00:00मैं मूरिया दर्बार में भी उपस्तित हुआ, मुझे इतना आनंद आया, कि पूरे बस्तर संभाग के सारे मुख्या यहां पर उपस्तित, उन्होंने अपनी समस्याई सुनाई, और मैं तो आश्चेरे चकीत हूँ,
00:22दिल्ली में जाकर सब को बताऊंगा, एक बार मूरिया दर्बार देखिए, अठारा सो चुहत्तर से लेकर आत्ता, इस प्रकार की सक्रिय भागिदारी, नियाईक व्यवस्ता, आदिवासी संस्कूर्थी को बचाने का चिंतन,
00:44जन समवात की एक अइत्यासिक परंपरा साथ अर्थ में वैस्विक दरोहर है, वैस्विक दरोहरे.
Be the first to comment