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  • 5 days ago
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक अनोखा मंदिर है, जहां फल नहीं कंकड़ चढ़ाए जाते हैं. ये बगदाई माता का मंदिर है. इस मंदिर में दूर से भक्त आते हैं और मन्नत पूरी होने पर माता को पत्थर चढ़ाते हैं. 1990 में इस मंदिर का विस्तार हुआ. वन माता की नई प्रतिमा स्थापित की गई. मंदिर कितना पुराना किसी को पता नहीं है. मंदिर के पूजारी बताते हैं  कि जहां आज मंदिर है वहां पहले घना जंगल था. माता ने एक चरवाहे के सपने में आकर अपना पता बताया. चरवाहा जब जंगल में पहुंचा तो वहां मां विराजमान थीं. चरवाहे ने माता से कहा कि उसके पास चढ़ाने के लिए कुछ नहीं,  तो मां ने कहा कि जो तुम्हारे आस पास मौजूद है वहीं तूम चढ़ा दो. चरवाहा ने जमीन से कंकड़ उठाया और माता को अर्पित कर दिया. तब से वन देवी या बगदाई मंदिर में कंकड़ चढ़ाने की परंपरा चली आ रही है.

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Transcript
00:00યहाँ माता को फल नारियल यह मिठाई नहीं कंकड चड़ाए जाते हैं
00:08યह मंदिर 36 गड के विलास्पूर का बगदेई माता मंदिर है
00:12રवाध के दिनों में इस मंदिर में भक्त दूर-दूर से आते हैं
00:16और मन्नत पूरी होने पर मा को पांच गोटा यानि पांच पत्थर के टुकड़े चड़ाते हैं।
00:231990 में इस मंदिर का विस्तार हुआ, वन देवी माता की नई प्रतिमा स्थापित की गई।
00:412018 में जोतिरलिंग और 2021 में राम जान की राधा कृष्ण दर्वार का निर्मान कराये गया।
00:47मंदिर कितना पुराना है किसी को नहीं पता।
00:50लेकिन पुजारी बताते हैं कि यहां पहले घना जंगल हुआ करता था।
00:54माता को कंकर पत्थर चड़ाने की परंपरा उसी समय से चली आ रही है।
01:06ETV भारत के लिए 36 गड़ के विलासपूर से संजयादव की रिपोर्ट
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