Mission Bhagavad Gita Day 31 | अध्याय 1 श्लोक 30 | जब शरीर और मन दोनों थक जाएं | Hare Krishna Bhakti Vibes
Arjuna’s Gandiva slips from his hand, his body trembles, and his mind feels dizzy — a moment of complete weakness. This verse (Bhagavad Gita 1.30) reflects how attachment, grief, and fear can paralyze both body and mind. But Krishna teaches us — through self-knowledge and devotion, we regain our inner strength.
इस श्लोक (अध्याय 1, श्लोक 30) में अर्जुन की मानसिक और शारीरिक कमजोरी दिखाई देती है। धनुष हाथ से फिसल रहा है, तन जल रहा है और मन भ्रमित है। जब हम अपने कर्तव्य से भागने लगते हैं, तो शरीर और मन दोनों कमजोर पड़ जाते हैं। ऐसे समय में आत्मज्ञान और भगवान का स्मरण ही हमें शक्ति देता है।
हर दिन गीता – हर दिन आत्मा का उत्थान 🙏 जय श्रीकृष्ण
00:00हरे कृष्ण दोस्तों, मिशन भगवत गीता श्लोक दिवस 31, अध्याए 1, श्लोक 30
00:07श्लोक, गांडिवस रंस्ते हस्तात्वक चैव परी दहते, नच शक्नों में वस्थातू भ्रमतीव चमे मना, अनुवाद, मेरा गांडिव धनुष हाद से फिसल रहा है, मेरी तवचा जल रही है, मैं खड़ा भी नहीं रह पा रहा है, और मेरा मन जैसे चक्कर खा रहा है, भ
00:37अब हाथ में टिक नहीं रहा, तन भी काम प्रहा है, और मन भरम में पड़ चुका है, ये केवल शारिरिक ठकावट नहीं, बलकि मो, शोक और भय का गहरा प्रभाव है, शिक्षा, जब हम अपने कर्तव्य से भागने लगते हैं, तो शरीर और मन दोनों हमारा साथ छोड़न
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