00:54लेकिन 2012 में अपने मूर्तिकार पती बाबू पाल की दिल का दोरा पढ़ने से हुई मौत के बाद
01:01उनकी विरासत को संभालने के लिए वो घर के चोखट से बाहर निकली
01:06अपनी लगन और मेहनत की बदोलत उसने मूर्तिकला की बारीकियां सिखी
01:12मेरा हजबन डेट करने के बाद ही हमको इलाइन में आना पड़ा है करेके उसी टाइम तो एवला स्टूडियो चल रहा था
01:20तो बंद कैसे हो जाएगा मूर्ति उसी ताम दुर्गा मूर्तिका का काम चल रही है यहां
01:24शुरुवात में माधवी को थोड़ी बहुत परिशानिया आई
01:46उस वक्त उसके पती के साथ काम करने वाले कारिगर उसका साथ छोड़ कर चले गए
01:52लेकिन अब तो उसके साथ काम करने वाले मूर्तिकार उसकी तारीफ करते नहीं ठकते
01:59माधवी की बेटी बंगलरू में जबकि बेटा चेननई में जॉब करता है
02:18माधवी को अब इतनी सी शिकायत है कि सरकार उन जैसे कलाकारों की भलाई के लिए कुछ नहीं करती
02:26कि संगहर्स के बीच से इन्होंने रास्ता बनाया है ना सरिफ अपने लिए अपने बच्चों के लिए
02:31बलकि कई और जो मूर्तिकार हैं जो इनके अंदर में काम करते हैं उनके घर परिवार भी इससे चल रहे हैं
02:38दुख इस बात की इन्हें है कि सरकार की ओर से अभी तक कोई सहायता इन्हें नहीं मिली है जरूरत है कि मूर्तिकारों के लिए भी सरकार कुछ पहल करें इनके लिए भी कुछ घोसनाएं करें ताकि मूर्तिकारों का जीवन भी सुखद और सुखमें हो सके
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