केन्या के मसाई मारा की नासुलाई कंजर्वेसी में मसाई जनजाति के लोग और जंगली जानवर एक साथ रहते हैं और एक दूसरे का ख्याल रखते हैं. नासुलाई स्थानीय भाषा 'मा' का एक शब्द है, जिसका मतलब होता है सह-अस्तित्व. नासुलाई की स्थापना साल 2016 में हुई थी. मकसद यही था कि यहां के 6 हजार लोग यहीं रहेंगे. इसके बाद मसाई समुदाय के लोगों ने शेरों, जेब्रा, जिराफ और ऐसे ही कई दूसरे जंगली जानवरों के साथ जीना सीख लिया. नासुलाई में एक कॉलेज है, जहां लोगों को रेंजर और टूरिस्ट गाइड बनने की ट्रेनिंग दी जाती है.. कंजर्वेंसी की कमाई इसी से होती है. नासुलाई में कोई कमर्शिल टूरिज्म इंवेस्टमेंट नहीं है, इसलिए यह फंडिंग के लिए काफी हद तक डोनेशन पर निर्भर है और कई चुनौतियों का सामना कर रहा है. मौसम में बदलाव से पशुओं को चारा मिलना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में यहां के लोग पौधारोपण जैसे प्रोग्राम चला रहे हैं. नाशुलाई को दुनियाभर के अमीर टूरिज्म ऑपरेटरों से भी खतरा है.. लेकिन मसाई समुदाय हर चुनौती का मिलकर सामना करने के लिए तैयार है.
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