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ये वीडियो श्रीमद्भगवदगीता अध्याय 5, श्लोक 19 के लाइव सत्र से लिया गया है|
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Transcript
00:00मैं 17-18 बरस के था एक अपनी कविता याद आ गई
00:03देखता हूँ शब्दशाय याद है कि नहीं बहुत छोटी सी है पर कुछ इस तरह थी कि
00:08वो बहुत प्रयास करता है कि सब हसे हैं
00:13हाँ हाँ ऐसे नहीं
00:14वो बहुत हसता है या बहुत चुटकुले सुनाता है सब को हसानी के लिए
00:19पर लोग हसते नहीं और लोगों को हसाने की कोशिश करते करते वो रो पड़ता है
00:27पर फिर वो पूँच लेता है अपने आसू क्योंकि उससे सब को हसाना जो है
00:33सबके साथ हस सकें इसेलिए जीवन है
00:37और जब भी किसी बुद्ध ने दुनिया को देखा है तो उसमें दुखी पाया है
00:42जब दुख इतना पाया है तो हसें कैसे सबके साथ
00:45फिर उप्चार करना पड़ा है दवा देनी पड़ी है बुद्ध अपने आपको चिकित सक बोलते थे
00:50और आप उनको देखते हो तो बड़े गंभीर लगते हैं
00:53वो गंभीर अपने लिए नहीं है वो गंभीर आपकी शकल देख करके है
00:56आप बुद्ध से पूछें कि आप खिल खिलाते हुए नजर क्यों नहीं आते हो कहें
01:00भीतर से तुम्हें खिल खिला ही रहा हूँ पर बाहर तो मेरे तुम खड़े हो और तुम को देखकर कैसे खिल खिला हूँ
01:06तुमको देखकर खिल खिलाओंगा तो ये क्रूरता हो जाएगी हिंसा हो जाएगी
01:10तुमारी हालत बहुत खराब है तुमको देखकर हसा नहीं जा सकता
01:13तुमारा तो पहले उप्चार करना पड़ेगा
01:15फिर जब तुम थोड़े ठीक हो जाओगे तब तुम्हारे साथ हसेंगे खेलेंगे
01:19अंति मुद्देशे तो क्रिडा ही है पर क्रिडा से पहले करोड़ा
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