00:00नमस्कार मैं हूँ शम्स ताहर खान और आप देख रहे हैं वारदाद
00:03काबल से दिल्ली के लिए एक प्लेन उड़ता है
00:0690 मिनट के इस सफर के दोरान प्लेन की स्पीड थी 700 किलो मिटर परती घंटा
00:12इस दोरान जहाज ने 40,000 फीट की उचाही को छुआ
00:17जहां तापमान था माइनस 50 डिगरी
00:2090 मिनट के सफर के बाद आखिर कार ये प्लेन दिल्ली के इंद्रा गांधी इंटरनेशनल एरपोर्ट पर लैंड करता है
00:27तमाम मुसाफिर प्लेन के अंदर से बाहर निकलते हैं
00:32लेकिन 13 साल का एक बच्चा प्लेन के पहिये से बाहर निकलता है
00:36जी हां इस बच्चे ने काबुल से दिल्ली तक का ये पूरा सफर इस प्लेन के लैंडिंग गेर में बैट कर टै किया था
00:44काम एरलाइन्स की उड़ान संख्या आरक्यू टेबल फोर जीरो वन काबुल से दिल्ली जाने के लिए तयार थी
01:04प्लेन में मुसाफिरों और कुरो मेंबर को मिला कर गरीब 200 लोग सवार थे
01:08काबुल से दिल्ली तक की 694 मील तक की ये दूरी लगबग दो घंटे में पूरी होनी थी
01:16इस दोरान प्लेन को 35 से 40,000 फीट की उचाई चुनी थी
01:21और 700 किलोमेटर की स्पीड से सफर तै करना था
01:27काबुल और भारत के टाइम जोन में एक घंटे का फर्क है
01:30टाइम जोन के हिसाब से भारत काबुल से एक घंटा आगे है
01:35काबुल के लोकल टाइम के हिसाब से ये प्लेन सुबह 7 बचकर 56 मिनट पर टेक आउफ करता है
01:42यानि तब भारत में 8 बचकर 56 मिनट हुए थे
01:47प्लेन उडान भरने के बाद तैय रूट और तैय वक्त के हिसाब से दिल्ली की तरफ अब तेजी से बढ़ा है
01:55चुकि काबुल से दिल्ली तक की ये डारेक्ट फ्लाइट थी इसलिए इस प्लेन ने करीब 40,000 फीट की उचाई कुछ हुआ
02:04मौसम साफ था और दिल्ली एरपोर्ट पर रश भी रही इसलिए तैय वक्त से 30 मिनट पहले ही काम एरलाइन्स का ये विमान दिल्ली के लोकल टाइप 10 बच कर 20 मिनट पर टर्मिनल 3 पर लैंड करता है
02:19यानि काबूल से दिल्ली तक का सफर इस प्लेन ने सिर्फ एक घंटे और 24 मिनट में पूरा कर दिया था
02:26इंद्रा गांधी इंटरनेशनल एरपोर्ट पर प्लेन लैंड करने के बाद अब तैट टैक्सी पर जाकर जुख जाता है
02:33थोड़ी देर बाद एक एक करब तमाम मसाफिरों को नीचे उतरना था
02:38अब तक काम एरलाइन्स का ग्राउंड स्टाफ भी प्लेन के करीब पहुँच चुका था
02:43तब ही ग्राउंड स्टाफ की नजर एक ऐसी चीज़ पर पढ़ती है कि वो तंग रह जाते है
02:48ग्राउंड पर प्लेन के पहीए के गरीज़े एक बच्चा ख़डा था
02:52उसने काले रंग का कोट और खाकी जैसे रंग कर्था पहें रखा था
02:59प्लेन का दरyuजा खुलने और मुसाफिरों के नीचे उतरने से पहले
03:03इस बच्चे को ग्राउंड पर प्लेन की करीब देखकर ग्राउंड स्टाफ हैरानी से उससे पूचता है कि वो कौन है और यहां क्या कर रहा है
03:12इसके बाद यह बच्चा जो कहानी सुनाता है उसे सुनकर ग्राउंड स्टाफ को यकीन ही नहीं होता
03:19उसने बताया कि वो इसी जहाज से काबल से यहां पहुंचा है
03:24लेकि जहाज में बैट कर नहीं बलकि जहाज के लैंडिंग गेर में बैट कर नहीं
03:41यह सुनते ही ग्राउंड स्टाफ फॉरण सी आईसिफ को इसकी सूच ना देते हैं
03:46सी आईसिफ के टीन फॉरण मौके पर पहुंचती है
03:50सबसे पहले तो वो यह देखती है कि यह बच्चा ठीक है की नहीं
03:54इसके बाद उसे फॉरण अपने साथ ले जाती है
03:56एरपोर्ट पर मौजूद डॉक्टर सबसे पहले उस बच्चे की जाच करते हैं
04:03बच्चा ठीक ठाक था अब सी आईसिफ उस बच्चे से पोच्चता शुरू करती है
04:07इसके बाद ये बच्चा काबूल से दिल्ली तक के इस सफर की जो कहानी सुनाता है
04:12उसे सुनकर खुद सी आईसिफ को इस बात पर हैरानी होती है
04:16कि ये बच्चा अब तक जिन्दा कैसे है
04:19इस बच्चे की पूरी कहान कुछ यूँ है
04:27तेरा साल की उमर का ये बच्चा अफगानिस्तान के कंदुच शहर का रहने वाला है
04:36कुंदुच से ये काबूल पहुंचता है
04:38फिर काबूल एरपोर्ट से ये बिना टिकेट पासपोर्ट या वीजा के एरपोर्ट के अंदर दाखिल हो जाता है
04:44इसके बाद बिना किसी रोक टोक के रनवे तक पहुंच जाता है
04:48इस बच्चे को इरान जाना था
04:51इरान की राजधानी तेहरान के बारे मिए इसने जानकारी हासल कर रखी थी
04:56काबूल ऐरपोर्ट आने का इसका मकसद तेहरान जाने वाले जहाज में ही बैटना था
05:02इत्तफाक से रविवार की सुभा जब ये एरपोर्ट और फिर रन्वे पर पहुँचा तब काम एरलाइन्स उलान संख्या आर क्यू डबल फोर जीरो बन दिल्ली जाने के लिए रन्वे पर खाने थी
05:13पैसेंजर प्लेन की तरफ बढ़ रहे थे उन्हीं पैसेंजर के साथ ये भी जहास तक पहुँच गया इसे पता था कि बिना टिकेट पासपोर्ट या वीजा के ये प्लेन में बैठ नहीं सकता इसलिए इसने जहास में बैठने की नई तरकीब निकाली
05:29चुकि प्लेन अब तक एरपोर्ट के टैकसी पर खड़ा था लियादा सारे पहिये खुले हुए थे प्लेन के पहियों के उपर एक खाली बॉक्स जैसी जगा होगी है जिसे आम जुबान में लैंडिंग गेर भी कहते हैं
05:44सभी से नजरे बचाता हुआ ये प्लेन के पिछले पहिय यानि लैंडिंग गेर में छोटी सी खाली जगा पर जाकर बैठ जाता है लैंडिंग गेर में बैठते इस बच्चे को कोई देखी नहीं पाता बच्चे के पास कोई सामान नहीं था सिवाए लाल रंग के एक छोट
06:14लैंडिंग गेर में पहुँच जाते हैं उन्हीं लैंडिंग गेर में से एक में पोने में दुपका ये बच्चा भी बैठा था
06:21करीब डेड़ घंटे के इस सफर में प्लेन चालीस हजार फीट की उचाई पर पहुँचा है इतनी उचाई पर अमूमत तापमान माइनस पचास डिगरी तक पहुँच जाता है
06:37साथी दस हजार फीट की उचाई के बाद आकसीजन भी खत्म हो जाता है आम तोर पर बिना आकसीजन के इस उचाई पर जिन्दा बजने की गुझाईश कम ही होती है
06:48सासे खुट जाती है और इनसान मर जाता है जबकि माइनस पचास डिगरी तापमान ठंग की वज़ा से न सिर्फ खूंग जम जाता है बलकि कई बार तो शरीर फट पक जाता है
07:00इसके अलावा इंजन का शोर कान के परते फार जाता है लेकिन इन सब के बावजूर करीब 90 मिनट तक माइनस पचास टिगरी तापमान में बिना आकसीजन के ये बच्चा काबूल से दिल्ली तक का सफ़ा जिन्दा रहते हूं पूरा कर लेता है ये किसी करिशमे से कम नहीं
07:30भी यानी खुफिया बीरों को यकीन हो गया कि ये बच्चा गलती से दिल्ली आने वाले प्रेंग में पैट गया था इसे जाना तहरान ही था
07:38इस बच्चे की कमूमर, अफगान अथोरिटी और कुंदुद में उसके घरवालों से बात करने के बाद
07:46सियाई सिफ और भारती एजिन्सियों नी ये तै किया किस के खलाफ कोई केस तर्च नहीं किया जाएगा
07:52इसी के बाद उसी काम एरलाइन्स के काबल की वापसी की फ्लाइट में इस बच्चे को बिठा दिया गया पर इस बाद जहास के अंदर
08:01शाम चार बजे दिल्ली से काबल के लिए काम एरलाइन्स की ये फ्लाइट उड़ती है और शाम तक ये बच्चा वापस काबल पहुंच जाता है
08:11US Federal Aviation Administration यानी FAA के एक डेटा के मताबिक 1947 से लेकर 2021 तक दुनिया भर में कुल 135 लोगों ने लैंडिंग गेर में सफर किया
08:26इन में से 77 फीसदी लोगों की तम घुटने या खून जम जाने की वज़ा से मौत होगी
08:3231 साल पहले ठीक इस बच्चे की तरह दो भारतिये नौजवानों ने भी लैंडिंग गेर में बैठ कर सफर किया था
08:44पंजाब के रहने वाले इन दो भाईयों के नाम प्रदीप सैन्प और विजय सैनी थे
08:491996 में परदीप और विजय इसी इंद्रागांथी इंटरनेशनल एरपोर्ट से ब्रिटिश एरवेस की एक उडान की लैंडिंग गेर में जा पैठे थे
08:59इन दोनों को लंडन जाना था पर ये सफर दस घंटे से भी ज्यादा का था
09:04तब भी प्लेन 40,000 फीट की उचाई पर उडा और उस वक्त भी इन दोनों ने माइनस 50 डिगरी के तापमान में सबत तै किया
09:12आला कि लंडन के हीत्रो एरपोर्ट पर इन दो भाईयों में से एक ही जिन्दा पहुँच पाया
09:18प्रदीप जिन्दा पहुचा था जबकि विजय की मौत होगी
09:22बाद में प्रदीप को ब्रिटेन की अदालत में वहां की नागरिक्ता दे दी
09:26प्रदीप आज भी लंडन में अपने परिवार के साथ रहता है
09:30विजय सैनी की मौत आक्सीजन न मिलने और ठंड के चलते खून के जम जाने वजह से हुई थी
09:37मनीशा जहा के साथ सुपरतीम बैनर ची दिल्ली आज तक
09:46नुएडा में एंट टीचर्स डे से पहले एक बच्ची स्कूल जाती है
09:50चटी किलास में पढ़ने वाली ये बच्ची जब स्कूल गई तब बिल्कुल ठीक ठाक थी
09:55लेकिन इस्कूल पहुचने के बाद अचानक उसकी मौत हो जाती है
09:59अब ये मौत कैसे हुई? मौत की वजह क्या थी?
10:02नहीं ये स्कूल बता पा रहा है और नहीं पोस्ट मौटम रिपोर्ट
10:06इस माँ पर एक आएक दुखों का पहाड तूप पड़ा है
10:20इसकी दस साल की बच्ची रोज की तरह चार सितंबर यानि शिक्षक दिवस के ठीक एक दिन पहले अपने स्कूल गई थी
10:27लेकिन अचानक उसकी तबियत ऐसी बिगडी की चंद मिंटों के अंदर ही उसकी जान चली गए
10:32एक बच्ची की स्कूल में इस तरह हुई रहसमई मौत का सबब फिलहाल किसी को समझ में नहीं आ रहा
10:41ये नेचुरल डिथ है, कोई एक्सिडेंट है या फिर किसी की लापरवाही का नतीज़ा ऐसे कई सवाल है
10:48मामला नौडा के सेक्टर 31 के एक नामी प्राइवेट स्कूल का है
10:54तनिश्का क्लास 6 में पढ़ती थी
10:56उसके घरवालों का कहना है कि सुबह घर से स्कूल जाते वक्त बच्ची बिलकुल सही सलामत थी
11:02वो अपने टीचर के लिए गिफ्ट भी ले कर गई
11:04लेकिन नेकाएक स्कूल वालों ने उन्हें फोन करके कैलाश अस्पताल पहुँचने के लिए कहा
11:10और जब तक घरवाले अस्पताल पहुँचे तब तक तनिश्का सब को छोड़ कर जा चुपी थी
11:15मुझे साड़े ग्यारा बजे कॉल आया था
11:20कि मेरी बेटी बेहोश हो गए है और इसको हॉस्पतल ले जा रहे है
11:24मैंने तुरंट उसके चाचा को फोन किया चाचा पहुच गए विदिन 10 मिनिट्स वहां पे जाके पता लगता है कि शी वस ब्रॉट डेड
11:34सीधा हॉस्पिटल पहुचे थे स्कूल ने भी मुझे यही बोला था कि माम एमर्जेंजी है आप तुरंट आये और जब वो पहुचे पल्स नहीं थी और डॉक्टर सेट कि बिना पल्स के हाटबीट के बचा आया था
11:49बच्ची की मां का कहना है कि जब उन्होंने बच्ची की मौत के बाद स्कूल प्रशासन और उसके टीचर्स से बादचीत की तो उन्हें एक नहीं बलकि कई अलग-अलग वर्जन का पता चला
12:00जिससे उन्हें अपनी बच्ची की मौत की असली वज़स समझ में नहीं आ रही
12:04किसी ने कहा उसकी तबियत टिफिन खाते हुए बिगडी
12:07किसी ने कहा कि वो सीड़ियों से उपर जा रही थी
12:11तो किसी ने कुछ और कहा
12:13उधर इस मामले की शिकायत सामने आने के बाद
12:16नौड़ा पुलिस ने बच्ची के शव का पोस्माटम करवाया
12:19लेकिन मौत की वज़स साफ नहीं हो सकी
12:21पुलिस ने आगे की जांच के लिए विसरा सुरक्षित रख लिया है
12:25घरवलों का इलजाम है कि स्कूल प्रशासन से कई बार कहे जाने के बावजूर
12:30वो बच्ची के आखरी पलों का CCTV फुटेज नहीं दिखा रहे है
12:34हलंकि स्कूल की प्रिंसिपल का कहना है कि CCTV का DVR पहले ही नौड़ा पुलिस अपने साथ ले जा चुकी है
12:41इसलिए वो CCTV फुटेज नहीं दिखा सके
12:44पुलिस ने इस सिलसिले में दोनों पक्षों का बयान दर्ज कर लिया है
13:07और मामले की जान जारी है
13:08मौत की वज़ा पर रहस्य परकरार है
13:11भूपिंद्र चौधरी के साथ हिमान शुमिश्र नौइडा आज तक
13:16तो वारदात में फिलाल इतना ही
13:20मगर देश और दुनिया की बाकी खबरों के लिए आप देखते रही आज तक
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