भावार्थ: इस प्रकार कहकर अर्जुन युद्धभूमि में अपने रथ पर बैठ गया, उसने अपना धनुष-बाण त्याग दिया और उसका चित्त शोक से व्याकुल हो उठा।
यह क्षण था पूर्ण समर्पण का — जब अर्जुन ने अपनी बुद्धि और अहंकार दोनों त्याग दिए। अब प्रारंभ होता है श्रीकृष्ण का दिव्य उपदेश — श्रीमद्भगवद्गीता, जो हमें सिखाती है कर्म, भक्ति और ज्ञान का संतुलन।
हर दिन एक श्लोक, हर दिन आत्मा का उत्थान जय श्रीकृष्ण। जय धर्म की विजय। हर दिन सुनिए Mission Bhagavad Gita केवल Hare Krishna Bhakti Vibes पर।
00:00हरे कृष्ण दोस्तों, मेरा एक ही लक्ष्य है, श्रीमत भगवद गीता के साथ सौ श्लोकों को हर दिल तक पहुचाना, अगर यह ज्यान आपको छू जाएं, तो इसे साजा कीजिए और जुडिए मेरे साथ इस मिशन में।
00:30इस प्रकार कहकर, अर्जुन युद्ध भूमी में अपने रत पर बैठ गया, उसने अपना धनुषबान त्याग दिया, और उसका चित्वशोक से व्याकुई हो उठा, यह था अर्जुन का पूर्ण समर्पन, जब बुद्धी भ्रमित हो गई, मंद्रवित हो गया, और अब
01:00कर्म, भक्ती और ज्ञान का अध्भुत उपदेश, रोज एक शलोक समझने के लिए जुड़े हरे कृष्णा भक्ती वाइब्स के साथ
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