छत्तीसगढ़: 100 रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में इस बुजुर्ग को 39 साल की लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी. आखिरकार 39 साल बाद हाईकोर्ट ने जागेश्वर प्रसाद अवधिया को आरोपों से बाइज्जत बरी कर दिया. जिस वक्त जागेश्वर प्रसाद पर आरोप लगे, उस वक्त उनका उम्र करीब 44 साल थी. चार दशक के चार दशक लंबे अंतराल ने ना सिर्फ उनसे उनका मान-सम्मान छीन लिया, बल्कि पारिवारिक जिंदगी को भी तबाह कर दिया. मामला 24 अक्टूबर 1986 का है, उस वक्त छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश का हिस्सा था और जागेश्वर प्रसाद मध्यप्रदेश राज्य परिवहन निगम रायपुर में बिल सहायक पद पर तैनात थे. रिश्वतखोरी का आरोप लगने के बाद रिश्तेदारों ने जागेश्वर प्रसाद से किनारा कर लिया. 2001 में नौकरी से रिटायर होने के बाद उन्हें रिटायरमेंट का भी पूरा लाभ नहीं मिला, ऐसे में गुजर बसर करने के लिए उन्हें मेहनत-मजदूरी करनी पड़ी. अब छोटे बेटे नीरज के साथ उनकी जिंदगी गरीबी में कट रही है। हाईकोर्ट से बाइज्जत बरी होने के बाद जागेश्वर प्रसाद सरकार और विभाग से अपने हक की मांग कर रहे हैं.
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