00:53और फुलो जहानों जैसी बहदूर बहनों ने रन भूमी में तलवार थाम कर अपनी जान नचावर कर दी
00:59यह कहानी उन सेकडों गुमनाम शहीदों की भी है जिनका नाम इतिहास के पन्नों में खो गया लेकिन उनकी कुरवानी आज भी प्रिरना देती है
01:07जारखन के साहिबगन जिले के राजमहल में जनमे तिलकामाजी ने 1771 से 1784 तक अंग्रजों के खिलाप गुरिला युदिचिडा 1784 में अंग्रजी कलेक्टर को तीर मार कर उन्होंने शाहश की मिसाल पेस की लेकिन 1785 में उन्हें फासी दे दी गई
01:24ठाकूर बिशुनास शाहदेव शेख विकारियो टिकेत उमराउन सिंग ने 1877 के बिद्रों में छोटा नागपूर और रामगड में अंग्रेजों के खिलाप मुक्ती वहिनी बनाई
01:34अंग्रेजों को रोकने के लिए दोनों सिनानियों को बरगत के पेड़ से लटका कर फाशी दे दी गई
01:39सिद्धुकानों और उनके भाई वहनों चांद भैरव ने 1855 में संताल हूल का नित्रित किया
01:45पचास हजार से अधीक आदिवासियों ने अंग्रेजों के त्याचार के खिलापे विद्रो किया
01:50अंतता सिद्धुकानों और उनके भाई बहनों ने अपने जान निचावर कर दी
01:56निलांबर पितांबर ने 1857 में लातेहार में आदिवासियों और जमिनदारों के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलापे बिद्रो छिड़ा
02:03लेकिन 1869 में अंग्रेजों ने उन्हें पकड़ कर फासी दे दी
02:07विरसा मुंडा 1875 में खूटी जिले में जन्मे
02:11आदिवासि समाज को संगठित कर अंग्रेजों और जमिनदारों के आर्थिक सोसन के खिलाप आंदोलन किया
02:1619 सो में अंग्रेजों ने उन्हें गिरपतार किया और राची जेल में उनका निधन हो गया
02:21जहारखन में उन्हें भगवान का दरजा प्राप्त है और उनके जन्म दिन पर राज का गठन हुआ है
02:27संताल हुल की अमर, नाइकाई, फुलोर, जहानों ने भी अंग्रेजों के शिवीर में घुसकर 21 अपसरों की हत्या की
02:35और बिद्रो की आग पुरे संताल परगणा में फैला दी
02:38सतंतरता दिवस के मौके पर जहारखन की धरती के इन अमर, नाइकों और अंगिनत गुमनाम शहीदों को नमन किया जाता है
02:46जिन्होंने अपनी जान और परिवार की कुर्बानी दे कर अजादी की मशाल को रोशन किया
02:53इस धरती से कब से सुरू ही उल्गुलान और भगवान विर्शा मुन्दा के दौर तक क्या कुछ रहा
03:00अगर संचेप में बताएं तो और डेट वाइस अगर बताएं तो
03:03तो शुरुआत किये कि 1767 से 1765 पे दिवानी मिल रही है और 1767 से लगातार आंदुलान हमारे अहां
03:12और संतिपुन भी और युद्य के साथ भी और चाहे वो तिलंगा खडिया हो या निलांबर पितांबर हो ठासंतामन में तो एक लंबी सूची है
03:23यहां जैसे ही घम होता है जंगल महाल चलही रहा है तो पहारիह आंदुलान सुरू हो जाता है, वहां मोमेंट शुरू जाता है, पहड़िया आंदुलान चलि रहा है
03:33॥
03:41॥
03:45॥
03:59॥
04:00॥
04:02॥
04:03॥
04:03ཚོ�ང དགོ ཤསྲིབ སྲབ ཇཨག ཤས སྲས
04:08foreign
04:15foreign
04:22foreign
04:29foreign
04:35foreign
05:05Onesya can't make any quote,
05:07onesya can make any way.
05:10There are people who have made the water.
05:11He who's my self,
05:14He's not is there.
05:15There aren't a land,
05:18there aren't even the dust.
05:20There are also the dust.
05:22When we say we,
05:23his gi理 the dust.
05:25His missus and grass.
05:26His goddesses.
05:29So,
05:29it doesn't become a matter of property.
05:31The property is not on to them.
05:34The property is on to them.
05:35I am not going to be a good person.
05:40So if you don't have a good person,
05:42then what will happen to you?
05:44It's a good person, a good person.
05:48So, this is something that we have had.
05:51Thank you sir. Thank you.
05:55The need for this dharti is saying that
06:01It was difficult to kill the English people, but the anger had killed them, and it was started with this ULGULANG.
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