01:10आप बताएंगे पहले कैसे था जब दिवाली करत्योहा रहता है तो मैन पहले ही आपनों को गुकिंग मिल जाता था दिवावली का आप कितना दिया बना ले रहें।
01:20कितना बनाएं थे अभी बनाएं था करीवन चार पांच जार दिया बनाएं।
01:26अभी नहीं पूर्टा था पहले की अपेच्चा अब बिक्री भी कम हो गया जब से लाई जालर आगाएं।
01:40आप लोग बिक्री भी कम हुआ है।
01:43आर्तिक इस्थिती से जूज रहें।
01:46क्योंकि पहली के समय में जब लोग डिपावली मनाते थे इन दियों का उप्योग करते थे दिया जला कर अपने त्रवारों को मनाते थे।
01:55अब इस्थिती ऐसी है कि पहली कि अफिच्छा जाएं लोग दी सजार चूपर दिया बनाकर अपनी आर्तिक इस्थिती को मजबूत करते थे।
02:02लेकिन जब से जो डिजिटल लाइटें है जालर हो रंगी रंगी लाइटें यह इनका चलन जब से चलू हो गया है तब से इनकी आर्तिक इस्थिती खराब है और इस बार बारिस भी आप लोगो बहुत परेसान किया वह बहुत परेसान है थोड़ा नहीं या और ज्यादा �
02:32पहले ही कुमारों की रोजी रोटी रंग बिरंगे जालरों ने चीन रखी है महें इस बार मौसम ने भी साथ नहीं दिया लगातार बारिश की कारण कुमारों की दिये समय पर नहीं सूखे जिससे इन्हें आर्थिक नुकसान होना तै है
02:54अब अब आप लोग जो आय का कम हो गया विक्री कम हो गया लोग दिया नहीं खरिटे जालर खरिटें लोग विक्री वाटा कम हो लेकिनी ओलेवल आम इची धन्दानरूं
03:19आधुनिक्ता ने आज शिवनाज जैसे कई कुमहार परिवारों को मुश्किलों में डाल दिया है
03:30हम आधुनिक लाइट से अपने घरों को रोशन तो करते हैं लेकिन ये भूल जाते हैं कि जिन दियों को हम बाजार में छोड़ाए हैं वो एक साथ कितने परिवारों को खुश्या देता है
03:40यदि आप और हम अपनी परंपरों को निभाते हुए दिवाली मनाएं और दियों से ही अपने घरों को जगमक करें तो किसी न किसी कुमहार परिवार की दिवाली जगमक भरी होगी जिसमें हमारी भी भागिदारी होगी
03:54TV भारत की टीम आप सभी से अपील करती है कि इस दिपावली आप जो डिजिटल लाइटें हैं जाले रहें उनको ना खरीद कर इन दियों को खरीदें और जो एक कुमार परिवार है उनकी आर्तिक इस्थिति को मजबूत करने के लिए आप एक कदम बढ़ा है
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