00:00जन्म कथा कंस नामक अत्याचारी राजा ने अपनी बहन देवकी का विवाह वासुदेव से किया, आकाश वानी हुई, देवकी की आठवी संतान ही कंस का वध करेगी, कंस ने देवकी और वासुदेव को कारागार में डाल दिया, हर बार जब देवकी संतान को जन्म देती, क
00:30गोकुल में नंद यशोधा के घर छोड़ आई और वहां से उनकी पुत्री योग माया को कारागार ले आए।
01:00अगहासुर जैसे राक्षसों का वध किया, कालिय नाग को यमुना से भगाया और उसके पनों पर नृत्य किया।
01:30अगहार बारिश कर दी। कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन परवत उठा कर साथ दिन तक लोगों की रक्षा की।
01:36इंद्र ने क्षमा मांगी और कृष्ण की महिमा स्वीकार की।
01:40चान्दी कंस वधबड़े होने पर कृष्ण और बलराम मतुरा गए।
01:44वहां उन्होंने कुष्टी में चानूर और मुष्टिक जैसे पहलवानों को हराया।
01:48अंत में कृष्ण ने अत्याचारी कंस का वध किया।
01:52और अपने माता पिता को कारागार से मुक्त कराया।
01:55पांप द्वार का स्थापना बाद में कृष्ण ने मतुरा छोड़कर समुद्र तट पर द्वार का नगरी बसाई।
02:01वहां उनका विवाह रुकमिनी सहित 16 आए 108 रानियों से हुआ।
02:06क्रिष्ण ने अपने भाई बलराम और सात्य के आदे के साथ कई युद्ध किये।
02:11सिख महा भारत में भूमिका पांडव और कौरव कजन्स थे।
02:16दुर्योधन ने चल से पांडवों का राज्य हडप लिया।
02:19युद्ध के समय दोनों पक्षों ने क्रिष्ण से सहायता मांगी।
02:22क्रिष्ण ने कहा, एक ओर मेरी सेना, दूसरी ओर मैं अकेला लेकिन शस्त्र नहीं उठाऊंगा।
02:28दुर्योधन ने सेना चुनी, अर्जुन ने स्वयम क्रिष्ण को सारती चुना।
02:33युद्ध भूमी कुरुक्षेत्र में अर्जुन जब निराश हुए, तब क्रिष्ण ने उन्हें भगवत गीता का उपदेश दिया सव।
02:39कुरुक्षेत्र युद्ध युद्ध में क्रिष्ण ने नियम तोड़े बिना, चतुराई से पांडवों की सहायता की।
02:45भीश्म, द्रोण, कर्ण, शल्य, आदी, महान, योध्धाउं का अंत हुआ।
03:15श्री क्रिष्ण का जीवन केवल लीला नहीं, बलकि धर्म नीती, प्रेम और भक्ती का अध्भुत संगम है।
03:22बचपन में उन्होंने आनंद सिखाया, युवावस्था में उन्होंने धर्म की रक्षा की, महाभारत में उन्होंने ज्यान का अम्रित दिया।