छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक अनोखा मंदिर है, जहां फल नहीं कंकड़ चढ़ाए जाते हैं. ये बगदाई माता का मंदिर है. इस मंदिर में दूर से भक्त आते हैं और मन्नत पूरी होने पर माता को पत्थर चढ़ाते हैं. 1990 में इस मंदिर का विस्तार हुआ. वन माता की नई प्रतिमा स्थापित की गई. मंदिर कितना पुराना किसी को पता नहीं है. मंदिर के पूजारी बताते हैं कि जहां आज मंदिर है वहां पहले घना जंगल था. माता ने एक चरवाहे के सपने में आकर अपना पता बताया. चरवाहा जब जंगल में पहुंचा तो वहां मां विराजमान थीं. चरवाहे ने माता से कहा कि उसके पास चढ़ाने के लिए कुछ नहीं, तो मां ने कहा कि जो तुम्हारे आस पास मौजूद है वहीं तूम चढ़ा दो. चरवाहा ने जमीन से कंकड़ उठाया और माता को अर्पित कर दिया. तब से वन देवी या बगदाई मंदिर में कंकड़ चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है.
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