00:00आची की पहचान बन चुका पहाडी मंदिर सिर्फ आस्था का किंद्र नहीं, बलकि आजादी की लड़ाय का गवावी है।
00:06करीब 650 से 900 मिलियन बर्स पुरानी इस पहाडी पर भगवान शिब का मंदिर है, जिसे बिटिश काल में फासी टूंगरी कहा जाता था।
00:16क्योंकि यहाँ 200 से अधिक सुतंतरता सिनानियों को फासी दी गई थी, मंदिर की दिवारों पर आज भी शहीदों के नाम अंकीत है, जहाँ शुर्धालू भगवान के साथ बीरों को भी नमन करते हैं।
00:46कि दार का यह पहाड है, प्राचिन समय में, उस समय पहला नाम था रीची बुरू, पर्थम नाम, रीची बुरू, रीची से तो राची बना, और बुरू का मतलब होता है, बिर्शा मुंदा को तो पूरा जहारखन में लोग जानते हैं, बुरू का मतलब होता है मुंदारी
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