মাওবাদী দাপটে ভোটকেন্দ্র সরিয়ে নিয়েছিল নির্বাচন কমিশন ৷ 2000 সালে শেষবার ভোট দিয়েছিলেন ভীমবাঁধের বাসিন্দারা ৷ দু'দশক বাদে গণতন্ত্রের স্বাদ পেলেন গ্রামবাসী ৷
00:00आप इदर देख सकते हैं, ये एक भूत है, जो भीमबान जंगल के 10 किलोमेटर अंदर है, और ये जगा वो जगा है, जो पिछले 20 वर्सों से मतदान केंद्र विहीन था, यहां लोग डर से मतदान नहीं करते थे, पर शासन भी और नक्षलियों के बीच लागातार कई तरह के
00:30जहां पर CRPF के कई जवान, वियार पुलिस के प्रशाशन, जिला प्रशाशन, बड़ी मुस्तेदी के साथ इस छेत्र को नक्षल मुक्त कराने में काम्याब भी हुए हैं
01:00यहां तक रोड, बिजली, सब कुछ आ चुका है, इसी उत्साह में और जो एक परिवर्तन सा दिखा है, इसका नतीजा है कि आज यहां 2000 के बाद,
01:20दोहजार पचीस में कंस्च्चुनसी का कोई बूथ लगा, जहां पे लोग आके फ्री एंड फेर पोल का महौल है, और लोग पंक्ति बद्ध हो करके अपना वोट कास्ट करते हैं
01:31इससे पहले वोट कहां डालते थे?
01:38इससे पहले वहां गंगता जाना पड़ता था सर बूट दम लिए, काफी परेसानी भी होता था, बूखे प्यासे बचा लोग को छोड़के जाते थे, इसे कारण से मादान से भी दोरी बना के रखते थे आप लोग, तो इस बार आप डाले बूट तो अच्छा लगा, भय म
02:08कितने दिनों के बाद यहां मतदान के इंदर बना है, 20 साल के बाद यहां के लोग भोट डाल रहे हैं, इससे पहले यहां से कितनी दूर है, 16 किलो मेटर, कोई साधन नहीं है जाने का, और कितने लोगों की आबादी होगी इस गाउं में, आबादी तीन सो चोहतर से,
02:36374 मतदाता हैं यहां पर, और 20 वर्सों के बाद यहां मतदान दोबारा सुरू हो रहा है, यहां मतदान के इंदर, 2005 के बाद यहां मतदान के इंदर नहीं बनाया गिया था,
02:49मुगेज, जिला, जो नक्षलियों का गड़ माना जाता था, इस छेतर में, चुनवा के समय, आम लोगों में नक्षलियों के खिलाब काफी भैर आता था, लोगों को मतदान करने से रुका जाता था, लाल जंडे गार दिये जाते थे, यह वो भीमबान जंगल का रास्ता है
03:19मतदान के धटा करके यहां से 15 किलो मीटर दूर गंग्टा के पास सिफ्ट कर दिया गया था, जिसके कारण यहां के जो ग्रामीन थे, जो भीमबान जंगलों में बसते थे, आदिवाशी थे, उन्हें यहां से वहां जाने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था,
Be the first to comment