Skip to playerSkip to main content
राजस्थान के भरतपुर जिले से ताल्लुक रखने वाले जितेंद्र सिंह आज भले ही सरदार वल्लभभाई राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (SVNIT) में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी कर रहे हों, लेकिन उनकी असल पहचान उनके जुनून और सेवा भाव से बनती है। पिछले 26 साल से जितेंद्र सिंह एक ऐसा काम कर रहे हैं, जिसे सुनकर हर किसी का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। उन्होंने शहीदों और उनके परिवारों के लिए "यादों की लाइब्रेरी" बनाई है। इस अनोखी लाइब्रेरी में देश के वीर जवानों की कहानियां, उनकी तस्वीरें, खत, और उनसे जुड़ी कई अनमोल स्मृतियां संजोई गई हैं। यह सिर्फ एक लाइब्रेरी नहीं, बल्कि देशभक्ति की ज्वाला को प्रज्वलित करने वाला जीवंत संग्रह है। जितेंद्र सिंह का सपना है कि आने वाली पीढ़ियां शहीदों के बलिदान को केवल किताबों के पन्नों तक सीमित न रखें, बल्कि उन बलिदानों को महसूस करें। उनके मुताबिक, शहीदों की गाथाएं ही युवाओं में सच्चे राष्ट्रभक्ति के संस्कार जगाती हैं। आज उनके इस कार्य को देखने और समझने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। शहीदों के परिवारजन भी उनकी इस पहल को सराहते हैं, क्योंकि जितेंद्र ने उनकी निजी यादों को देश के लिए प्रेरणा का जरिया बना दिया है। साधारण नौकरी के साथ असाधारण सोच रखने वाले जितेंद्र सिंह इस बात का जीवंत उदाहरण हैं कि सच्ची देशभक्ति नौकरी या पद से नहीं, बल्कि दिल और कर्म से होती है।

#JitendraSingh #Bharatpur #Shaheed #Martyrs #IndianArmy #InspiringStory #Motivation #YadonKiLibrary #SVNIT #RealHero

Category

🗞
News
Transcript
00:00राजस्थान के भरतपुर निवासी और वर्तमान में सरदार वल्लभ भाई राश्ट्रिय प्रौध्योगी की संस्थान में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने वाले जितेंद्र सिह की कहानी प्रेरणा दायक है।
00:12दरसल पिछले 26 साल से वह शहीदों के परिवारवालों के लिए यादों की लाइबरेरी बना रहे हैं।
00:4231 अगस्त 2025 को कफी खुशी मिली जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोधी ने मन की बात में उनके काम को सराहा।
01:12बहुत बड़ी प्रेरणा है।
01:14पिछले कुछ वर्षों से वो उन सभी जवानों के बारे में जानकारिया जुटा रहे हैं।
01:20जिनों ने भारत माता की रक्षा में अपने प्राण न्योचावर किये हैं।
01:28आज उनके पास प्रथम विश्वेविद्य से लेकर अब तक शहीद हुए हजारों वीर जवानों के बारे में जानकारिया मोजूद है।
01:40उनके पास शहीदों की हजारों तस्वीरे भी हैं। एक बार एक शहीद के पिता की कही गई बातें उनके रिदय को छू गई। शहीद के पिता ने कहा था। बेटा गया तो क्या हुआ।
01:56वतन तो सलामत है ना। इस एक बात ने जीतेंद्र सीजी के मन में देश भक्ति का एक अध्भूत जिनून बर दिया। आज वो कई शहीदों के परिवारों के संपर्क में है।
02:11उन्होंने करीब धाई हजार शहीदों के माता पिता के चरणों की मिट्टी भी अपने पांस लाकर रखी है। ये ससत्र बनों के प्रति उनके गहरे प्रेम और जुडाव का जीवंत उधारन है।
02:29जीते इंद्र जी का जीवन हमें देश वक्ति की वास्तविक सीख देता है।
02:59सभ्षाइब प्रतम 202 में सभ्षाइब 26,000 सभ्षाइब जानकारी है यहीं मेरे सभ्षाइब 23,000 और 156 जवानों के फोटों के समय से में देश के सहीद परिवारों को पत्र लिख रहा हूं।
03:24आज 15,500 सभ्षाइब परिवारों से मेरा फॉन पर संपर्क है और 2010 के साल में जब फरवरी में 26 जवान चाहिद हुए थे दंते वाड़ा में CRPF तब से मेरे पत्र लिखने का करम तूट गया मेरे एक आंक में मोतिया बिन हुआ।
03:38मैं कभी एक इंच सेना में सामिल ने हो पाया तो मेरे बन में एक वाइस के साब के मेरा बेटा सेना में सामिल हो तो वो 15 साल की उंबर में इसाब मेरे से तीन इंच लंबा हो गया।
03:49मैं आगे एक बहुत बड़ी जाब गयलरी एक लगाना चाहता हूँ एक शहीद हाल बनाना चाहता हूँ जहांसे आने वाले नए भारत की नई पीड़ी को दाश्टबक्ती की सजाई सची प्रेड़ना दे सको पिछली पीड़ी के बलिदान से चैहें।
04:07जितेंद्र सेह की इच्छा अपने बेटे को फॉज में भरती करना और शहीदों के नाम पर शहीद संग्रह हॉल बनाने की है।
Be the first to comment
Add your comment

Recommended