00:00दिपावली की बात हो और मिठी के दिया और खिलोनों का जिक्र ना हो यह तो हो ही नहीं सकता।
00:08कुमार समाज परंपरागत रूप से पीड़ी तर पीड़ी, मिठी के बरतन, दिया, घड़ा, आधिका निर्मान करता आ रहा है।
00:18दिपावली, छट जैसे तेवारों के मौके पर इनकी डिमांड काफी अधिक बढ़ जाती है। इस बार मौसम ने कुछ ऐसा परिशान किया है कि कुमारों के लिए दिया, खिलोना, बरतन, तयार कर पाना मुश्किल हो चुका है।
00:35लगतार हो रही बारिश की वज़़ से दिया और दूसरे बरतन और सामानों को धूप में शुखा पाना मुश्किल हो गया है। यह एक लंबी प्रक्रिया है, यदि ऐसा ना किया जाए तो इन्हें तयार करना मुश्किल हो जाएगा।
00:50तयारी तीन-चार मैना पहले से कर रहे हैं। इसके बाद बारिश में बहुत नुक्सान हो रहा है। रहोदम निकार हैं अचानक बारिश हो रही है। उसका चलते हम लोग का मिट्टी का बरतन बहुत बिला जा रहा है। और इस बार विक्री में भी असर पड़ेगा बारि�
01:20व्यवसाय को बचाने के लिए पूरा परिवार इस काम में जुट जाता है। महिलाएं, बच्चे और परिवार के दूसरे सदर्श भी यह काम करते हैं। कुमारों के लिए यह व्यवसाय चुनोती पुण हो गया है। ना सिर्फ मिट्टी बलकि लकडी और दूसरे सामान भ
01:50वो नहीं बन पा रहा है और थोड़ा मुड़ा बन भी रहा है। तो घर में इधर उधर रखे हुए हैं नई सुखने के कारण काम जो है पिंडिंग पड़ा जा रहा है। और जो दिपक बन रहा है थोड़ा सा भी अगर रखने का स्थान नहीं है तो वो खत्म हो जा रहा है
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