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Durga Ashtami 2025 Date: शारदीय नवरात्रि 2025 (Navratri 2025) में मां दुर्गा (Maa Durga) के नौ रूपों की भक्ति के साथ पूजा का पर्व मनाया जा रहा है। इस वर्ष कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त अष्टमी 29-30 सितंबर और नवमी 30 सितंबर-1 अक्टूबर को है। 2 से 9 वर्ष की कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर पूजन किया जाता है, जिससे सुख, समृद्धि और मानसिक शांति मिलती है। व्रत और पूजा के दौरान श्रद्धा और नियमों का पालन आवश्यक है। नवरात्रि में विशेष अष्टमी-नवमी तिथि का महत्व है और सही मुहूर्त में कन्या पूजन करना मां दुर्गा की कृपा पाने का उत्तम उपाय है।

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~HT.410~PR.250~ED.108~GR.124~

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Transcript
00:00कब है अस्टमी नवमी?
00:03कंचक पूजन का सही समाई क्या है?
00:07जाने शब मुहरत और संपून विधी
00:10शारदिय नवरात्री का पर्व पूरे भारत में शध्धा और भक्ती के साथ मनाया जा रहा है
00:17ये पर्व मातुरगा के नारूपों की उबासना का विशेश अफसर होता है
00:23जो इस वर्ष 2 अक्टूबर 2025 को विज्य दर्शमी के साथ समाप्त होगा
00:29इस दोरान भक्तिचन व्रत रखते हैं और मा के विभिन श्वरूपों की पूजा करते हैं
00:35नवरात्री के अंतिम दिन अश्टमी और नवमी तिथी का विशेश महत्व होता है
00:41क्योंकि इन तिथियों पर कन्या पूजन का आयूजन किया जाता है
00:45इस वर्ष अश्टमी तिथी 29 सितंबर 2025 को शाम 4 बच कर 31 मिनट से शुरू होकर
00:5430 सितंबर को शाम 6 बच कर 6 मिनट पर समाप्त होगी
00:58उद्यातिति को मानिता प्राप्त होने के कारण दुर्गा अश्टमी 30 सितंबर को मनाई जाएगी
01:04इसके बाद नवमी तिथी 30 सितंबर को शाम 6 बच कर 6 मिनट से प्रयारम भोकर
01:11एक अक्टूबर शाम साथ बचकर दो मिनट तक रहेगी इसलिए नवमी एक अक्टूबर दो हजार पचीज को मनाई जाएगी
01:20कन्यपूजन का शिम मुरत अस्टमी के दिन 5 बचे से 6 बचकर 12 मिनट तक और फिर 10 बचकर 40 मिनट से 12 बचकर 10 मिनट तक रहेगा
01:43दिन मा दुर्गा की पूजा के बाद घर पर दो से नौवर्ष की कन्याओं को आमंत्रित किया जाता है जिने देवी का रूप माना गया।
02:13मादुर्गा की विशेश कृपा बनी रहती है। कन्याओं करते समय श्रद्धा और भक्ति का भाव सबसे आवश्यक है। ये पूजन शुद्धता और नियमों के पालन के साथ करना चाहिए। पूजन के दौरान घर में शुब्धा बनी रहती है और नकारात्मक्ता दूर होत
02:43अत्यांत प्रिया है और इससे भक्तों के जीवन में सुख, सम्रिध्धी वाशान्ती आती है। शास्त्रों के अनुसार ये पूजन करने से संतान, सुख, सफलता और मानसिक शान्ती की प्राप्ती होती है। इसलिए तैति थी और शुब मुरत में विधिपूर्वक कन्या �
03:13प्राप्ती है।
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