00:00संगीत को विश्व भाषा कहा गया है इसका ना तो कोई अनुवाद होता है और ना कोई शब्द होता है बावजुद इसके ये भाषा सीधे दिल से जुड़ती है
00:11आज अंतराष्ट्रिय संगीत दिवस के अवसर पर हम मशूर सात्विक वीना वादत सलील भठ्ट जी से बात करेंगे
00:20और जानेंगे कि किस तरह से ये भाषा लोगों के दिल से जुड़ती है और इसके माध्यम से विश्व शांती स्थापित की जा सकती है
00:28उनसे बात करते हैं सलील सर सबसे पहले अंतराष्ट्री संगीत दिवस का महतो आपसे समझना चाहेंगे
00:35अंतराष्ट्री संगीत दिवस इंटरनाशनल म्यूजिक डे ये एक बहुत ही महतोपूर्ण पढ़ाव आया और जैसा कि आपने बताया कि 50 वर्ष हो गए
00:461975 में इसकी कॉंसिल बनी थी 50 वर्ष हो गए अब देखिए संगीत की वैश्विक भाषा है जिसे आपने बोला ना तो वही मैं उसी को मैं एक दूसरे अपने अंदाज में बता रहा हूँ
00:57कि संगीत एक वैश्विक भाषा है इसमें शब्दों का कोई बंधन नहीं है भाषा का कोई बंधन नहीं है क्या हुआ कि हमारा विश्व जो है वो भाषा और रिजन और रिलिजन इन तीनों के नाम पर बहुत बुरी तरह बट गया
01:21एक मातर संगीत एक मातर संगीत है एक ऐसी शक्ति जो संपूर्ण विश्व को एक साथ एक सूत्र में पिरोने का काम करता है करता आ रहा है सिर्फ यही शक्ति है संगीत की जो यह कारे कर सकती है
01:37सायुक्त राश्र महासंग जो इस विश्व की सबसे बड़ी सबसे ताकतवर जो एक संस्ता है जो सारे विश्व में जो समय खत्रे के बादल मंड़ा रहे हैं कम से कम दो दरजन देश आपस में एक दूसरे को तभा करने पे तुले हुए हैं
01:53तो सायुक्त राश्र महासंग का प्रयास ये था कि अंतराश्री सेशन्स बुलाके सब देशों के प्रतिनिधियों को बुलाके बैठके एक अच्छे से सवहादरपूर्ण वातावरण में उसको एक कारक्रम को एक ऐसा रूप दिया जाए
02:08कि हमारे संगीत से हमारे भारतिय संगीत से वैश्विक भाषा उसको बनाते हुए एक सो नब्बे से एक सो पिचानवे देशों के प्रतिनिधि उसको आके सुने एक घंटा पंदा मिट का हमारा वीड़ा वादन रहा मेरे गुरू जी ने विश्वकॉंस और कई सारी ऐसी र
02:38विश्वकॉंस की बात कर रहे हैं अन्य जो रागों की बात कर रहे हो क्या वाकई में ये लोगों के मनों मस्तिश्व पर असर करती हैं देखिए मैं आज आपको और आपके दर्शकों को एटीवी भारत के बड़ी महत्वपूर्ण जान कर यह बहुत रोचक जान करें देऊ
03:08यह लोग कोरेलेट नहीं कर पाते इसका तारतम में है यह प्रतेक चक्र के लिए एक सवर है आप समझे रहे मेरी बात को अगर यह चरीर के हमारे देहे मानव देहे के साथ चक्र और साथ स्वर इनसे अगर तारतम में बैठता तो इस विश्व में ना तो कोई लड़ाई होत
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