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Transcript
00:00मेरी अपनी खुद की जब साधी होई थी, तो मेरा पंदरा दिल बाद सुहाग राद हुआ था
00:05पंदरा दिल बाद, क्योंकि मैं उसमें साधी हुआ, मौसी, जितने भी रिष्टेदार थे सब लोग हरते ही थी
00:17होट, होट, मम्मी पापा भी थी
00:20तो अगर हमें अपने पत्मी शे मिलने भी जाना होता दानावाई है, तो एक बजे राद के ऐसे भी करते ही, देखते थे हमकी सब लोग सोगए तब नावगी के चुठावा नहीं सखाता तक चुठावली के कामें लिखते हुआ
00:36पहले के आवरत ते अपने पती का चुठावा नहीं सखाता तक लेकि आजकल के आवरत लोग नहीं सखाता तक अब यह उल्टा होता है
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