रखता है, पैसा, मकान, गाड़िया, सुविधाएं, लेकिन फिर भी सुकून नहीं है, क्या यही जिंदगी है, या बस एक दोड जिसमें म
00:30आत्मा असंतुष्ट है, क्यों, क्योंकि हमने आराम को तो खरी लिया, लेकिन सुकून को खो दिया, आज का मनुस्य सब कुछ खरी सकता है, मुबाइल, मकान, गाड़ी, लेकिन अपना पन नहीं, पहले की लोगों के पास भले ही साधन कम थे, मगर संतोस ज्यादा था, वो �
01:00आज हमारे पास साधन बढ़ गए, पर रिस्तों में गहराई घड़ गई, हमारे पास समय है, पर अपनों के लिए वक्त नहीं, यही है आज की जिवन का सबसे बड़ा विरोधा भास, जब इनसान के पास सब कुछ होता है, तब भी अगर दिल खाली लगता है, तो उस खाली
01:30सांतिया और आनंद, महात्मा गाधी ने कहा था, प्रिथिवी सबकी जरूरते पूरी कर सकती है, पर किसी एक की लालच को वो पूरी नहीं कर सकती दोस्तों, अगर हम अपनी च्छाओं को सीमीत कर दें, तो हमें वही सांति मिलेगी, जो पहले के लोगों को मिलती थी, बिना
02:00अचली सुख, क्योंकि सच्चा आनंद सादनों से नहीं, दिश्टिकूर से पैदा होता है, जीवन तब भी पूरा होता है, जब हम अंदर से समरिध्यों, तो आज से अपने अंदर ज्छाको, क्योंकि असली संपनता वो नहीं जो बैंक बैलेंस में है, बलकि वो है जो दिल
02:30इसके लिए आपका बहुत बहुत तन्यवाद
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