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  • 4 months ago
कहते हैं, मन के हार और मन के जीते जीत. इसे चरितार्थ कर दिखाया है सजुल टुडू ने. इस रिपोर्ट से जानें, उनकी पूरी कहानी.

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00:00एक हाथ और एक पैर से दिव्यांग होने के बावजूद होसले बुलंद हैं जीवन की कठनाईयों को ताकत बनाकर उन्होंने ये साबित कर दिया कि हिम्मत से बड़ी कोई ताकत नहीं होती
00:12हजारी बाग के टाटी जरिया के रहने वाले 27 वर्स ये सुजूल टुडू ने साइकल के सहारे 156 दिनों में देश के 11 राजियों का 7330 किलोमेटर का सफर पूरा किया है
00:26इस सफर का मकसद केवल दूरी तय नहीं करना बलकि समाज को ये संदेश देना है कि दिव्यांगता किसी की राह में रुकावट नहीं बन सकती
00:36साल 2014 में ट्रांस्मिसन नाइन पर काम करते समय उचाई से गिरने पर सुजूल टुडू ने एक हाथ और पैर खो दिया
00:45उन्होंने हार मानने के बजाए जिंदगी को नए सीरे से जीने का निर्ने लिया डॉक्टर ने भी हिम्मत दी और फिर 18 मार्च 2025 को उन्होंने हजारी बाक से अपनी यात्रा सुरू की
00:57विश्वास से लबरेज लाल पिले रंकी सैकिल से निकले टुडू ने बंगाल, चतिजगर, महाराष्ट, करनाट, गोवा, केरल, तमिलनाडू, आंदरपरदेश, तनांगना और उडिसा होते वे हजारों किलोमेटर का सफर तै किया
01:11मेरा नाम सज्जुल टुडूए, मैं हटवे गाउं, ताटिजरे परकंड और जिला आजारी बग से बिलों करता हूं और मैं जो हमारा टूर रेना मेरा जो सैकिल राइड है, मैं ओल इंडिय कर रहा हूं, पूरा बारत यात्रा कर रहा हूं
01:25इस दोरान उन्होंने जगह जगह पर लोगों का सहयोग और सबान भी मिला, सुजुल का मानना है कि दिव्यांगता सारिक होती है, मान सिक नहीं, उनका संदेश है कि अगर
01:55बन में हिम्मत होतो, जीवन का कोई भी कटनाई व्यक्ति को आगे बढ़ने से नहीं रोख सकता।
02:25दिव्यांगता राह में रोला नहीं बनता है, यह साबित कर दिया हजारे बाग के टाक्टी जरिया के हटवे गाउनिवासी सुजुल टूडूने, उनके इस जजबे को हम भी सलाम करते हैं, गौरो परकास, ETV भारत हजारे बाग.
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