डॉ. प्यारे लाल गर्ग इस विशेष इंटरव्यू में बताते हैं कि भाषा इंसानों को जोड़ने का साधन है, लेकिन राजनीति और संप्रदायवाद ने इसे विवाद का कारण बना दिया है। बातचीत में उन्होंने विस्तार से चर्चा की—हिंदी बनाम पंजाबी का विवाद और लिपि की राजनीति, भाषा को धर्म और सत्ता से जोड़कर पैदा किए गए उन्माद, मातृभाषा में शिक्षा की अहमियत, और भारत की भाषाई विविधता का सम्मान करने की ज़रूरत। पूरा इंटरव्यू देखें और समझें कि भाषा ज्ञान और संवाद का माध्यम है, टकराव का नहीं।
00:00जॉक्टर साब, आप मल्टि लिंग्वल हैं, आपके इस कमरे में किताबे भरी हुई हैं, इंग्लिश की, हिंदी की, पंजाबे की, संस्कृट की, उर्दू की, हमरे ख्याल से कुछ और लेंग्वजिस भी आप जानते होंगे, भाशा को लेकर के मेरा भी कुछ आग रह रहता
00:30होगा, कोई भाशा आए नहीं रही होगी, लोग आपस में तब ही संवाद करते होंगे, तो भाशा जो एक जुडाव का माध्यम है, किस तरह से तक्रार का माध्यम बन जा रहा है, अपने देश में प्राया हम देखते हैं कि अलग लग राजियों में होता है, कि परवाशा �
01:00उमीद करूँगा कि पंजाब में हो भी ना, लेकिन एक मल्टि लिंग्वल परिस्नालिटी का तौर पर आपसे भी समझना चाहेंगे, कि क्या है, वो वजह क्या है जो परवाशा भाशी को निशाने पर लेती है, पहले तो जो मुनश्य बोलना तो सीख लिया, अब भी अक्
01:30अक्षर आया तो हम सभेवालने श्रू होगेям, अक्षर पहले हम ओरल, जावानी बात करते थे, पिछली ज्योनेरेस्ट्री जान हमें मिल गया, हमारा गया बात करभ़ः जासकता है, यग जगह का इस दूसरी जगह से हो सकता है, यह जगा से दोग आई, उनका गया आया, हम
02:00तो उस रूप में जो भाशा है कोई विवाद का मामला नहीं होनी चाहिए। लेकिन विवाद का मामला कब बनती है।
02:07हर इंसान अपनी भाशा में सीखता है। उसी में उसको बात बनती है।
02:12मैं दो छुट छुटी बातें बता हूंगा।
02:14एक लड़का चड़ा बहार तो उसको आर्भी सिखा दिया। फारसी। पर्ष्ण सीख लिया तो घर में आया। घर में बोलते थे अधिवासी थे।
02:26तो आया उसको प्यास लगी। तो वो आब आब बोलता रहा। आर्भी में तो गर्मी बहुत फटती है।
02:36तो आब आब करता रहा, पानी उसका निकल गया, मैं तो डाक्टर हूँ, पानी निकल जाता है, उसको मृत्ती होगी, तो रोने लगी, आस्परोस के आए, कोई पड़ा दिखा भी आ गया, तो आब आब करता रहा, तो पानी मांगता था, आब आब करें, बच्चा मुआ, फार
03:06इसमें एक प्रस पड़ जाती है, तो हमें पढ़ा जाता है, एंक्वी सास कर रहा है, उसका रंग कैसा होता है, एंक्वी सास होता है, हमें तो मालूम नहीं क्या एंक्वी सास क्या होती है, क्योंकि अंग्रेज़ों का लिखा हुआ है, एंक्वी को मच्छली होती है, वो मच
03:36पीक पड़ गया, तो निकालो, मैं रात को गया, जद मैंने वो कफीटर डाड़ा, तो देखा को जिगर से आई हुई है पीक, तो उसका रंग तो खाकी रंग था, भूरा बोल सकते हैं, खाकी बोलता है, ब्राउन के लो, तो मैंने वो देवकूफा पड़ा देते हैं, क्या ब
04:06पारमी डगाने होते हैं, तो अब हमारी क्या जगडा है, जैसे हिंदी बाले हैं, वो हिंदी तो पन्जाबी का जगडा बता, आपको मालूम ही चाहद, यहां क्या हुआ कि पन्जाबी यहां गुर्मक्री भाष्छा में लिखने की बात हुए, तो जो हम बनिया लोग थे, ह
04:36बिखने की बात हैं, जैसे में उच्छारिन भी वही है, वो नंडे इस भी बोलते थे, जैसे इंग्लिश में हम कोई वबल सिंबल नहीं होते, वबल तो हैं, इसी तरह है जहां भी पंजाबी में तो वबल सिंबल है, करना लगा दिया है, हिंदी में भी है, छोटी लगा दि
05:06हमें लगें बबबा ननना तबता है। वह ननना तो इसलिए जगडा पड़ गया, कि हम हिंदू तो अनफर बन जाएंगे, निरक्षर बन जाएंगे।
05:15फिर धीरे धीरे इंको समझाया कि पंजाबी जो भीखी जा सकते हो अच्छी इस ही में लिखी जाते हैं।
05:21वह हमारे जो बेस्ट पंजाब वाले हैं वह तो शामुकी में लिखते हैं। हमारे पास मेकदिन भी आते हैं। लेकर गुर्मखी में भी शामुकी तीन-tीन-4-4 भाज़ों में चबता है।
05:34तो उसमें जो गुर्मकी में ठीक लिखा जा सकता है, सुस्सक्रिप्ट का जगड़ा बना रहा, अब आप बोलते हैं है था, किया इनों ने धर्म का बना दिया था, कहते थे, जब हमारा पंजबी सुभा बना है, कहते थे, दोती, टोपी, जमना पार, दूसरे बोलते थे, जो
06:04जबके भार्षा को धर्म से नहीं जोड़ा, मैं तो इसका बोलते हैं, मैं पर्टियारा में गांधी दर्शन टेन आया, मैं मेडिकल कॉल में परता था, 69 की बात, तो मैं वहां देखा, तो विस्टर वुक के ले मैंने भिख दिया अपना कमेंटर, तो वहां चार-पंज ल�
06:34मेरे को कोई गर्ती नहीं मिली, तो उसके बाद मैं चुपकर किया, वह फिर बुढ़ने लगे, भाईसा भाई हिंदी ने पंजाबी नहीं आती थी, तो मैंने तब मेरे को चार भाशा है थी, मैंने गर्णा देखिए मेरे को पंजाबी सबसे जादा आती है, उससे कम इंग्
07:04मेरे को कोई नहीं बोल सकता कि आपकी भाशा, मेरे भाशा पंजाबी है, लेकिन मैं किसी भाशा के नरादर मी करता, जैसे मेरे को मेरे को मेरी भाशा प्यारी है, आपको अपनी प्यारी है, इनको इनकी प्यारी है, मेरे को उसका सथकार करना चाहिए, मैं उसका संदमान क्य
07:34प्ञेभु सिक्षानी बाता है। शॉघ इसलिए यह जो बना दिया, आप जो बात कर रहे हैं।
07:52यह स्पश्मूरे का पूरा कहने में बुरा लगता है।
07:55यह कहले हैं बेकिन सैंट्गी लिए कि फैसला कर लिए यह इनकी भाशा हिंदी नें चरू संस्कृत है और यह सब के हिंदी ठोपते हैं अब भी जो नही शिक्षज जीती ऊसें पूरे हिंडी का प्रचार और यह उसमें दिखा है कि हर एक स्पूर को संस्कृत पढ़ाने का प
08:25तो यह क्या है? हर स्कूल में पिलिए अच्छा, अभी क्या किया? मैं क्यों बोलता हूं? क्यों जगडा बनता है? तामल की बाद तो जब आएगी, आएगी. अभी CBAC ने पांच विशे रखे हैं, जरूरी,
08:39कंपट्सरी, दस्वी में, मैट्रिक में, उनमें क्या है? हिंदी, इंग्लिश, सोचल साइंसेज, विज्ञान, घनित, मैटमेट्स, हमारी सब भाशाय निकल गी, कुछ की फिर उसके आगे रखा है, कुछ आर्ट के रिशे हैं, कुछ नेंग्योज के हैं, उन नेंग्योज में
09:09केंदर सरकार की, वो लोगों को भाशा के, फिर जब आपे हमला होगा, आप डिफेंस्व जादा हो जाते हैं, कहने का मेरा अतात्परिया गे है, कि हमें दूसरे की भाशाकारी सितकार करना के रहे हैं, लेकिन ये इसका कार्ण बड़ा गे है, कि जो आर्एस ने जितने ने �
09:39क्योंकि आपने लोगों को बास नहीं है, अभी भी आपने बड़ा के लिए आप बोलते हैं, इनको सम्झी भी आएगा, हमारे पिंजाबी लोगों को हिंदी समझा जाती है, लेकर हिंदी वालों को पिंजाबी समझा नहीं आती है, अगर मैं आप से बात करूँ हूँ, मैं �
10:09यह उन्माद जो पया है वह यह जादा उन्हों किया है
10:13जो हिंदू वद्राइधिय हैं जो मानते हैं के हिंदू के देश हैं हिंडी वे भाषय है थाहिए है
10:18अचे दफा मैरे एक छोटी सी बात मैं इंट अब करें को जवाब नियं विता है
10:23रच्ष शास्त्र शे वीमिघू का ही, तो वह ऀंदू थें अगरवाल, तो मेये को कहने लगे हमारी भाषा तो हिं।
10:35मात्री भाषा हमात्र भाषा ही का सविविघूर, का साथ भी।
10:40कहने लगे हमारे grant ही हिंडी में हॉत शुक्त迅गों कि हीध।
10:49को छुब करने दरेकीत कि रहे है। बिलकुलुप
11:02और सम्स्थम्टित है وتछूदे कि तछी रूखें रेकिजार में संस्कृट में चुणित, पंणवन्यी एनध्नी में संकृत ये
11:07स्टुर्क, संस्कृट até मीनमें शुशनमर्ट, तो ये आप दन्वंट्री तो बु pit tis
11:13पाननी संस्कृत करा है करने तूछ है तो आप धन्वंतरी तो पूरत संस्कृत में दिखा तो आप कहां से बोगते हैं कि हमें तो इसलिए यह गड़ प्रान पड़ा है अब तो यह तो है हिंदी ने लिकिन और इसलिए हमें यह देखना होगा के भाषा पे उनमाद जो पैदा
11:43बता देता हूं एक भार्स की सेंटर और्गनाशन से मेरे को लेटर आया कि हमने हिंदी भाषी राजी जो हैं उनकी एक कारियाशार दा लगानी है तो मैंने उसको को जवाब नहीं दिया कुछ दिन के बाद मेरे पास फोन आया सर आपने वह जवाब नहीं दिया हमने वह भे
12:13मैंने बोला मैं इसका मेरे फिलोसोफिकल जगडा है जब आप हमें हिंदी भाषी बोलते हमें बुरा दिपता है क्यों इसका रीजन है हिमाचम में बोलते तो हिमाचमी है लेकिन उनकी सिक्रेप्ट नहीं है इसलिए हिंदी भाषी बना दिया राजसान में बोलते तो राज
12:43अब ये मादग भूबजत्व ह्याना भी हैं
12:46लेकिन उनको भी हिंडी भाशी बना दिया
12:47जिनके पास सीरेप्ट नहीं है उन सब को हिंडी-भाशी kupना दिया
12:51उनके भाश भाशस हें नहीं तो
12:53आप तो रोजी जाते हैं पूब जानो किसी से
12:56हर्याना वाले कौंट्सियां जो हिंदी बोलते हैं लोग तो इसलिए हमें यह देखना होगा मैंने उनको बोला कैसे मत करो जिसकी जो भाषा उसका सत्कार करो तामर नारू वाले इसलिए हैं अब जब देखिए मैं पचास साल पहनी भाषा क्यों जरूरी है पढ़ाई में मात
13:26कैसे ना अब मैंने आपको स्वाल कर दिया कि वट अधी जूजस ऑव सिक्रूडरेवर आपको तो मरूम नहीं जाता है आप नहीं जानते इस लड़के को आता है कि सक्र्यूडरेवर क्या तो इन चूज़ टाइटन डी सक्रूब बस यह फस्त आ घा आपको उसके बीस कामात
13:56आपको मादूम भी भाषा के कारणा आपको अनराक बना दिया।
13:59भाषा बहुत इंपोर्टेंट है ग्यान के लिए।
14:02भाषा बहुत इंपोर्टेंट है आपको आगे ग्यान अर्जित करने के लिए।
14:05आपके जॉब के लिए।
14:07मात्री भाषा में सीख लो, बाक्री भाषा सर सीख जाएंगे, हमाने के बाषी साब, नेने मैट्रिक तक पूरी पड़ाई पंजाबी में की है, मध्यम पंजाबी था हमारा, विग्यान भी पंजाबी में पड़ी, लिकन कॉल्जी में तब तो प्लास वन कॉल्जी में प्री �
14:37तो इसलिए भाषा में अब तामर्द में बेना है, तो इसमें क्या दिकता है, बेने ने दो, आप मेरे को एक बात बताएगे, मैं आपके निवेजन कर रहा हूं, जो तामर्द में डाक्टर बनेंगे, तामलियन, उन में से ज्यादा नीच, 70 परसंट तो तामर्द भी करें�
15:07दिकता है, कन्नेडा में पेपर हजर तो क्या दिकता है, ठीक अंग्रेजी साथ में पर लो, मराथी में हो जाए, तो क्या दिकता है, क्यों नहीं होना चाहिए, इतने बड़ी, 13 क्रोर के वाद्धी है, अरमोस 10% of the country's population is in Maharashtra, अब 10% आवादी जो है, 10% उसका बोलते हैं, �
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