Mission Bhagavad Gita – Day 45 | अध्याय 1 श्लोक 45 | Arjuna’s Realization of Sin | Hare Krishna Bhakti Vibes
Hare Krishna 🙏 "Mission Bhagavad Gita" श्लोक दिवस 45 – अध्याय 1, श्लोक 45 अर्जुन का पश्चाताप और आत्मा की पुकार... “अहो बत महत्पापं कर्तुं व्यवसिता वयम्।” जब धर्म और अधर्म की रेखा धुंधली हो जाती है, तब आत्मा का द्वंद्व शुरू होता है। यह श्लोक हमें सिखाता है कि लालच और मोह में भी विवेक बनाए रखना ही सच्चा धर्म है।
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#MissionBhagavadGita – Gita is not just a scripture, it’s a manual for life.
00:00हरे कृष्ण दोस्तों, मेरा एक ही लक्ष्य है, श्रीमत भगवद गीता के साथ सौ श्लोकों को हर दिल तक पहुचाना, अगर यह ज्यान आपको छू जाएं, तो इसे साजा कीजिए और जुडिए मेरे साथ इस मिशन में।
00:29करने को हम तयार हो गए हैं, सिर्फ राज्य और सुख के लोग में, हम अपने ही सगे संबंधियों की हध्या करने को उतारू हैं, यह पश्चाताप अर्जुन के अंतर्मन से निकली हुई पीरा है, धर्म और अधर्म की रेखा जब धुंधली हो जाती है, तब युद्ध से प
00:59और रोज एक श्लोक समझने के लिए जुड़े, हरे कृष्णा भक्ती वाइब्स के साथ
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