Skip to playerSkip to main content
Janmashtami 2025 Date: जन्माष्टमी 2025 कब है? जानें सही तारीख, शुभ मुहूर्त और पूजा की संपूर्ण विधि। इस साल जन्माष्टमी 16 अगस्त 2025, शनिवार को मनाई जाएगी। इस वीडियो में हमने निशीथ काल पूजा का सटीक समय (रात 12:04 से 12:47), व्रत रखने और पारण करने की सही विधि बताई है। साथ ही, जानिए कान्हा को प्रसन्न करने वाले 5 विशेष भोग जिन्हें आप आसानी से घर पर बना सकते हैं। लड्डू गोपाल का अभिषेक कैसे करें और पूजा में किन बातों का ध्यान रखें, यह सब जानने के लिए वीडियो को अंत तक देखें। अपनी जन्माष्टमी को सफल बनाएं।

#Janmashtami2025 #KrishnaJanmashtami #JanmashtamiPujaVidhi #JanmashtamiVrat #KrishnaBhog #LadduGopal #HappyJanmashtami #Kanha #NishithPuja #Vrindavan

~HT.410~PR.250~ED.106~GR.122~

Category

🗞
News
Transcript
00:00इस साल कब है जन्माश्टमी का द्याहार पंध्रै या सूले अगस जानिये शबमोदर
00:10विडियो में दूर करनी सारी कन्फ्यूजर
00:14सदियों पहले जब धर्ती पर अधर्म और अत्याचार का अंधकार घना हुआ
00:32तब भादरपद मास के कृष्ण पक्ष की अस्टमी दीथी को मथुरा के एक कारागार में एक दिव्य प्रकाश ने जन्म लिया
00:42ये भगवान विश्णों के आठवी अफ्तार श्रे कृष्ण का जन्म था
00:47जिन्होंने देव की और वासुदेव की आठवी संतान के रूप में जन्म लेकर प्रित्वी को कंस के पुष्णाशन से मुक्त करने का संकल्प लिया
00:59वो रात चमतकारों की रात थी जब रोहिणी नक्षत्र के शुबसंयोग में काना का जन्म गुआ
01:06तो कारगार के ताले स्वेम खुल गए पहरेदार गहरी नित्रा में सो गए और एक दिव्य चेतना ने संपून ब्रह्मांड को आनंद से भर दिया
01:17उसी अलोके घटना की स्मृति में हर साल जन्म अश्मी का महापर्व मनाया जाता है
01:24जो सिर्व एक त्योहार नहीं बलकि आस्था प्रेम और बुराई पर अच्छाई की विजय का एक जीवन तुद्सव है
01:33ये पर्व भक्तों को भगवान की लीलाओं का स्मरण कराता है और उनकी जीवन में आशा और उल्लास का संचार करता है
01:44इस वर्ष दोहजार पच्छीस में भगवान श्रेकरश्न का ये बावन जनमुच्सव शनिवार सोलह अगस्त को पूरे देश में हर्श उल्लास के साथ मनाया जाएगा
01:56पंचंकी गणगा के अनुसार अश्रमी तीथी का आरंभ 15 अगस्त की रात्री 11 बचकर 49 मिनट पर होगा और इसका समापन 16 अगस्त की रात 9 बचकर 34 मिनट पर होगा
02:12हिंदू धर में उद्यातीथी को प्रधानता दी जाती है इसलिए समार्द और वैश्नव दोनों ही संप्रदायों के भक्त सोलह अगस्त को ही वरत और पूजन करेंगे
02:25भगवान क्रिश्न का जन्म मत्यारात्री में गुआ इसलिए उनकी मुख्या पूजा के लिए निशित काल को सबसे शुम माना गया
02:34इस वर्ष निशित पूजा का ये दिव्या मुरत सोलह अगस्त की मत्यारात्री में बारहे बचकर चार मिनट से शुरू होकर बारहे बचकर 47 मिनट तक रहीगा
02:47ये 43 मिनट की अवधी कानह के अभिशेक, पूजन और आती के लिए परमफलताई मानी गई है
02:55जन्माश्मी के दिन भक्त पूरी श्रधा से व्रत रख कर अपने आराध्या की पूजा करती हैं
03:02रात्री में शुमुरत में लड़ू गुबाल की प्रतिमा को दूध दही घी शहद और गंगजल से बने पंचामृत से स्नान कराया जाता है
03:13जिसे अभिशेक कहती हैं इसके बाद उन्हें पीले रंग के सुन्दर वस्तर पहना कर मूर पंखी मुकट वेजनती माला और अन्या भूशनों से सजाया जाता है
03:26पूजा में भगवान को उनके प्रिया भूग अर्पित करनी का विशेश विधान है उन्हें माखन चोर भी कहा जाता है इसलिए शुद्ध माखन और मिश्री का भूग सबसे प्रमुख है
03:39इसके साथ ही धन्य से बनी खास पंजीरी का प्रसाद भगवान क्रिश्न को अर्पित किया जाता है जो जन्माश्मी का एक अभिन्ना अंग है
03:49भक्त जन उन्हें गेहूं के आटे घी और मेवो से बना मोहन भूग दही से तैयार स्वादिश्ट श्री खंड और मीठे माल पूवे अर्पित करते हैं
04:01क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ये सब ही व्यंचन काना को अत्यंत प्रया थे
04:06मध्यरात्री में जन्मोटसप के भचन और आर्थी के बाद भक्त जन प्रसाद ग्रहन कर अपना फ्रत कोलते हैं
04:15और सर्वत्र नंद के आनंद भयू जै कनहिया लाल की जै घूश कूँ जोटती है
Be the first to comment
Add your comment

Recommended