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ईमानदारी का फल
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00:00गाउं में तो सब जगह अकाल की परिस्तिती हो गई है
00:22लगता नहीं कि अब इस गाउं में जादा दिन रुखना उचित होगा
00:26काम के लिए बाहर गाउं तो जाना ही पड़ेगा
00:29भूशन काम की तलाश में दूसरे गाउं की ओर निकल पड़ता है
00:34चलते चलते वह विजयपुर गाउं में आ जाता है
00:37वहाँ उसका रहने का कोई ठिकाना नहीं था
00:40और उसके पास कोई काम भी नहीं था
00:43चलते चलते वह एक अमीर किसान जगत सेट के पास आ पहुँचता है
00:48सेट जी मैं भूशन दूसरे गाउं से आया हूँ
00:53हमारे गाउं में अकाल की परिस्तिती हो गई है
00:56लोगों के खेट सोखे पड़े हैं
00:59गाउं में बून बून पानी के लिए लोग तरस रहे हैं
01:03अगर मुझे आपके पास कुछ काम मिल जाएगा
01:07तो बहुत किरपा होगी बड़े भाई
01:09अरे रे रे लगता है तुम्हारी हालत बहुत खस्ता हो गई है
01:14ठीक है वैसे मेरे पास एक काम तो है
01:18पर लगता नहीं कि तुम बो कर पाओगे
01:21सेट जी आप चिंता ना करें
01:23मुझे आप कोई भी काम दे सकते हैं
01:26मैं वो काम पोरी बहनतोरी मांदारी से करूँगा
01:30अच्छा ठीक है बोशन
01:31तो कान खोल कर सुन लो
01:34मेरे पास पचास गाएं और पचास भैसें हैं
01:38तुम्हें हर रोज इन जानवरों का गोबर निकालना होगा
01:41और रोज सुभा शाम उन्हें चारा पानी बेना होगा
01:45महीने के आखिर में तुम्हें इस काम के लिए दो सो रुपए मिलेंगे
01:50और हाँ दो वक्त का खाना भी हमारी तरफ से मुख्त भी आ जाएगा
01:55बूलो क्या तुम ये काम कर पाओगे
01:58अरे बापरे, पचास गाए और भ्यासो को समालना असान काम नहीं है
02:04पर अप में कुछ कर भी तो नहीं सकता
02:06और उपर से सेट जी दो वक्त का खाना भी दे रहे है
02:10ठीक है सेट जी, मैं ये कांग कर लूँगा
02:14पर एक विन्ती है
02:16आँ, बोलो भूशन, क्या बात है
02:18सेट जी, अगर आपको समस्या ना हो
02:22तो क्या मैं आपके गायों के साथ गौशाला में रह सकता हूँ
02:25सेट जी, मैं इस गाव में नया हूँ
02:29मेरा रहने का कोई ठीकाना नहीं है
02:31जग्गा सेट थोड़ी देर तक सोचता है
02:33और भूशन को उपर से नीचे तक देखने के बाद
02:36उससे कहता है
02:37ठीक है भूशन, तुम गौशाला में रह सकते हो
02:40जिद्धमेवाद सेट जी
02:42तब से भूशन गौशाला में रहकर अपना काम करने लगता है
02:46वह रोज जल्दी उठकर गाय और भैसों का गोबर निकालता
02:50उन्हें चारा डालता और समय पर पानी भी पिलाता था
02:53हर रोज भूशन अपना काम इमानदारी और पूरी मेहनत से करता था
02:58जगत सेट को भी भूशन का काम बहुत पसंद आने लगा
03:01क्योंकि वह अपना काम सफाई से करता था
03:04एक दिन जगत सेट भूशन को बुला कर उससे बोलता है
03:08भूशन मुझे तुमारा काम बहुत पसंद आया है
03:12तुम गाय और भैसों का अच्छा खयाल लग रहे हो
03:16इसलिए दोज की गुड़ुमत्ता भी बढ़ गई है
03:19और गाय पहले से ज़्यादा दोद भी दे रही है
03:22इसलिए मैं आज सिब तुम्हारी तंखला बढ़ा कर
03:26पूरे चार सु रुपे कर रहा हूँ
03:28आपका बहुत बहुत धन्यवाद सेट जी
03:33कुछ दिन ऐसे ही बीटने लगते हैं
03:36भूशन जगत सेट के पास बहुत महनत और इमानदारी से काम करता है
03:41धीरे धीरे भूशन के पास अच्छा खासा रुपया जमा हो जाता है
03:46जिससे वह अपने लिए छोटा सा रहने लायक एक कुठिया बनवा लेता है
03:51उस गौशाला में सो कर तो नाक से गोबर की गंद अभी भी नहीं जा रही
03:56अब आखिरकार मुझे अपने घर में चैन से सोने को तो मिलेगा
04:00तब से भूशन जगत सेट के पास गौशाला में काम करने आता
04:04और दो वक्त का खाना खा कर अपने घर सोने के लिए चला जाता था
04:09कई साल ऐसे ही बीच जाते हैं
04:12भूशन की मेहनत के कारण उसके पास अच्छा खासा रुपया जमा हो जाता है
04:17एक दिन भूशन जगत सेट से बोलता है
04:20सेट जी आज कल गाव में चोरी की समस्य अब बहुत बढ़ गई है
04:24और मेरे पास कुछ रुपय भी जमा हैं जो मैंने अपने घर में रखे हुए है
04:29पर मुझे उन पैसों की चोरी की चिंता हो रही है
04:33आपको तो पता है कि मैं दिन भर आपके पास ही काम करता हूँ
04:38और सिर्फ रात में ही घर सोने जाता हूँ
04:41इसलिए मुझे रोज उन पैसों की चोरी की चिंता सताती है
04:44आपूशन तुम बात तो बिल्कुल सही कह रहे हो
04:48आई दिन गाव में नए नए चोरी के किस से सामने आ रहे है
04:53और दिन भर तो तुम्हारा घर खाली ही रहता है
04:56तो चोरी होनी की संभावना तो जरूर है
04:59जगत सेट थोड़ी देर सोचता है और फिर भूशन से कहता है
05:03बेखो भूशन ऐसे समय में तो गाव में एक ही जगा है
05:07जहां पर तुम्हारा धन सुरक्षित रह सकता है
05:10और वो है जमीदार का घर
05:13क्या जमीदार का घर?
05:15हाँ भूशन इस गावं के जमीदार बहुत इमानदार और दयालू है
05:20ऐसा मैंने कुछ लोगों से सुना है
05:23और उनके घर पर बहुत सारे पहरेदार भी है
05:26तो चोरी होनी की संभावना बहुत कम है
05:30तुम अपने पैसे उनके पास रख सकते हो
05:33अच्छा, ऐसा है क्या सेड जी?
05:36फीक है, फिर आज ही मैं जमीदार जी से मिलकर बात करता हूँ
05:40और उन्हें अपनी समस्या बताता हूँ
05:42उस दिन भूशन जमीदार जी के घर उनसे बात करने जाता है
05:46हे टूडको, कहा अंदर आए जा रहे हो, वहीं रुक जाओ
05:50जी, जी मुझे जमीदार जी से मिलना है, मुझे उनसे कुछ काम है
05:55क्या काम है तुम कौन से, मुझे जरा बताओ
05:58जी मुझे कुछ पैसे रखवाने थे उनके पास, यही कान के लिए आया था मैं
06:04अच्छा ठीक है, तुम अंदर जा सकते हो
06:06नमस्ते जमीदार जी, मैं भूशन, जगत सेट के यहां काम करता हूँ
06:12कुछ साल पहले ही मैं दूसरे गाउं से यहां आया हूँ
06:15अच्छा भूशन, बोलो, तुम्हारा क्या काम है मेरे पास
06:20जमीदार जी, मैं सालों से जगत सेट के पास काम कर रहा हूँ
06:25और मैंने कुछ रुपए भी जमा कर लिये हैं
06:28पर बात यह है कि गाउं में चोरी के समस्या बहुत बढ़ गई है
06:32तो मुझे अपने रुपए घर में रखने से डर लग रहा है
06:36अच्छा, कितने रुपए जमा किये हैं तुमने
06:39जमीदार जी, यही कोई पांच से छे हजार रुपए होंगे मेरे पास
06:44वाह, ये तो बड़ी रकम है
06:48मैंने आपकी मानदारी के बारे में लोगों से बहुत सुना है
06:52इसलिए मैं अपनी रकम आपके पास कुछ वक्त के लिए रखने आया हूँ
06:56हाँ भूशन, तुमने बिलकुल सही सुना है
07:00तुम्हारी रकम मेरे पास पूरी तरह से सुरक्षित रहेगी
07:05तुम अब चिंता ही छोड़ दो, मैं सब देख लूँगा
07:09भूशन अपने पैसों की थैली जमिनदार को दे देता है
07:12ये पूरे पाँच अजार आठ सु रुपए हैं, आप गिन कर देख लीजिए
07:17गिनने की क्या जरुरत है, तुम तो जगत सेट की आदमी हो, मुझे तुम पर पूरा विश्वास है
07:24जमिदार जी, आपका बहुत बहुत धन्यवाद, अब मुझे चोरों का कोई डर नहीं है, क्योंकि मेरे पैसे सुरक्षित हाथों में है
07:33अरे भूशन कोई बात महीं, धन्यवाद तो मुझे बोलना चाहिए, जो तुम मेरे पास आए अपने रुपए रखने के लिए
07:42भूशन अपने पैसे जमीनदार को दे कर अपने घर चला जाता है
07:47हाँ भूशन, तुम्हारे पैसे मेरे हाथों में ही अच्छे लगपी है
07:55ऐसे ही भूशन इमानदारी और मेहनत से जगत सेट के यहाँ काम कर रहा था
08:00देखते ही देखते दो साल ऐसे ही बीच जाते हैं
08:04एक दिन भूशन सोचता है
08:08अब बहुत साल होगे जगत सेट के इहां काम करते हुए
08:11वैसे सेट जी तो बहुत अच्छे इंसान है
08:14पर सोच रहा हूँ कि खुद की जमीन लेकर उस पर मेहनत करूँ
08:19तब ही मैं बड़ा आदमी बन सकता हूँ
08:21अब जो मेरे पास थोड़े कुछ पैसे हैं
08:24और जो जमीदार के पास कुछ पैसे समहालने के लिए दिये हैं
08:29वो जमा कर गे थोड़ी जमीन खरीद लूँगा
08:31आज ही जमीदार से मिलने जाता हूँ
08:34और अपने रुपए मांगता हूँ
08:36ये सोचकर भूशन जमीनदार जी के घर चला जाता है
08:39जमीदार जी मैं अपने रुपए वापस लेने आया हूँ
08:43आपके पास मैंने पांच जार आठसो रुपए दिये थे समहालने के लिए
08:48अरे भाई साहब मैंने पहचाना नहीं आपको
08:52वैसे कौन हो आप
08:54अरे जमीदार जी मैं भूशन हूँ
08:56पिछले साल मैंने आपको पैसे समहालने के लिए दिये थे
09:00याद आया कुछ
09:02अरे भाई साहब मेरे पास कितने सारे लोग आते जाते हैं पैसे रखने के लिए
09:08और सभी के साथ मेरा अच्छा विवार होता है
09:12वैसे आपके पास कोई कागजात हैं क्या
09:15क्योंकि मैं हर वेक्ती से कागज पर ही विवार करता हूँ
09:19किसने कितने पैसे दिये, किसके कितने पैसे लखे हैं, सबका विवार रहता है मेरे पास
09:27जमीदार जी, ये आप क्या बात कर रहे हैं, आपके इमानदारी देखकर ही मैंने आपको पैसे दिये थे समालने के लिए
09:34और आप अब ऐसी बाते कर रहे हैं
09:36किरप्या करके मेरे पैसे मुझे वापस कीजिए
09:39हाँ भूशन मैं इमानदारी से ही काम करता हूँ
09:43इसलिए तो तुमसे मैं डॉक्यूमेंट्स मांग रहा हूँ
09:47क्या तुम्हें पता नहीं
09:48जब तुम किसी से पैसों का विभार करती हो
09:51तो तुम्हें स्टाम पेपर पर लिख कर दीना पड़ता है
09:55तुम किसी से भी पोच सकते हो
09:57नहीं जमीदाल जी
09:59मैं आपके पैर पड़ता हूँ
10:01किरप्या कलके मेरे रुपए मुझे दे दीजिए
10:03बड़ी मेहनत से मैंने वो पैसे जमा किये थे
10:06मुझे पर ऐसा अन्यार ना करें
10:08अरे क्या ये जूट बोट का रोना धोना लगाया है
10:12लगता है तुम ठोंगी हो
10:14और बेरी इमानदारी और भुलेपन का फाइदा उठा के
10:17मुझे से ये रुपए लेने आए हो
10:19लोक तुझे अभी सब अक्सी खाता हूँ
10:22जमींदार अपने आदमीं को बुटा कर भुशन की पिटाव करने को कहता है
10:26इसे तब तक मारो जब तक ये बेहोस ना हो जाए
10:30इस दो कोड़ी के आदमी ने मेरी इमानदारी पर सवाल उठाया है
10:34इसे छोड़ना मत
10:36जमींदार के आदमी भुशन को डंडे से खूप मारते हैं
10:39फिर भुशन दुखी होकर अपने घर चला जाता है
10:42भुशन के शरीर पर घाव के निशान सपश्ट दिखाई दे रहे थे
10:46दो दिन से भुशन घाव के दर्द के कारण
10:49जगत सेट के घर काम के लिए नहीं जा पाता है
10:52इसलिए अगले दिन जगत सेट भुशन के पास आ जाते हैं
10:57वह देखते हैं कि भुशन खाट पर सो रहा है
10:59और वह बड़ा ही चिंता में नजर आ रहा है
11:02भुशन वाई, तुम दो दिन काम पर मेहीं आई
11:07क्या हुआ बाई, तब यह ठीक है न तुम्हारी
11:11कुछ समस्या है क्या
11:13अरे सेट जी, आप खुद यहां आये हो
11:16आप ख़बर भिजवाते, तो मैं खुद चला आता
11:20अरे भुशन कोई बात नहीं
11:22तुम्हें देखकर लगता है तुम बिमार हो
11:24क्या हुआ है तुम्हें
11:26जगत सेट, क्या बताऊं
11:29जिस जमिदार के पास
11:31पिछले साल मैंने अपने
11:32पैसे समालने को दिये थे
11:34वो आज मुझे पैसे वापस
11:36नहीं करना चाहता
11:38वो बहुत लाल चीन सान है
11:40वो लोगों को ठग रहा है
11:42और जब मैंने बाद में
11:44गड़गडाना शुरू किया
11:46तो उसने डंडे से मार मार कर
11:48मेरी पिटाई करवा दी
11:50और मुझे वहां से धक्के
11:52मार कर निकाल दिया
11:53अरे बापरे, ये तो
11:56बड़ा ही गंभीर विशा है
11:57मैंने तो जमिदार के बारे में
12:00अच्छा ही सुना था
12:01और मुझे भी नहीं पता था
12:03कि वो इंसान इतना गिरा हुआ है
12:06तबी मैं सोचूं
12:08हर साल उसकी संपत्ती
12:10इतनी जादा कैसे बढ़ दाई है
12:12मुझे माफ कर दो भूशन
12:14मैंने ही तुमें
12:16जमिदार के पास जाने को बोला था
12:18गलती तो मेरी भी है
12:20नहीं जगत सेट
12:21आप तो मेरा अच्छा ही सोच रहे थे
12:24ये तो उस जमिदार का लालच है
12:26अब लगता नहीं
12:28मेरे पैसे उस जमिदार से
12:30वापस मिलेंगे भी
12:31भूशन मेरे पास एक तरकीब है
12:34जिससे मैं तुम्हारे पैसे
12:36तो में वापस दिला सकता हूँ
12:37जगत सेट भूशन के कान में
12:39सारी तरकीब बताता है
12:41ठीक है सेट जी
12:42हे उपर वाले ये तरकीब कामियाब होने दीजिए
12:46अगले दिन जगत सेट
12:48बहुत सारे पैसों को
12:49एक सूट केस में भर कर
12:51खुद जमिनदार के घर जाता है
12:53अरे जगत सेट
12:56आप
12:57आज आप खुद यहाँ
12:59बोलो भाई
13:00इस गरीब के घर कैसे आना हुआ
13:03हमारा तो ये सवभाग यह है
13:05कि आप जैसे धनी आजमी के चरण
13:08हमारे घर में लगे हैं
13:09नमस्ते जमिदार जी
13:11अरे जमिदार जी
13:13आप तो मुझे अब लज्जिक कर रहे हैं
13:16वैसे मैं कुछ महीनों के लिए
13:18दूसरे राज्ये में वेपार करने जा रहा हूँ
13:21मैं ये लगभग पचास हजार रुपे लाया हूँ
13:24मुझे डर है कि कहीं ये चोरी ना हो जाए
13:27क्या आप मेरे सारे पैसे अपने पास सम्हाल कर रख सकते हैं
13:31आपके सिवाए इस गाओं में और किसी पर भरोसा नहीं कर सकता
13:36अरे जगत सेट ये भी कोई पोचने की बात है
13:40मेरे पास आपके पैसे बिलकुल सरक्षित रहेंगे
13:44आप निश्चित होकर व्यपार करने जा सकती है
13:47इस बार तो बड़ी मचली हाथ लगी है
13:51बार बार ऐसा मौका नहीं बिलता
13:54भारी माल हाथ में लगने वाला है
13:56तभी वहाँ पर भूशन आ जाता है
13:59अरे भूशन तुम अच्छा हुआ तुम आ गए
14:02मैं तुम्हारे पास ही आने वाला था
14:05मुझे माफ करना उस दिन तुम्हें पहचार नहीं पाया
14:09इतने सारे लोग मेरे पास आते हैं
14:12तो जरा परिशानी होती है
14:14पर मैं अपनी बातों का बड़ा पक्का हूँ
14:18हा रुको मैं तुम्हारे सारे पैसे अभी देता हूँ
14:21जमीनदार भूशन के सारे पैसे उसे लोटा देता है
14:24माप करना भूशन मेरे आदमियों ने तुम्हारे साथ उस दिन बत्तमीजी की
14:30मैं आज ये उनको काम से निकालता हूँ
14:33भूशन बिना कुछ बोले वहां से चला जाता है, अरे क्या बात है जमिदार जी, आप तो अपने बातों के बहुत पक्के हैं, तो ठीक है, मैं अपने सारे पैसे आपके पास रख सकता हूँ, जगत सेठ इतना बोल ही रहा था, कि तभी वहां जगत सेठ का नौकर आ जाता है,
15:03अरे ये तो बहुत बढ़िया बात हुई, अब मुझे इतनी धूर नहीं जाना पड़ेगा, सुन रहे हो समिदार जी, वैपारी यहां आ रहे हैं, अब मुझे नहीं लगता कि ये पैसे आपके पास रखने का कोई मतलब होगा, चलो आपका बहुत बहुत धन्यवाद, आप
15:33धत तेरी कीज, ये क्या हो गया, ये पचास हजार तो चले गए, और जो भूशन के पाँच हजार आट सो रुपए हडप लिये थे, वो भी चले गए
15:44आपका बहुत बहुत धन्यवाद सेट जी, अगर आज आप ना होते, तो मेरी सारी जमा पूंजी वो जमिदार हडप लेता
15:53बूशन कोई बात नहीं, जो विक्ति मेहनत और इमानदारी से कमाता है, उपर वाले उसका कभी बुरा नहीं होने देते, और जो हराम की कमाई का खाता है, उसका कभी अच्छा नहीं होने देते
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