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CJI BR Gavai: सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी जिसमें खजुराहो (Khajuraho) के वामन मंदिर में खंडित विष्णु मूर्ति को बदलने की मांग की गई थी। CJI बी.आर. गवई (CJI BR Gavai) ने सुनवाई के दौरान कहा – "अपने भगवान को ही कुछ करने कहो!" कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है और भक्तों में चर्चा का विषय बनी हुई है। क्या इस फैसले से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची?

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~PR.250~HT.408~ED.106~GR.122~

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Transcript
00:00सीजी आई बोले जाओ भगवान से कहो कुछ करने को
00:13सीजी आई की विवादे टपणी से बवार
00:17क्या है पूरा मामला, कोट में क्या हुआ
00:21सुप्रीम कोट ने हाली में खजुराहो के जावरी मंदिर में भगवान विश्मु की
00:27खंडित मूर्ती को फिर से स्थापत करने वाली मांग याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया
00:33याचिका करता राकिश तलाल का कहना था कि ये मूर्ती मुगलकाल में तूड़ दी गई
00:38और आजादी के 77 साल बाद भी इसे उनर्स थापत नहीं किया गया
00:44उनका दावा था कि ये सरकार की लापरवाही है जिससे शरद्धालूं के पूजा के अधिकार का उलंगन हो रहा है
00:51मामले की सुनवाई भारत के मुख्यन्यायधीश बी आर गवई और जस्टिस ऑक्स्टिन जॉर्ज मसी की पैंच के सामने हुई
00:58यहाचिका करता की और से वरिष्ट वकील संजनूली पेश हुए और अदालत को बताया कि इस मुद्धे को लेकर लंबे समय से प्यास किये गए जनभियान, ग्यापन और विरूद भी हुए लेकिन कोई असर नहीं पड़ा इसलिए अब सुप्रीम कोट के हस्तक्षिप की अ
01:28की अनुमती के बिना नहीं होगा।
01:58सुप्रीम कोट का कहना है कि अगर याची का करता इस विशय में आगे कोई कदम उठाना चाहती हैं तो उन्हें सीधे ESI से संपर्क करना चाहिए क्योंकि वही संस्था ऐसे समारकों के रख रखाव और बदलाव के लिए जिम्मदार है।
02:28को कूली कर अदालतों का दर्वाजा खटखटाते हैं।
02:31अदालत ने ये भी साफ किया कि संस्कृतिक या फ़र धार्मिक मुद्दों को भी तैदायरे में रहकर हल किया जाना चाहिए।
02:38कोल मिलाकर सुप्रीम कोर्ट ने ये स्पष्ट कर दिया कि अदालत की भूमिका कानून की सीमाओं के भीतर ही रह सकती है।
02:46और वो किसी संरक्षित समारक में मूर्ती की पुनरस्थापना जैसे मामलों में सीधा हस्तक शेप नहीं कर सकती।
02:53अब ये देखना होगा कि या चिका करता ASI के सामने ये मुद्धा किस तरह रखते हैं और वहां से कोई रहत मिलती है या नहीं।
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