Mission Bhagavad Gita Day 55 | Arjuna’s Deep Sorrow & Surrender | Chapter 2, Shloka 2.8 | Hare Krishna Bhakti Vibes
Mission Bhagavad Gita श्लोक दिवस 55 – अध्याय 2, श्लोक 2.8 में अर्जुन की वेदना अपने चरम पर पहुँचती है। वह कहता है कि चाहे स्वर्ग या पृथ्वी का राज्य भी मिल जाए, फिर भी उसका दुख दूर नहीं होगा। यही वह क्षण है जब वह पूर्ण रूप से श्रीकृष्ण की शरण में जाता है। यह श्लोक हमें सिखाता है कि सांसारिक उपलब्धियाँ आत्मिक शांति नहीं दे सकतीं — केवल भगवान की शरण ही सच्ची मुक्ति का मार्ग है। जय श्रीकृष्ण।
Mission Bhagavad Gita Day 55 – Chapter 2, Verse 2.8 shows Arjuna’s ultimate grief and helplessness. He realizes that even if he gains the greatest kingdoms of Earth or Heaven, his sorrow will not fade. This is the moment he truly surrenders to Lord Krishna. A deep reminder that worldly success cannot bring inner peace — only surrender to the Divine can. Hare Krishna 🙏
00:00हरे कृष्ण दोस्तों, मेरा एक ही लक्ष्य है श्रीमत भगवद गीता के साथ सौ श्लोकों को हर दिल तक पहुचाना अगर यह ज्यान आपको छू जाएं तो इसे साजा कीजिए और जुडिए मेरे साथ इस मिशन में
00:13मिशन भागवद गीता श्लोक दिवस पचपन अध्याय दो श्लोक दो दशमलव आठ नही प्रपश्यामी ममापनुद्याद यच्छोकम उच्छोशनम इंद्रियाना अवाप्य भूमा वस्पत नम्रिध्ध राज्य सुराणांपी चाधिपत्यम भावार्थ हे कृष्ण मेर
00:43धराज्य पाजाओं यह स्वर्ग के देवताओं का भी अधिपत्य मुझे मिल जाए फिर भी यह दुख मेरा साथ नहीं छोड़ेगा यह अर्जुन की वेदना की चरम अवस्था है जहां संसार की सबसे बड़ी उपलब्धिया भी उसे शांती नहीं दे सकती अब वो पूर
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