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  • 2 weeks ago
छतरपुर के प्राचीन शिव मंदिर में दीपावली पर तपस्वी करते हैं तप. तांत्रिक परंपरा से जुड़ी है यहां स्थापित गणेश जी की अष्ठभुजी प्रतिमा.

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00:00क्या आपने कभी किसी मंदिर में देखा है अश्ट भुजी गड़ेज जी का दुल्लब और शक्ति साली सवरूर।
00:07बीच में प्राचीन सिबलिंग और उसके ठीक पीछे ब्राजमन नंधी महराज।
00:12जिनकी साथ उकेरा गया है रहशमी ओम का प्रतीक।
00:16यह द्रश किसी साधरन मंदिर का नहीं बलकि उस प्राचीन धाम का है जहां आस्ता के साथ साथ रहश और तांत्रिक शाधना की शक्ति अभी जीवेत है।
00:26रहस और आस्ता का यसंगम जहां अश्ट भुजी गडेजी सिबलिंग और पीछे ब्राजमन नंदी एक अलगी तंत्रिकूर्जा का आभास कराते हैं।
00:37कहते हैं यह हर पत्थर हर प्रतीक सदियों से गुप्त शाधनाओं की कहानी कहता है।
00:42और यही बज़ा है कि यह मंदिर सिर्फ डर्शन का इस्थर नहीं बलकि अंसुजे रह्ष्यों का जीवन्त धाम है।
00:50प्रिमराजी क्या नाम है आपका कहा के रहने वाले हैं।
00:52यह बग्विप्रसाथ पुजारी चोवजी में ग्राम कर्दी छटरपुर मधब्रिश का रहने वाला हूं।
00:58हमने आपके मंदिर में देखा कि अश्ट भुज़ादारी गड़ेजी की पित्मा है।
01:01तो क्या बिस्यिशता है।
01:03तो यह अश्ट भुज़ादारी गड़ेजी हैं।
01:06और ऐसे देखा सुना गया है कि जैसे आज की इस्तिती में कोई नहीं बताता है।
01:11चाद्रपुजी गड़ेजी की प्रत्मा होती है। द्यर्शन करते हैं।
01:14और पहले है जो नंदी की प्रत्मा होती है।
01:18यहां तांत्रक विद्या जैसेating जो यह उनकी सुना घड़ menusisय अन्सटुचारा सवी वरुणीar तो यह cinा सना realization बताया जाता है।
01:24आश्यारा है कि यहां लोग तन्रक बंत्य मंद्र है।
01:27यहां लोग को हैं लोग आते हैं तो व द्यूस्कर तटी करते हैं।
01:32Hurti-hurti.
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