04:00हमारे जो अभी भावक हैं, हमारे जो बच्चे हैं, जो बड़े हैं, टीचर हैं, वो लोग काम करते हैं खुद ही, जैसे ठोंगा, इन्वेलब बनाना हुआ, आपका मोंबती दिया, हम लोग ऐसा भी करते हैं कि कुछ पुराने कपड़े और बहुत सारा जो पुराने कोपी कि
04:30किया, राष्टे इस्तर पर साइन लैंग्विज अनुवादक भी रह चुकी है, भारत सरकार के श्रम मंत्राले के केंज सलाकार बोर्ड में सदस्य भी रही, इनों पलब्दियों के बावजूद उन्होंने सेवा को अपने जीवन का सार बनाया
04:42मुझे बहुत सारा चीज सीखने के लिए भी औसर मिला, मौका मिला, जैसे मैं Special Olympics भारत की National Level की कोच भी रह चुकी हूँ
04:54और चुकी अभी थोड़ा काम बढ़ गया ही से लिए थोड़ा कम समय देते हैं लेकिन जो हमारे Special जो बच्चे हैं दिव्यांग वो अपने कला खेल के माध्यम से अपना हुनर दिखा सकते हैं
05:08रुपए, पैसे, उची इमारतों से दूर, बारिश की काई से सरावोर प्रकाश कुंज, उन बच्चों के लिए उम्मीद का दीपक बन चुका है, जो कभी खुद के अंधेरे में गुम थे
05:21अल्ला कहिए, गौड कहिए, या फिर भगवान, वो खुद धर्ती पर नहीं आ सकते हैं, लेकिन कुछ ऐसे लोगों को वो जरूर भेजते हैं, जो ऐसे बच्चों के लिए किसी भगवान से कम नहीं होते हैं
05:39और सिला लिंडा जैसी महिलाएं धर्ती के भगवान से कम नहीं है
05:45शहयोगी परमानद सिंग के साथ मैं चंदनभटाचारिया, ETV भारत, राची
Be the first to comment