00:29Suchanthanaan-meh grammeer mahilau ki sthiti meh bhi kuch sudhar zaruru hor hor hor hai
00:33lekin abhi bhi kai chunautiyan moujood hai
00:36kai grammeer chetro meh manthan sanstha ki or se mahilau ko atmenirvar banane ke liye
00:42sikshah ke sath hi uunyay roozgar se bhi joda ja raha hai
00:45kai mahilai ab kud ka gama kar rahi hai
00:48toh koi dukan chala kar apne paribar ka beran pushin kar rahi hai
00:51kud suniyay
00:52hum kuch bhi nix jantate tiy
00:54hamasyain vagaire kuch bhi nix jantate tiy
00:57We signed up after studying the night school, signed up and wrote the names of the names.
01:07We didn't even know anything.
01:10Then we thought that our idea was to go to the night school.
01:14We didn't even know anything about what it was or what it was.
01:20We called our children and then studied.
01:24Manju Kalveliya की तरही सर्जु Kalveliya भी नाइट स्कूल में पढ़कर अब किराने की दुकान चला रही है.
01:32हम देखलो दो साल अभी स्कूल पढ़िया नहीं,
01:37तो बारा मिना स्कूल पढ़िया पहली तो दीरे-दीरे परिवार का सेन करना आ गया हमार को,
01:44सारो परिवार का सेन करना आ गया हमारा जितनों दुकान का नहीं हसाब किताब,
01:51जितनों दुकान का नहीं हसाब किताब,
02:05जितनों दुकान का हसाब किताब अब खुद हम लिख सकती है,
02:09कि इतने सेमान लेते हैं, इतना मंकर डाने में कोई भी सेमान,
02:13दूद बगेरा कायन भी लेके जाते हैं उदार पर,
02:17जितने आदमें के खुद नाम लिखते हैं, खुद का पीसा लिख लेते,
02:26किसी को नहीं पूछते हैं।
02:29ग्रामिर महिलाओं के लिए 25 साल से काम कर रही मीता सिंह कहती हैं,
02:33कि राजस्थान में ग्रामिर महिलाओं के स्थिति में सुधार हो रहा है,
02:37लेकिन अभी भी कई चुनोतियां मौजूद हैं।
02:39सिक्षा के स्कर में सुधार हुआ है, लेकिन अभी भी ये शहरों की तुल्ला में काफी कम है।
02:45जो पित्र सप्ता की ये सोच है, उसके कारण से महिलाओं हिंसा का सामना करती है।
02:51और सामाजिक दबाव को लेकर और व्यवस्थाओं को लेकर उनके पास वो साधन नहीं है,
02:59वो संबल नहीं है कि वो इसके बारे में रिपोर्ट कर सकें।
03:02और उनकी बात दंभीता से सुनी जा सके।
03:05तीसरी चीज जो है वो है शिक्षा।
03:07शिक्षा के इस तर में बहुत उधार हुआ है, महिला साक्षरता दर्ब बहुत बढ़ी है,
03:12लेकिन जो गुनवत्ता है उसमें अभी भी कमी है और उसमें काम करने की जरूवत है।
03:16राजनेतिक शेत्र में भागीदारी निश्चित रूप से बढ़ी है, लेकिन अगर हम जमीनी स्तर पर देखें,
03:23तो सत्ता तो अभी भी फुरुशों के हाथ में है, सर्पंच पती होंगे या सर्पंच पुत्र होंगे।
03:28वही सारे निले लेते हैं, और महिला तो केवल एक अंगूठा या हस्ताक्षर देने का माध्यम रह जाती है।
03:36तो यहां पर बहुत जरूरी है कि हम मानसिक्ता के बदलाव पर काम करें।
03:41समाजिक कारेकरता मीता सिंग का कहना है कि समाजिक सोच में बतलाव महिला सशक्तिकरन के कानूनों का प्रभावी क्रियान वियन और सिक्षा को बढ़ावा देना आविशक है।
03:53गैर सरकारी संगठनों और स्वयम सहायता समूहों को अपनी भूमिकाएं और बढ़ानी होंगी।
03:59ग्रामिर महिलाओं को राजनीती और अन्य शेत्रों में काम करने के लिए प्रशिक्षित और सिक्षित करने की आविशकता है।
04:07जैपूर से ETV भारत के लिए जस्वन सोलंकी की रिपोर्ट।
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