00:00उत्राखंड में कई लोग ऐसे हैं जो खुंखार वन्य जिवों के मुह से भी बच निकले हैं
00:13भले ही वो बच निकले हों लेकिन उस खौफ को अपने जहन से निकाल नहीं पा रहे हैं
00:21इससे वो मानसिक रूप से तनाव में जा रहे हैं
00:24ऐसे ही कुछ सर्वाइवर हैं जिनके सरीर पर वन्य जीवों ने नाखुन और दात के निसान छोड़े हैं
00:32इसके साथ ही वो उस खौफनाख घटना के बाद कई तरह की परिसानियों से भी जूज रहे हैं
00:54सर्वाइवर में एक इसकूली छात्रा भी है जो खुस नसीबी से बच तो गई
01:16लेकिन दिमाग में डर इसकदर बैठ गया है कि रात को वो भयानक मंजर सामने आ जाता है
01:23उत्राखंड स्वास्त बिभाग में संयुक्त निदेशक स्टेट मेंटल हेल्थ अथारिटी की जिम्यदारी देख रहे
01:51डॉक्टर सुमित वर्मन ने बताया कि सर्वाइवर किस तरह की ट्रोमा से गुजरते हैं
01:57इस टाइप की केसेज में यूज वैली हम लोग जो कहते हैं PTSD
02:01पोस्ट्रोमिटिक स्ट्रेस डिसॉर्डर इसका प्रभाब सबसे अधा इसको जो डियाग्नोसिस बनता है
02:06इस टाइप का मानशिक जो प्रभाव है उसका आ सकते हैं तो इसमें ट्रीट्मेंट का मैनेजमेंट प्रटोकॉल जो है लगभग एकिताइटी होते हैं परन्तु पेशली जो सर्वाइबर्स होते हैं
02:24इस ट्रामा से बचने के लिए हाई लेवल ऑफ एक्सपारडाइज चाहिए इसको समालने के लिए इसमें दवाई का भी चाहिए साइको थेरापी वगरा भी चाहिए
02:40प्रमुक वन सन्रक्षन होफ कहते हैं कि इसके लिए पहली बार वन विभाग डॉक्टरों से बात कर काम करने का प्रयास कर रहा है
02:49जिन लोगों द्वारा ये भुगता गया है कई बार उनकी बार बाहर जाने से ढड़ने लगता है
03:05और इस तरह के चीज़ें तो उनके जो रोजगार के अफसर हैं अबसे भी प्रवागत होते हैं
03:10उनके बाकी चीज़ें के जीवन चरिया में भी परिवरतन होता है
03:14आप लोगों ने इस पर विचार शुरू किया है और इस पर टुपडों में कहीं काम शुरू हुआ है
03:22लेकिन अब निशित रूप से समय आ गया है
03:25कि इसके बारे में एक संस्दा के रूप से चर्चा की जाए
03:28जंगली जानवरों के अटेक के बाद सारीरिक जख्म तो भर जाते हैं लेकिन ऐसे लोग ताउम्र सदमे में चले जाते हैं
03:38लिहाजा ऐसे लोगों को उभारने के लिए जागरुकता चलाने से लेकर उपचार से जुड़े कदम उठाने की जरूरत है ताकि वो भी बाकी लोगों की जिन्दगी जी सकें
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