01:50आने, में एचावर्तिए चित्रकाण्याओता उत्येश पंचेका, कि पत्रावे, कि माँ पलिसाज पानावसंची पत्रावे पंदोल देखती, तेचा खंडस्ता आपन आपनी साथ उप्प्य के लगतात।
01:58आने अप्तेची बानना सोन, यह आपन दस्त्रयाची निमताना सर्वानना वाटतास्तु, सोन जहां सोनलासका रास बोलन तेसा उप्य करदास्तु, आने येचा महत्वा वलकुन तेचा वर्तिस में नौ दर्गेची रूप साकार गें
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