00:00ये हैं रामरूप जगनात अपनों की तलाश में इंडिया की खाकशान रहे हैं
00:21ये भारष से मौरिसस की 155 साल पुरानी अपने पुर्खों की दूरी को हर हाल में मिटाना चाहते हैं
00:27जगनात कहते हैं कि परलोग सिधारने से पहले उनके चाचा की अंतिम इक्षा थी कि पुर्खों की धर्ती पर ही उनकी अस्तियों को विसरजित किया जाए
00:57चौती बार अपनों की तलाश में ओडी सा पहुंचे जगनात भारी मन से कहते हैं कि वह जूट बोल सकते हैं मगर इस सरकारी डाकुमेंट सच ही बोलेंगे
01:13इतना ही नहीं भरोसी के साथ रामरूप कहते हैं कि यह हमारे पूरुजों की धर्ती है यहां की मिट्टी हम सब को बुलाती है अपने मिशन में लगे मौरिशस के जगननात कहते हैं
01:24we can come under our people and we will help us here.
01:54ॐडिशा की धरती पर आये जगनात बताते हैं कि 155 साल पहले उनके पूरवज मात्रे एक धोती पहन कर मौरिशस मजदूरी करने के लिए गए थे
02:07मौरिशस के पूलिस डिपार्टमेंट में Human Resource मैनेजर रहे रामसुरूप जगनात को खुद के साथ भारत सरकार, ओडिशा के जाजगीर प्रिशासन और लोकल जन्रस्ता से बड़ी उमीदे हैं
02:18उन्हें पूरा भरोसा है कि ओ पांचवी पीड़ी के बाद अपनों के बीच जरूर आएंगे
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