01:30बहुत सामान्य सरल भोजन शुद्ध भोजन का आप आहार लेते हैं
01:39और उसके बाद से आपका व्रत शुरू हो जाता है
01:42आज का जो दिन है यानि खरना का जो दिन है ये प्रिसाद बनाने का दिन है
01:47यानि कि एक व्रती जो पहले दिन जिसका व्रत प्रारंब हो चुका है
01:53वो दूसरे दिन भूखे पेट बिना जल के मतलब बिना पानी भी ग्रहन किये
01:58हम बनाते हैं प्रिसाद जो कि खरना की दिन का प्रिसाद होता है
02:04इसको बनाने की विधी भी अपने आप में बहुत अलग बहुत पवित्र है
02:10लेकिन पहले मैं खरना के दिन का ही आपको महत्व बताती हूं
02:21क्योंकि अलग-अलग इसके विशलेशन हो सकते हैं
02:26लेकिन खरना का अर्थ माना जाता है शुद्धता
02:29और ये भी माना जाता है
02:32मानिता ये भी है कि छटी मईया घर में प्रवेश कर जाती है
02:36खरना के ही दिन
02:38और इसलिए मईया को प्रिसंद करने की भी
02:42पूरी कोशिश है भक्तों की तरफ से की जाती है
03:01अच्छा एक बड़ी अलग बात जो आपको छट महा पर्व और बाकी पर्वों में लगती होगी
03:06कि यहाँ पर जो छट का पर्व है वो केवल इन चार दिनों
03:11जो छट पर्व के गीत होते हैं वो केवल इन चार दिनों
03:15जो छट पर्व में छटी मईया की प्रतियास्था होती है
03:18वो साल भर जरूर रहती है हमेशा हमेशा रहती है
03:22लेकिन आप कहीं नहीं देखेंगे कि कोई मंदिर आपको दिख जाए
03:25जो छटी मैया का मंदर हो, हालनकि बहुत सारे लोग अपने रूप में कुछ-कुछ बनाने लगे हैं, पर नहीं, सनातन के अनुसार छटी मैया का कोई मंदर नहीं है, छटी मैया इसी समय आती है, और ये भी मान्यता है कि वरतियों के देह में ही वो धारण होती है, इसलिए ल
03:55में रराय, वो हपर सुखा में रराय, तो खरना का ये दिन है, जिसमें वरति बीते दिन से जो उपवास चल रहा है, उसी उपवास के साथ साथ मिट्टी के चूलहे को तैयार करता है
04:22मिट्टी का समान होता है, सूप होता है, बास्केट्स होते हैं, वो खरीदना पड़ता है, ध्यान रखना पड़ता है, बीड में जातर चूज करना होता है, क्योंकि वो कहीं टूटा ना हो, कहीं गंदा ना हो, फ्रेश हो, और सूप खरीते हैं, उसके बास्केट्स खरीते ह
04:52तो गंदा जी का पानी से उसको धोते हैं, उसके बाद उसको गर में लाकर सुखाया जाता है.
04:57और जो भी परवतिन होती है, जो जनों ada ने पर्व कहा होता है, उनका कमरे को सजाते हैं, साफ़सुरा
05:07की त्यारी होती है जिसमें खीर और पूऩी, ये में दो समगरिये how best
05:11जाता है बहुत प्यार से बहुत प्रेम से साफ सफाई सुबह में ही जो है जहां पर खरना जहां प्रसाद जो होता है खरना कब जो प्रसाद जहां बनता है उसको साफ किया जाता है गंदा जल डालके उसको साफ किया जाता है दोया जाता है पोचा जाता है प्रशाद की आज �
05:41है व्रतियों की तरफ से विट्टी का ये चूल्हा तैयार किया जाता है मिट्टी के चूल्हे में आम की लखड़ी से आग जलाई जाती है के वलां की लखड़ी अब इसके कई कारण बताय जाते हैं बताया
06:00कि आम की लकडी जो है वो ज्यादा शुद्ध और सात्विक उसे माना जाता है और कुछ बार। और कुछ मानेत कांव हैं शम को जाते हैं गे
06:08मैया को सबसे अधिक पसंद आम की ही लकडिया है इसलिए आम की लंख्डियों का ही प्रयोगिन छूलों
06:17में किया जाता है वर्ना बाके किसी पेड़ की हगर होती है तो उसका थुआं आपको वैसा प्रशाद नहीं बना
06:21करतेगा चूला लगाया जाता है चूला अगर आप देखेंगे तो वह मिट्टी की चूला होता है जिसमें आम की लकड़ी से जो है खीर को बनाया जाता है जो प्रसाद के रूप में जो है सबसे पहले जो जिन्होंने पर्व रखाया परवतिन जो होती है वो सबसे पहले उसक
06:51नियानि गेहू को धो कर सुखाया जाता है या तो व्रती करती है या फिर घर में कोई भी उनकी सहयता के लिए, सहयोग के लिए गेहू को धो कर उसे पिसवा कर और हो आटा तहीया रखता है
07:02तो मैं तो लगातार चुनाओं कवर कर रही थी, तो मेरे लिए घर पर ही गेहूं धोकर सुखा कर पिस्वा लिया गया, लेकिन बाकी आम तौर पर ये एक बड़ी शुद्ध पवित्र प्रक्रिया होती है, जिसका पालन व्रती करते हैं।
07:32और खीर बनेगा, खीर बनेगा चावल, गुड़ और दूद से, ये गुड़ का खीर है, जो प्रषाग के लिए, जो करना पालन व्रती हैं।
08:02तो इस बदलते मौसम में भी बहुत अच्छा होता है, सेहत के लिए अच्छा होता है, बदलते मौसम में आपके शरीर की रोग प्रतिरोधक शमताएं जो हैं वो उससे बहतर होती हैं, उसके बाद ये दोनों चीजें जब तयार हो जाती हैं, फिर खरना के प्रसाद का समय होत
08:32अपना व्रत में उस प्रसाद को ग्रहन करेंगे उस समय आवाज नहीं होनी चाहिए एक समय तो ऐसा भी था जब अगर कहीं किसी के हाथ से थाली चूट कर गिर जाती थी और उससे जो आवाज आती थी उसमें भी प्रसाद को छोड़कर उठ जाना होता था व्रतियों को अब �
09:02इस प्रसाद को ग्रहन करने से पहले भी जो चाहे रोटी हो चाहे पूरी हो उसको प्रसाद के तौर रूप में आप पहले अर्पित करते हैं छठी महिया को और उसके बाद जो व्रती है वो उसे ग्रहन करती है जिसके बाद घर के बाकी पुरुशों को और महिलाओं को वो �
09:32हो बरतिन पावेल बरदान सुक परिवार में बरतिन के उपार हो रहल
09:46बरतिन के उपार हो रहल
09:51छट का ये जो महापर्व है जिसके लिए दूर दूर से जहां जहां लोग नौकरी कर रहे हैं
09:59वहाँ वहाँ से अपने घर की ओर निकलना शुरू करते हैं
10:03सबका एक ही लक्ष एक ही उदेश होता है कि कम से कम जो खरना का जो प्रसाद है
10:09उस दिन तक घर पहुँच जाएं जिनके घरों में नहीं होता है
10:13वो चाहते हैं कि किसी और के अगल बगल पडोसियों के घर में अगर हो रहा है
10:17तो आप जाकर आप वहाँ पर प्रसाद गहन करें
10:20सेववाजे भरे लाघवद से
10:25ओह पर सुगा में डराए
10:29ओह पर सुगा में डराए
10:33उजे खबरी जनई वो अधित से
10:39सुगा दी हले जूठी आए
10:43चहट महा पर्व की और मानता है कि आप ऐसा नहीं है कि
10:52आप अपनी तरफ से पृसाद देते अंतों पर लोग � inquiry कुई नियोता
10:58ऐसे नहीं आता है आपको मांग कर क्योंकि यह जो पर्व है
11:04कि यह समर्पन का पर्व यह अपने आपको पूरी
11:11तरीके से उस आस्था में जोंक देने का और अपने अस्तित्व को समझने का उस ईश्वर के सामने यानि कि विल्कुल गौड आप कुछ नहीं है जब ईश्वर आपके समक्ष है तो उसमें आपको जुकने में मांगने में कोई भी एहम नहीं होना चाहिए यह सारी चीज़ें �
11:41eur और उनको इंकार नहीं किया जाता है बहुत ही सवभाग्य की बात है जट महापर्व को बहुत ही नजदीक से देखने और महसूस
11:51मेरे लिए बहुत ही सौभाग्या की बात है कि छट महापर्व को बहुत ही नजदीक से देखने और मैसूस करने का मौका मुझे इस बार मिल रहा है बहुत सारे त्योहार जो हैं वो इंदोस्तान में मनाये जाते हैं छट महापर्व की जो ग्लोबल अपील है वो पिछले कुछ
12:21करने का जैसे मैंने कहा बहुत ही बड़ी सौभाग्या की बात है जो पूरा एक महौल है जो पूरे वातावरण में भक्ती की भावना है एक अनुशासन की भावना है उसको देखके अलग ही मजा आ रहा है
12:33संत्र के का आ अम चाहिए नहीं भी इतिक पूराणि परमपराये यसना तनकाल की परमपराये हैं निसे भी बाते स्थने आती हैं कि माता सीथ
12:37च्छट वरत किया करती थी मिधला शीतर से आती हैं माता सीथ और कहते हैं और पी चल्ठ को लेकर गए थी जब अपने ससुराह
13:03तो वहां से और आगे विस्तार होता गया था इस पर्व का ये भी एक जगे उलेख मिलता है कि राम जी और सीता जी ने प्राइश्चित के लिए रावणवद के प्राइश्चित के लिए उन दोनों ने छटवरत का पालन किया था तो ये अलग-अलग कथाएं हैं जो सामने आ
13:33जाएं और एक जो अलग रूप से आप सिंदूर देखते हैं तो देखे छट का जो पर्व है वो जो खुवारे लोग हैं वो भी कर सकते हैं जो शादी शुदा हैं वो भी कर सकते हैं कोई भी अपने मन में जिसके आस्था हो वो ये पर्व कर सकता है
14:02तो ये जो सिंदूर है उसे यहाँ से लेकर माथे तक लगाने की जो परंपरा है
14:07उसके पीछे भी बहुत वैग्यानिक कारण होते हैं
14:10क्योंकि सिंदूर का जो प्राकृतिक सिंदूर जिस फूल से बनता है
14:15और जिस रूप में वो बनता है उससे थंड़क आपके माथे को पहुचती है आपका रक्त चाप कहते हैं कि नियंतरण में रहता है और जो रक्त का संचार है वो सही रूप में होता है तो उस कारण ये रहता है और खासकर आप बिहार में ये देखेंगे ज्यादा कि किवल ला
14:45लोगों को देखेंगे अपनी संदूरदानी में लोग वो रखते हैं और उसको लेकर घाट पर भी जाते हैं जब पूजा किये जाती है
15:15कि अदि लखते जाए जाय जाय कि अदूर तो मांग में भड़ते है वो नाकपर से जो ऐसे लगता है वो टीका कहा जाता है उसको
15:45इस टाइम छटका के सरिया चलता है लाल नहीं चलता है नहीं रहने पे आदमी कर लेता है लेकिन के सरिया ही चलता है तो खरना का ये दिन संपन्न होता है इसके साथ ही मतलब वो सिर्फ एक प्रसाद जो व्रती हैं वो ग्रहन करेंगी प्रसाद ग्रहन करने के बाद वापस नि
16:15जब शाम को अर्धे देने के लिए जाते हैं और उसके बाद फिर जब सूर्योद है के समय जब सूर्य को अर्धे दिया जाता है उस समय तब जाकर संपन्न होगा
16:26तो जो व्रत नहाय खाय के दिन शुरू हुआ वो आज खरना में प्रसाद ग्रहन करके वापस वो जाली रहता है
16:50और घर में खूफ प्रसनता, उच्सुकता, कौतुहल से अब प्रतीक्षा होने लगती है जैसे कि मेरे भी घर में हो रही है
16:58कि अब अगले दिन में जब डूपते सूर्य को अर्द दिया जाएगा उसकी पूरी जो सामान है जितनी चीज़ें खरीदी जाती है
17:06वो सारी तैयारियां हो चुकी होती है, सूप के लिए यह है कि आप आखरी दिन भी थोड़ा खरीदारी जरूर करते हैं ताकि ताजा रहे वो सारी चीज़ें
17:15कि एक शाम और उसकी अगली सुबह तक उसे ताजा रहना है वो प्रिसाद के रूप में ग्रहन किया जाएगा
17:20परिवार के सब दूर से बाहर बाहर दूसरे शहरों से दूसरे स्टेट से परिवार के लोग आते हैं
17:43और एक तरह से यह गेट टूगेजर होता है लोग एक साथ मिलते हैं बात करते हैं एक दूसरे से तो है अपनी जो है बाते करते हैं और स्खुश्या मनाया जाता है इसलिए चट जो है हमारे बिहारियों के लिए एक बहुत ही इंपोर्टेंस पारव है
18:00तो चट जो कर रहा है उसके लिए तो है इंपोर्टेंस लेकिन पूरे घर की जिम्मेदारी होती है कि वो चट जो है वो अच्छी तरह से संपन हो जाए और घर के सारे लोग जो है वो इस लिए इन्वाल्ड रहते हैं ताकि उसको कोई परिशानी ना हो और क्योंकि वो जान
18:30परिया परंपरा रीती लेकर मैं आपके साथ फिर रहूंगी तब तक अनुमति दीजेए
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