00:00मर्द मराठा शूरवी रहो, युद्ध में कौशल गजब दिखावे, रिपुदमन कर शंक बजावे, जनमानस के भूप रहोगे, चरम चमकती धूप रहोगे, प्रसन रहे माता जगदंबा, ओ छत्रपती, ओ सहचर संभा, मित्रमीत रवी समान, कोई ना सहचर कवी समान
00:23एक दिन, एक दिन हम आप से कविताओं की प्रतियोगिता करेंगे, चंदोगा माते हैं, उसमें भी जीत आप की होगी, महराज,
00:34कभी-कभी समझ नहीं आता आप मित्र हो, सेवक हो या हमारी चाया हो, चंदोगा माते हैं, हम नमक हैं, महराज, जब जहाँ जितनी आवशक्ता हो, प्रियोग कर लीजिए, हम आपको शत्रु के घाव पे लगाएंगे, चंदोगा माते हैं,
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