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Transcript
00:00तुम आइसे बदल जाते
00:14हम्जा
00:26आइनौ में बहुत स्टुपिड हूँ और मैंने बहुत गलत किया
00:31आई होप के तुम मुझे माफ किर दूगे
00:42मैं हमेशा से तुम्हारा वैल विशर रहा हूं और हमेशा तुम्हेशा तुम्हे समझाने की कोशिश किया कि
00:53सोच समझ के बोला करूँ
00:56लेकिन तुम हो के मेरी कोई बात सुनती नहीं हो
01:07अच्छा ना प्लीज आम सॉरी
01:11प्लीज आम सॉरी
01:12जो तुम यह इस तरह घर में थोड़ी बैठी रहोगे
01:26बाइर निकलो, कोई जॉब करो, जॉब ने करने तो अटलिस्ट युनिवस्टी जॉइन करो
01:36जॉब, जॉब के जा सकते हैं
01:40उनिवस्टी जाने के लिए फीज के जरुवत और फीज के लिए पैसे चाहें
01:44तो पर्दागर के बढ़ गए?
01:45अब मैंने सुचा जो अर्मान कल पूरे ने हुए बाज पूरे करड़ू
01:49जो आपके लिए इंचवियो देना चाहरी हूं बहुत अच्छी ऑपरशनिटी और कंपनी भी बहुत बढ़ी है
01:53इंशालला हो जाएगी और तुमने बहुत अच्छा फैसला किया तुमने बहुत अच्छा फैसला किया तुमने अनुशी को कुछ जादा ही अपने सर पे सावार तक है उस तरफ एक इल्यूजिन था तुम इतनी परिशान होका है
02:03जलो देर हो रही है हम्जा माफ करतो ना बेटा आप तो जाके गाड़ी में बैठे ना मैं आरे जिराग अरद इंसान को तोड़ देता है अंदर से लू तक को छनी कर देता है
02:25अरिशा बेटा कैसा लगा तुम्हें सर्प्राइज बहुत अच्छा है अंकिल और मुझी तो यकीन या रहा आपने इतनी जली सब कुछ कैसे कर लिया
02:33अरिशा के लिए तो हमें सर्प्राइज रखा है मैं हमेशा से तुम्हारा वैल विशर रहा हो माया
02:42और हमेशा तुम्हें यही समझाने की कुछिश किया कि सोच समझ के बोला करो
02:53लेकिन तुम्हों के मेरी कुछ बात सुनते नहीं अच्छा ना प्लीज आम सॉरी
03:10चाय प्यो तुम यू इस तरह घर में थोड़ी बैठी रहोगी
03:24बाहर निकलो कोई जॉब करो जॉब नहीं करने तो अट लिस्ट उनिवर्स्टी जॉइन करो
03:29जॉब जॉब के जा सकते हैं उनिवर्स्टी जाने के लिए फेस के ज़र आता और फेस के लिए पैसे चाहें तो पड़ागर के बढ़ गए अब मैंने सुचा जो अर्मान कल पूरे नहीं हुए बाच पूरे कर दो
03:47जॉब के लिए इंचेवियो देना चाहरी हुए बहुत अच्छी ओपरशुनिटी और कंपनी भी बहुत बढ़ी है इंशालला हो जाएगी और तुमने बहुत अच्छा फैसला किया तुमने अनूशी को कुछ जादा ही अपने सर पे सबार कर लिए उस स्रफ एक इल्यूज
04:17पर इंसान को तोड़ देता है अंदर से लू तक को जनी कर देता है अरिशा बेटा कैसा लगे तुम्हें इस सर्फ्राइज के बहुत अच्छा है अंकल और मुछी तो यकीन नहीं आ रहा है आपने इतनी जली सब कुछ कैसे कर लिया
04:30अरिशा के लिए तो हमें सर्फ्राइज रखा है
04:37नाजरें इस रूमा सेरियल में अब देखेंगे के एक दिन में इस पर बैटी एक लड़की किताब पर रही थी उसका नाम सारा था
04:47उसके चेहरे पर हल किसी मुस्कुराहट टेले किनानकुमे ऐसा सको जैसे किसी तोपान के बाद की खामोशी हो
04:53कुछ ही पासले पर एक मेंस पर बेटा एक लड़का अपनी लेप टाप पर काम कर रहा था
04:59एक कभीर ता दर्मियाने कट का खुबसूरत मगर संजीदा और आनकुमे एक आजीब सी गहराई
05:05कभीर की नजर बार बार उस लड़की के तरफ जा रही थी जो किताब में डूबी हुई थी
05:11इतिपाक सके पे केविटर ने दोनों की मेजे बदल दे
05:15कभीर के सामने वो हो चाय आ गई जो सारा ने मंगवाई थी
05:19और सारा के सामने वो हो कापी आ गई जो कभीर का आडर था
05:23सारा ने हलकी सी मसकुराहट के साथ कहा
05:27शायद आपका आडर है य
05:29कभीर ने चवाब दिया और शायद ये किसमत का आडर है
05:32सारा ने हेरत से उसे देखा फिर हंस दी
05:35ये उन दोनों का पहला जुम्ले था लेकिन शायद इस लम्हे कहानी शुरू हो गई थी
05:41अगले हबते कभी पिर उसे केपे में आया और हेरत के बात यी थी कि सारा प्यूब भी वही थी
05:48पहले एक सलाम पिर दो तेन जुम्ले और पिर कभी किताब पर बाहस कि भी मुसम पर
05:54आइस्ता आइस्ता ओओ दोनों करीब आने लगे कभी में बलॉड पर वाक करना
06:01कभी इनवस्टे के पुराने लाइन में बैट कर बाते करना
06:05कबीर को महसूस होने लगा कि वो सारा के बगेर दिन का तसवर नहीं कर सकता
06:10एक दिन कबीर ने पूचा तुम हमेशा मुस्कुराती हूँ लुकिन कभी कभी आनकुम में आजीब से उद्यासी आजाती है
06:17क्यों सारा ने एक लम्हा खामोशी अख्यार की पिर देरे से कहा
06:23कि उनके एक बार मैंने किसी को दिल लिया था और बदले में सिर्फ दोका पाया
06:27कभीर ने उसके आनकुम में देखते हूए कहा
06:30शायद तुमने दिल गलत जगा रखाता लेकिन इसका मचलब ये नही कि महबत गलत थी
06:36चन दिन बाद नहर किनारे बेट कर कभीर ने कहा
06:39सारा मैं तुम से महबत करता हूँ
06:42सारा ने नजर जुका लिया और देरे से बूली
06:45मुहबत खुसूरत है कबिर लेकिन मेरा दिल तूटने से डरता है
06:50कबिर ने मुस्कुरा कर कहा
06:52तुम पिर मैं वो हो शखस बनूँगा जो उसे कभी तूटने नहीं देगा
06:57महीने गुजर गए कबिर ने कभी जल्दी नहीं की
07:00वो हो हर दुक में सारा के साथ कड़ा रहा
07:05कि भी बारिश में उसे गर चोड़ आता
07:07कभी किसी मुश्किल दिन पर साप खमोश बेट कर उसका साथ देना
07:12आइस्ता आइस्ता सारा के दिल का खुब कम होने लगा
07:15पिर एक दिन सारा के गर एक लपापा आया
07:19वारा उसमे कभीर का लिखता हुआ एक खता
07:22मैंने तुमें इसलिए नहीं चाहा कि तुम मेरे साथ रहो
07:26बलकि इसलिए कि तुम खुश रहो
07:28चाहे मेरे साथ या मेरे बगएर
07:30लेकिन अगर तुम अगर तुम अगर तुम में सारे जिनगी
07:33तुम्हारी खुशों की वज़ा बनना चाहता हू।
07:36सारा कियान कुन से आन सुब बह निकले
07:38वो हो जान गई थी के गी महबत खुद गरज नहीं
07:42बल्कि खालस थी
07:43अगले दिन बारश हो रही थी
07:45सारा ने कबीर को काल की
07:46कबीर किया हम बारश में एक साथ चल सकते हैं
07:50कबीर मुस्कुराया और गाड़ी लेकर आगिया
07:53बारश के खात्रों के बीच
07:54वहो दून एक दूसरे के साथ चलते रहे
07:57माज़ी की तलखिया दूल गया
07:59और उनके तरम्यान सिर्भ एक वादा रही गया
08:01हमेशा का साथ
08:03नाजरेन इजर्मा सिर्यल में अब दो किंगे
08:06कि एक दिन में इस पर बेटी
08:08एक लड़की किताब पर रही थी
08:10उसका नाम सारा था
08:11उसके चेहरे पर हल किसी मुस्कुराहट टे
08:14लेकिन आनकुमे ऐसा सको
08:15जैसे किसी तुपान के बाद की खामोशी हो
08:18कुछ ही पासले पर एक मेंस पर बेटा एक लड़का
08:22अपनी लेप टाप पर काम कर रहा था
08:24एक कभीर ता दरम्यान एक कद का
08:26खुबसूरत मगर सुझीदा और आनकुमे
08:29एक आजीब सी गहराई
08:30कभीर की नजर बार बार उस लड़की के तरफ जा रही थी
08:34जो किताब में डुबी हुई थी
08:36इतिपाक सके पे केविटर ने दोनों की मेजे बदल दी
08:40कभीर के सामने वहो चाहए आ गई जो सारा ने मंगवाई थी
08:44और सारा के सामने वह कापिया गई जो कबीर का आडर था
08:48सारा ने हलकी सी मुस्कुराहट के साथ कहा
08:51शायद आपका आडर है
08:53कबीर ने जवाब दिया और शायद ये किसमत का आडर है
08:57सारा ने हेरत से उसे देखा पिर हंस दी
09:00ये उन दोनों का पहला जुम्ले था लेकिन शायद इस लिम्हे कहानी शुरू हो गई थी
09:06अगले हबते कभी पिर उसकेपे में आया और हेरत के बात यी थी कि सारा प्यू भी वही थी
09:12पहले एक सलाम फिर दो तेन जुम्ले और पिर कभी किताब पर बाहस कि भी मौसम पर आईस्था वह दोनों करीब आने लगे
09:21कभी में बलॉट पर वाग करना कभी इनवर्सटे के पुराने लाइन में बैट कर बाते करना
09:29कबीर को महसूस होने लगा कि वो सारा के बगएर दिन का तसवर नहीं कर सकता
09:35एक दिन कबीर ने पूचा तुम हमेशा मस्कुराती हूँ लुकिन कभी कभी आनकुम में आजीब से उद्यासी आजाती है
09:42क्यों सारा ने एक लम्हा खामोशी अख्तियार की पिर देरे से कहा
09:59बत गलत थी चन दिन बाद नहर किनारे बैटकर कभीर ने कहा
10:04सारा मैं तुम से महबद करता हूँ
10:06सारा ने नजर जुका लिया और देरे से बूली
10:10महबद कुसूरत है कभीर लेकिन मेरा दिल दुबारा तूटने से डरता है
10:15कभीर ने मुस्कुरा कर कहा
10:17तुम पिर में वो हो शखस बनूँगा जो उसे कभी तोटने नहीं देगा
10:22महीने गुजर गए कबिर ने कभी जल्दी नहीं की
10:25वो हो हर खुश हर दुक में सारा के साथ कड़ा रहा
10:29कि भी बारिश में उसे गर चोड़ा था
10:32कभी किसी मुश्किल दिन पर साथ खामोश बेट कर उसका साथ देना
10:36आएस्ता आएस्ता सारा के दिल का खुब कम होने लगा
10:40पिर एक दिन सारा के गर एक लपापा आया
10:44और उसमे कभीर का लिका हुआ एक ख़ता
10:47मैंने तुमें इसलिए नहीं चाहा के तुम मेरे साथ रहो
10:50बलकि इसलिए के तुम खुश रहो
10:52चाहे मेरे साथ या मेरे बगएर
10:55लेकिन अगर तुम अगर तुम अगर तुमें सारे जिनगी तुम्हारी खुश्रूं की वज़ा बनना चाहता हूँ
11:00सारा कियान कुन से आन सुब बह निकले वो हो जान गई थी कि गी महबत खुद गरज नहीं
11:06बल्कि खालिस थी अगले दिन बारश हो रही थी सारा ने कबीर को काल की
11:11कबीर क्या हम बारश में एक साथ चल सकते हैं
11:15कबीर मस्कुराया और गाड़ी लेकर आगिया बारश के गातरों के बीच वहोदों एक दूसरे के साथ चलते रहे
11:21माज़ी की तलखिया दुल गईया और उनके तरमियान सिर्फ एक वादा रही गया हमेशा का साथ
11:27नाजरेन इस रोमा सिर्फ में अब दो किंगे कि एक दिन में इस पर बैटी एक लड़की किताब पर रही थी उसका नाम सारा था
11:36उसके चेहरे पर हल किसी मस्कुराहट टेले किन आनकुमे ऐसा सको जैसे किसी तुपान के बाद की खामोशी हो
11:43कुछ ही पासले पर एक मेंस पर बैटा एक लड़का अपनी लेप टाप पर काम कर रहा था
11:49एक कभीर ता दरमियान एक कद का खुबसूरत मगर संजीदा और आनकुमे एक आजीब सी गहराई
11:55कभीर की नजर बार बार उस लड़की के तरफ जा रही थी जो किताब में डूबी हुई थी
12:00इतिपाक सके पे केविटर ने दोनों की मेजे बदल दी
12:04कभीर के सामने वो हो चाय आ गई जो सारा ने मंगवाई थी
12:09और सारा के सामने वह कापिया गई जो कबीर का आडर था
12:13सारा ने हलकी सी मुस्कुराहट के साथ कहा
12:16शायद आपका आडर है यी
12:18कबीर ने जवाब दिया और शायद ये किसमत का आडर है
12:21सारा ने हेरत से उसे देखा पिर हंस दी
12:25ये उन दोनों का पहला जुम्ले था लेकिन शायद इस लिम्हे कहाने शुरू हो गई थी
12:30अगले हबते कभी पिर उसकेपे में आया और हेरत के बात यी थी कि सारा प्र भी वही थी
12:37पहले एक सलाम पिर दू तिन जुम्ले और पिर कभी किताब पर बहुत कि भी मुसम पर
12:43आहिस्ता आहिस्ता वह दोनों करीब आने लगे कभी में बलॉट पर वाग करना कभी इनवरस्टी के पुराने लाइन में बैट कर बाते करना
12:54कि बीर को महसूस होने लगा कि वह सारा के बगएर दिन का तसवर नहीं कर सकता
13:00एक दिन कभी ने पूचा तुम हमेशा मस्कुराती हूँ लगिन कभी कभी आनकुम में आजीब से उदासी आ जाती है
13:07क्योग जारा ने एक लम्हा खामोशी अख्तियार की पिर देरे से कहा
13:12कि उनके एक बार मैंने किसी को दिल लिया था और बदले में सिर्फ दोका पाया
13:17कभीर ने उसके आनकुम में देखते हूए कहा
13:20शायद तुमने दिल गलत जगा रका था लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि महबत गलत थी
13:25चन दिन बाद नहर किनारे बैटकर कभीर ने कहा
13:42तुम पिर में वहो शखस बनूँगा जो उसे कभी तोटने नहीं देगा
13:46महीने गुजर गए कभीर ने कभी जल्दी नहीं की
13:50वहो हर खुश हर दुख में सारा के साथ कड़ा रहा
13:54कि भी बारिश में उसे गर चोड़ा था
13:57कभी किसी मुश्किल दिन पर साथ खामोश बेटकर उसका साथ देना
14:01आइस्ता आइस्ता सारा के दिल का खौप कम होने लगा
14:05पिर एक दिन सारा के गर एक लपापा आया
14:08और उसमे कभीर का लिका हुआ एक खता
14:11मैंने तुम्हे इसलिए नहीं चाहा के तुम मेरे साथ रहो
14:15बलकि इसलिए के तुम खुश रहो
14:17चाहे मेरे साथ या मेरे बगएर
14:19लेकिन अगर तुम अगर तुम एजादत तो
14:21तुम्हारी जिन्दगी तुम्हारी खुश्चों की वज़ा बनना चाहता हू
14:25सारा कियान कुंसे आंसों बेह निकले वो हो जान गई थी के गी महबत खुदगरज नहीं बल्कि खालिस थी
14:32अगले दिन बारश हो रही थी सारा ने कबीर को काल की
14:36कबीर क्या हम बारश में एक साथ चल सकते ही
14:39कबीर मस्कुराया और गाड़ी लेकर आगिया बारश के गात्रों के बीच वहो दून एक दूसरे के साथ चलते रहे
14:46माज़ी की तल्खिया दूल गईया और उनके तरम्यान सिर्फ एक वादा रही गया हमेशा का साथ
14:52नाजरेन इस रूमा सिर्फ में अब दो किंगे के एक दिन में इस पर बैटी एक लड़की किताब पर रही थी उसका नाम सारा था
15:01उसके चेहरे पर हल किसी मस्कुराहटी लेकिन आनकुमे ऐसा सको जैसे किसी तुपान के बाद की खामोशी हो
15:07कुछ ही पासले पर एक मेंस पर बैटा एक लड़का अपनी लेप टाप पर काम कर रहा था
15:13एक कभीर ता दरमियान एक कद का खुबसूरत मगर संजीदा और आनकुमे एक आजीब सी गहराई
15:19कभीर की नजरे बार बार उस लड़की के तरफ जा रही थी जो किताब में डूबी हुई ती
15:25इतिपाक सके पे केविटर ने दोनों की मेजे बदल दी
15:29कभीर के सामने वहो चाय आ गई जो सारा ने मंगवाई थी
15:33और सारा के सामने वहों कापिया गई जो कबीर का आडर था
15:38सारा ने हलकी सी मुस्कुराहट के साथ कहा
15:41शायद आपका आडर ही
15:43कबीर ने जवाब दिया और शायद ये किसमत का आडर ही
15:46सारा ने हेरत से उसे देखा पिर हंस दी
15:49ये उन दोनों का पहला जुम्ले था लेकिन शायद इस लिम्हे कहाने शुरू हो गई थी
15:55अगले हबते कभी पिर उसकेपे में आया और हेरत के बात ही थी कि सारा प्र भी वही थी
16:02पहले एक सलाम पिर दू तेन जुम्ले और पिर कभी किताब पर बहुत कि भी मुसम पर
16:08आइस्ता आइस्ता ओओ दोनों करीब आने लगे कभी में ब्लॉट पर वाक करना कभी इनवस्टी के पुराने लाइन में बैट कर बाते करना
16:19कभी उनकों महसूस होने लगा कि वो सारा के बगएर दिन का तसवर नहीं कर सकता
16:24एक दिन कभी ने पूचा तुम हमेशा मस्कुराती हूँ लुकिन कभी कभी आनकों में आजीब से उदासी आ जाती है
16:31क्यों सारा ने एक लम्हा खामोशी अख्यार की पिर देरे से कहा
16:37कि उनके एक बार मैंने किसी को दिल लिया था और बदले में सिर्फ दोका पाया
16:41कभीर ने उसके आनकों में देखते हो ये कहा
16:44शायद तुमने दिल गलत जगा रकाता लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि महबत गलत थी
16:50चन दिन बाद नहर किनारे बैटकर कभीर ने कहा
16:53सारा मैं तुम से महबत करता हूँ
16:55सारा ने नजर जुका लिया और देरे से बूली
16:59महबत कुसूरत है कभीर लेकिन मेरा दिल तुबारा तूटने से डरता है
17:04कभीर ने मुस्कुरा कर कहा
17:06तुम पिर मैं वहो शख़स बनूगा जो उसे कभी तूटने नहीं देगा
17:11महीने गुजर गए कभीर ने कभी जल्दी नहीं की
17:14वहो हर खुश हर दुक में सारा के साथ कड़ा रहा
17:19कि भी बारिश में उसे गर चोड़ा था
17:21कभी किसी मुश्किल दिन पर साप खमोश बेट कर उसका साथ देना
17:26आइस्ता आइस्ता सारा के दिल का खुब कम होने लगा
17:29पिर एक दिन सारा के गर एक लपापा आया
17:33और उसमे कभीर का लिका हुआ एक खता
17:36मैंने तुमें इसलिए नहीं चाहा कि तुम मेरे साथ रहो
17:40बलकि इसलिए कि तुम खुश रहो
17:42चाहे मेरे साथ या मेरे बगेर
17:44लेकिन अगर तुम अगर तुम अगर तुम में सारी जिनगी तुम्हारी खुश्ण की वज़ा बनना चाहता हू।
17:50सारा किआन कुंसे आन सुब बेह निकले वो हो जान गई ती किये वी मुहब्बत खुद गरज नही बल्कि खालिस थी
17:57अगले दिन बारश हो रही थी सारा ने कबीर को काल की
18:00कबीर क्या हम बारश में एक साथ चल सकते है
18:04कबीर मुस्कुराया और गाड़ी लेकर आगिया
18:07बारश के खात्रों के बीच वहो दून एक दूसरे के साथ चलते रहे
18:11माज़ी की तलखिया दुल गईया और उनके दरमयान सिर्फ एक वादा रही गया
18:15हमेशा का साथ
18:17नाजरेन इस रूमा सीरिल में अब दो किंगे
18:20कि एक दिन में इस पर बैटी एक लड़की किताब पर रही थी
18:24उसका नाम सारा था
18:26उसके चेहरे पर हल किसी मुस्कुराहट टे
18:28लेकिन आनकुमे ऐसा सकूँ जैसे किसी तुपान के बाद की खामोशी हो
18:32कुछ ही पासले पर एक मेंस पर बेटा एक लड़का अपनी लेप टाप पर काम कर रहा था
18:38एक कबीर ता दरमयान एकत का
18:40खुबसूरत मगर संजीदा और आनकुमे एक आजीब सी गहराई
18:44कबीर की नजर बार बार उस लड़की के तरब जा रही थी
18:48जो किताब में डूबी हुई थी
18:50इतिपाक सके पे केविटर ने दोनों की मेजे बदल दे
18:54कबीर के सामने वो हो चाय आ गई जो सारा ने मंगवाई थी
18:58और सारा के सामने वो हो कापी आ गई जो कबीर का आडर था
19:02सारा ने हलकी सी मुस्कुराहट के साथ कहा
19:05शायद आपका आडर है
19:07कबीर ने जवाब दिया और शायद ये किसमत का आडर है
19:11सारा ने हेरत से उसे देका फिर हनस दी
19:14ये उन दोनों का पहला जूम्लेह था लेकिन शायद इस लम्हे कहाने शुरू हो गए ती
19:20अगले हपते कबेर पिर उसे केपे में आया और हेरत के बात ये ये ती कि सारा पिर भी वही ती
19:26पहले एक सलम फिर दो तीन जम्ले और पिर कभी किताब पर बाहस कि भी मुसम पर
19:33आईस्ता हीस्ता हो दोनों करीब आने लगे कभी मेंड ब्लॉट पर वाक करना
19:40कभी इनवस्ति के पुराने लाइन में बेट कर बाते करना
19:43कबीर को महसूस होने लगा कि वो सारा के बगएर दिन का तसवर नहीं कर सकता
19:49एक दिन कबीर ने पूचा तुम हमेशा मस्कुराती हूँ लुकिन कभी कभी आनकुम में आजीब से उद्यासी आ जाती है
19:56क्योँ
19:57सारा ने एक लम्हा खामोशी अख्यार की पिर देरे से कहा
20:01कि उनके एक बार मैंने किसी को दिल लिया था और बदले में सिर्फ दोका पाया
20:06कभीर ने उसके आनकुम में देखते हूए कहा
20:09शायद तुमने दिल गलत जगा रखता है लेकिन इसका मतलब ये नही कि महबत गलत थी
20:14चन दिन बाद नहर किनारे बैटकर कभीर ने कहा
20:18सारा मैं तुमसे महबत करता हूँ
20:20सारा ने नजर जुका लिया और देरे से बूली
20:24महबत कुसूरत है कभीर लेकिन मेरा दिल तूटने से डरता है
20:29कभीर ने मुस्कुरा कर कहा
20:31तुम पिर मैं वह शख्छस बनूँगा जो उसे कभी तूटने नहीं देगा
20:36महीने गुजर गए कभीर ने कभी जल्दी नहीं की
20:39वह हर खुश हर दूप में सारा के साथ कड़ा रहा
20:43कि भी बारश में उसे गर चोड़ आता
20:46कभी किसी मुश्किल दिन पर साप खामोश बेट कर उसका साथ देना
20:50आइस्ता आइस्ता सारा के दिल का खोप कम होने लगा
20:55पिर एक दिन सारा के गर एक लपा पाया
20:58और उसमे कबिर का लिका हुआ एक ख़ता मैंने तुमें इसलिए नहीं चाहा कि तुम मेरे साथ रहो बलकि इसलिए कि तुम खुश रहो चाहे मेरे साथ या मेरे बगेर लेकिन अगर तुम अगर तुम में सारे जिन्दगी तुम हारी खुशुं की वज़ा बनना चाहता हूँ
21:28चल सकते हैं कबिर मुस्कुराया और गाड़ी लेकर आगिया बारिश के गात्रों के बीच वहोदों एक दूसरे के साथ चलते रहे
21:35माज़ी की तल्खिया दुल गईया और उनके तरम्यान सिर्भ एक वादा रही गया हमेशा का साथ
21:41नाजरेन इस रुमा सिर्यल मैप दोखेंगे कि एक दिन में इस पर बैटी एक लड़की किताब पर रही थी उसका नाम सारा था
21:50उसके चेहरे पर हल किसी मुस्कुराहट टेले किन आनकुमे ऐसा सकूँ जैसे किसी तुपान के बाद की खामोशी हो
21:57कुछ ही पासले पर एक मेंस पर बैटा एक लड़का अपनी लेप टाप पर काम कर रहा था
22:03एक कभीर ता दरमियान एक कद का खुबसूरत मगर सुझी दावरान कुमे एक आजीब सी गहराई
22:09कभीर की नजर बार बार उस लड़की के तरफ जा रही थी जो किताब में डूबी हुई थी
22:14इतिपाक सके पे केविटर ने दोनों की मेजे बदल दी
22:18कभीर के सामने वो हो चाय आ गई जो सारा ने मंगवाई थी
22:23और सारा के सामने वह कापिया गई जो कबीर का आडर था
22:27सारा ने हलकी से मुस्कुराहट के साथ कहा
22:30शायद आपका आडर है
22:32कबीर ने जवाब दिया और शायद ये किसमत का आडर है
22:35सारा ने हेरत से उसे देखा पिर हंस दी
22:39ये उन दोनों का पहला जुम्ले था लेकिन शायद इस लम्हे कहाने शुरू हो गई थी
22:44अगले हबते कभी पिर उसकेपे में आया और हेरत के बात यी थी कि सारा प्यू भी वही थी
22:51पहले एक सलाम पिर दू तिन जुम्ले और पिर कभी किताब पर बाहस कि भी मुसम पर
22:57आइस्ता आइस्ता ओओ दोनों करीब आने लगे कभी में ब्लॉट पर वाक करना कभी इनवस्टे के पुराने लाइन में बैट कर बाते करना
23:09कभी उनको महसूस होने लगा कि वो सारा के बगएर दिन का तसवर नहीं कर सकता
23:14एक दिन कभी ने पूचा तुम हमेशा मस्कुराती हूँ लगिन कभी कभी आनको में आजीब से उड़ासी आजाती है
23:21क्योग शारा ने एक लम्हा खामोशी अख्तियार की पिर देरे से कहा
23:26कि उनके एक बार मैंने किसी को दिल लिया था और बदले में सिर्फ दोका पाया
23:31कभीर ने उसके आनकों में देखते हूए कहा
23:34शायद तुमने दिल गलत जगा रकाता लेकिन इसका मतलब ये नहीं के महबत गलत थी
23:39चन दिन बाद नहर किनारे बैटकर कभीर ने कहा
23:42सारा मैं तुमसे महबत करता हूँ
23:45सारा ने नजर जुका लिया और देरे से बूली
23:49महबत कुसूरत है कभीर लेकिन मेरा दिल दुबारा तूटने से डरता है
23:53कभीर ने मुस्कुरा कर कहा
23:56तुम पिर मैं वहो शखस बनूँगा जो उसे कभी तूटने नहीं देगा
24:00महीने गुजर गए कभीर ने कभी जल्ली नहीं की
24:04वहो हर खुश हर दुख में सारा के साथ कड़ा रहा
24:08कि भी बारिश में उसे गर चोड़ आता
24:11कभी किसी मुश्किल दिन पर साथ खामोश बेट कर उसका साथ देना
24:15आइस्ता आइस्ता सारा के दिल का खौप कम होने लगा
24:19पिर एक दिन सारा के गर एक लपापा आया
24:22और उसमे कभीर का लिका हुआ एक खता
24:25मैंने तुम्हे इसलिए नहीं चाहा के तुम मेरे साथ रहो
24:29बलकि इसलिए के तुम खुश रहो
24:31चाहे मेरे साथ या मेरे बगएर
24:34लेकिन अगर तुम अगर तुम अगर तुम अगर तुम्हारी खुशों की वज़ा बनना चाहता हूँ
24:39सारा कियान कुंसे आंस बेह निकले वो हो जान गई थी कि गी महबत खुद गरज नहीं बलकि खालिस थी
24:46अगले दिन बारश हो रही थी सारा ने कबिर को काल की
24:50कबिर क्या हम बारश में एक साथ चल सकते हैं
24:54कबिर मस्कुराया और गाड़ी लेकर आगिया बारश के गातरों के बीच वहो दून एक दूसरे के साथ चलते रहे
25:00माज़ी की तलखिया दुल गईया और उनके तरमियान सिर्फ एक वादा रही गया हमेशा का साथ
25:06नाजरेन इजर्मा सिर्फ में अब दो किंगे के एक दिन में इस पर बैटी एक लड़की किताब पर रही थी उसका नाम सारा था
25:15उसके चेहरे पर हल किसी मस्कुराहट टी लेकिन आनकुमे ऐसा सको जैसे किसी तुपान के बाद की खामोशी हो
25:22कुछ ही पासले पर एक मेंस पर बेटा एक लड़का अपनी लेप टाप पर काम कर रहा था
25:27एक कभीर ता दर्मियान एक कद का खुबसूरत मगर संजीदा और आनकुमे एक आजीब सी गहराई
25:33कभीर की नजरे बार बार उस ल्ड़की के तरफ जा रही थी जो किताब में डूबी हुई थी
25:39इतफाक सके पे केवीटर ने दोनों की मेज़े बदल दे
25:43कभीर के सामने वह चाय आ गई जो सारा ने मंगवाई थी
25:47और सारा के सामने वह कापिया गई जो कबीर का आडर था
25:52सारा ने हलकी सी मुस्कुराहट के साथ कहा
25:55शायद आपका आडर है
25:57कबीर ने जवाब दिया और शायद ये किसमत का आडर है
26:00सारा ने हेरत से उसे देखा पिर हंस दी
26:03ये उन दोनों का पहला जुम्ले था लेकिन शायद इस लम्हे कहानी शुरू हो गई थी
26:09अगले हबते कभी पिर उसकेपे में आया और हेरत के बात यी थी कि सारा प्युवे भी वही थी
26:16पहले एक सलाम पिर दो तिन जुम्ले और पिर कभी किताब पर बाहस के भी मौसम पर
26:22आईस्ता हिस्ता हो दोनों करीब आने लगे कभी में ब्लॉड पर वाक करना
26:29कभी इनवर्सटी के पुराने लाइन में बیट कर बाते करना
26:33कबीर को महसूस होने लगा कि वो सारा के बगेर दिन का तसवर नहीं कर सकता
26:38एक दिन कबीर ने पूचा तुम हमेशा मस्कुराती हूँ लुकिन कभी कभी आनकुम में आजीब से उद्यासी आजाती है
26:45क्यों सारा ने एक लम्हा खामोशी अख्तियार की पिर देरे से कहा
26:51कि उनके एक बार मैंने किसी को दिल लिया था हूँ और बदले में सिर्फ दोका पाया
26:55कभीर ने उसके आनकुम में देखते हूँ ये कहा
26:59शायद तुमने दिल गलत जगा रकाता लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि महबत गलत थी
27:04चन्द दिन बाद नहर किनारे बेटकर कभीर ने कहा
27:07सारा मैं तुमसे महबत करता हूँ
27:10सारा ने नजर जुका लिया और देरे से बूली
27:13महबत गुसूरत है कभीर लेकिन मेरा दिल दोबारा तोटने से डरता है
27:18कभीर ने मुसकुरा कर कहा
27:20तुम पिर में वो हो शखस बनूँगा जो उसे कभी तोटने नहीं देगा
27:25महीने गुजर गए कबिर ने कभी जल्दी नहीं की
27:28वो हो हर खुश हर दुख में सारा के साथ कड़ा रहा
27:33कि भी बारिश में उसे गर चोड़ा था
27:35कभी किसी मुश्किल दिन पर साथ खामोश बेट कर उसका साथ देना
27:40आईस्ता आईस्ता सारा के दिल का खौब कम होने लगा
27:44पिर एक दिन सारा के गर एक लपापा आया
27:47और उसमे कभीर का लिका हुआ एक खट था
27:50मैंने तुम्हें इसलिए नहीं चाहा कि तुम मेरे साथ रहो
27:54बलकि इसलिए कि तुम खुश रहो
27:56चाहे मेरे साथ या मेरे बगएर
27:58लेकिन अगर तुम अगर तुम्हें सारे जिन्दगी तुम्हारी खुशों की वज़ा बनना चाहता हूँ
28:04सारा कियान कुंसे आंसों बेह निकले वो हो जान गई थी के गी महबत खुद गरज नहीं बल्कि खालिस थी
28:11अगले दिन बारश हो रही थी सारा ने कबीर को काल की
28:15कबीर क्या हम बारश में एक साथ चल सकते ही
28:18कबीर मस्कुराया और गाड़ी लेकर आगिया बारश के खातरों के बीच वहोदों एक दूसरे के साथ चलते रहे
28:25माज़ी की तलखिया दूल गईया और उनके तरम्यान सिर्फ एक वादा रही गया हमेशा का साथ
28:31नाजरेन इस रूमा सिर्फ में अब दो किंगे कि एक दिन में इस पर बैटी एक लड़की किताब पर रही थी उसका नाम सारा था
28:40उसके चेहरे पर हल किसी मस्कुराहट टेले किन आनकुमे ऐसा सको जैसे किसी तुपान के बाद की खामोशी हो
28:46कुछ ही पासले पर एक मेंस पर बैटा एक लड़का अपनी लेप टाप पर काम कर रहा था
28:52एक कभीर ता दर्मियान एक कद का खुबसूरत मगर संजीदा और आनकुमे एक आजीब सी गहराई
28:58कभीर की नजरे बार बार उस लड़की के तरफ जा रही थी जो किताब में डूबी हुई थी
29:04इतफाक सके पे केविटर ने दुनों की मेजे बदल दे
29:08कभीर के सामने वह चाये आ गई जो सारा ने मंगवाई थी
29:12और सारा के सामने वह कापिया गई जो कबीर का आडर था
29:16सारा ने हलकी सी मुस्कुराहट के साथ कहा
29:19शायद आपका आडर है
29:21कबीर ने जवाब दिया और शायद ये किसमत का आडर है
29:25सारा ने हेरत से उसे देखा पिर हंस दी
29:28ये उन दोनों का पहला जुम्ले था लेकिन शायद इस लिम्हे कहानी शुरू हो गई थी
29:34अगले हबते कभी पिर उसकेपे में आया और हेरत के बात यी थी कि सारा प्र भी वही थी
29:40पहले एक सलाम पिर दू तिन जुम्ले और पिर कभी किताब पर बहुत कि भी मुसम पर
29:47आइस्ता आइस्ता वह दोनों करीब आने लगे कभी में बलॉट पर वाक करना कभी इनवर्स्टी के पुराने लाइन में बेट कर बाते करना
29:58कभी उन को महसूस होने लगा कि वह सारा के बगएर दिन का तसवर नहीं कर सकता
30:03एक दिन कभी ने पूचा तुम हमेशा मस्कुराती हूँ लुकिन कभी कभी आनकुम में आजीब से उदासी आ जाती है
30:10क्योग शारा ने एक लम्हा खामोशी अख्तियार की पिर देरे से कहा
30:15कि उनके एक बार मैंने किसी को दिल लिया था और बदले में सिर्फ दोका पाया
30:20कभी ने उसके आनकुम में देखते हूए कहा
30:23शायद तुमने दिल गलत जगा रकाता लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि महबत गलत थी
30:28चन दिन बाद नहर किनारे बैटकर कभी ने कहा
30:32सारा मैं तुमसे महबत करता हूँ
30:34सारा ने नजर जुका लिया और देरे से बूली
30:38महबत कुसूरत है कभीर लेकिन मेरा दिल दुबारा तूटने से डरता है
30:43कभीर ने मुस्कुरा कर कहा
30:45तुम पिर मैं वो हो शखस बनूँगा जो उसे कभी तूटने नहीं देगा
30:50महीने गुजर गए कभीर ने कभी जल्दी नहीं की
30:53वो हो हर खुश हर दुक में सारा के साथ कड़ा रहा
30:57कि भी बारिश में उसे गर चोड़ा था
31:00कभी किसी मुश्किल दिन पर साथ खामोश बेट कर उसका साथ देना
31:04आइस्ता आइस्ता सारा के दिल का खौप कम होने लगा
31:08पिर एक दिन सारा के गर एक लपापा आया
31:12और उसमे कभीर का लिका हुआ एक खता
31:15मैंने तुम्हे इसलिए नहीं चाहा के तुम मेरे साथ रहो
31:18बलकि इसलिए के तुम खुश रहो
31:21चाहे मेरे साथ या मेरे बगएर
31:23लेकिन अगर तुम अगर तुम अगर तुम अगर तुम्हारी खुशों की वज़ा बनना चाहता हूँ
31:28सारा कियान कुंसे आंसों बेह निकले वो हो जान गई थी के गी महबत खुद गरज नहीं बल्कि खालिस थी
31:36अगले दिन बारश हो रही थी सारा ने कबीर को काल की
31:39कबीर क्या हम बारश में एक साथ चल सकते ही
31:43कबीर मस्कुराया और गाड़ी लेकर आगिया बारश के गातरों के बीच वहोदों एक दूसरे के साथ चलते रहे
31:49माज़ी की तल्खिया दुल गईया और उनके तरम्यान सिर्फ एक वादा रही गया हमेशा का साथ
31:55कबीर की नज़रे बार बार बार उस लड़की किताब पर रही थी उसका नाम सारा था
32:04उसके चेहरे पर हल किसी मस्कुराहटी लेकिन आनकुमे ऐसा सको जैसे किसी तुपान के बाद की खामोशी हो
32:11कुछ ही पासले पर एक मेस पर बेटा एक लड़का अपनी लेप टाप पर काम कर रहा था
32:17एक कबीर ता दरमियान एक कद का खुबसूरत मगर संजीदा और आनकुमे एक आजीब सी गहराई
32:23कबीर की नजरे बार बार उस लड़की की तरफ जा रही ती जो किताब में डूब़ी हुई थी
32:28इत्यफाक सके पकेईटर ने दौनों की मेज़े बिदे
32:33कबीर के सामने वो हो चाय आ गई जो सारा ने मनगवाई थी
32:37और सारा के सामने वह कापिया गई जो कबीर का आडर था
32:41सारा ने हलकी सी मुस्कुराहट के साथ कहा
32:44शायद आपका आडर ही
32:46कबीर ने चवाब दिया और शायद ये किसमत का आडर ही
32:49सारा ने हेरत से उसे देखा पिर हंस दी
32:53ये उन दोनों का पहला जुम्ले था लेकिन शायद इस लिम्हे कहाने शुरू हो गई थी
32:58अगले हबते कभी पिर उसकेपे में आया और हेरत के बात यी थी कि सारा प्र भी वही थी
33:05पहले एक सलाम पिर दू तिन जुम्ले और पिर कभी किताब पर बहुत कि भी मुसम पर
33:11आइस्था आइस्था ओो दोनों करीब आने लगे कि भी में ब्लॉट पर वाक करना कि भी इनुवर्सटि पर पूराने लाइन में बैठ कर बाते करना
33:22कभी उस्था को महसूस होने लगा कि उस सारा के बगएर दिन का तसवर नहीं कर सकता
33:28एक दिन कबीर ने पूचा तुम हमेशा मुस्कुराती हूँ लुकिन कभी कभी आनकुम में आजीब से उदासी आ जाती है
33:35क्योँ? सारा ने एक लम्हा खामोशी अख्तियार की पिर देरे से कहा
33:40कि उनके एक बार मैंने किसी को दिल लियाता हूँ और बदले में सिर्फ दोका पाया
33:45कभीर ने उसके आनकुम में देखते हूए कहा
33:48शायद तुमने दिल गलत जगा रखाता है लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि महबत गलत थी
33:53चन्द दिन बाद नहर किनारे बैटकर कभीर ने कहा
33:56सारा मैं तुमसे महबत करता हूँ
33:59सारा ने नजर जुका लिया और देरे से बूली
34:03महबत कुसूरत है कभीर लेकिन मेरा दिल तुबारा तूटने से डरता है
34:07कभीर ने मुस्कुरा कर कहा
34:10तुम पिर में वो हो शखस बनूँगा जो उसे कभी तोटने नहीं देगा
34:14महीने गुजर गए कबिर ने कभी जल्दी नहीं की
34:18वो हो हर खुश हर दुख में सारा के साथ कड़ा रहा
34:22कि भी बारिश में उसे गर चोड़ा था
34:25कभी किसी मुश्किल दिन पर साथ खामोश बेट कर उसका साथ देना
34:29आईस्ता आईस्ता सारा के दिल का खौब कम होने लगा
34:33पिर एक दिन सारा के गर एक लपापा आया
34:36और उसमे कभीर का लिखा हुआ एक खत्ता
34:39मैंने तुम्हें इसलिए नहीं चाहा कि तुम मेरे साथ रहो
34:43बलकि इसलिए कि तुम खुश रहो
34:45चाहे मेरे साथ या मेरे बगएर
34:48लेकिन अगर तुम अगर तुम्हें सारी जिन्दगी तुम्हारी खुशों की वज़ा बनना चाहता हूँ
34:54सारा कियान कुंसे आंसों बेह निकले वो हो जान गई थी के गी महबत खुद गरज नहीं बल्कि खालिस थी
35:00अगले दिन बारश हो रही थी सारा ने कबीर को काल की
35:04कबीर क्या हम बारश में एक साथ चल सकते ही
35:07कबीर मस्कुराया और गाड़ी लेकर आगिया बारश के खातरों के बीच वहो दोन एक दूसरे के साथ चलते रहे
35:14माज़ी की तल्खिया दुल गया और उनके तरमयान सिर्फ एक वादा रही गया हमेशा का साथ
35:20नाजरेन इस रोमा सिर्फ में अब दो किंगे के एक दिन में इस पर बैटी एक लड़की किताब पर रही थी उसका नाम सारा था
35:29उसके चेहरे पर हल किसी मुस्कुराहट ते लेकिन आनकुमे ऐसा सको जैसे किसी तोपान के बाद की खामोशी हो
35:36कुछ ही पासले पर एक मेंस पर बैटा एक लड़का अपनी लेप टाप पर काम कर रहा था
35:41एक कभीर ता दरमियान एक कत का खुबसूरत मगर सुझी दावरान कुमे एक आजीब सी गहराई
35:47कभीर की नजर बार बार उस लड़की के तरफ जा रही थी जो किताब में डूबी हुई थी
35:53इतिपाक सके पे केविटर ने दोनों की मेजे बदल दे
35:57कभीर के सामने वो हो चाय आ गई जो सारा ने मंगवाई थी
36:01और सारा के सामने वह कापिया गई जो कबीर का आडर था
36:06सारा ने हलकी सी मुस्कुराहट के साथ कहा
36:09शायद आपका आडर है
36:11कबीर ने जवाब दिया और शायद ये किसमत का आडर है
36:14सारा ने हेरत से उसे देखा पिर हंस दी
36:17ये उन दोनों का पहला जुम्ले था लेकिन शायद इस लिम्हे कहानी शुरू हो गई थी
36:23अगले हबते कभीर पिर उसकेपे में आया और हेरत के बात यी थी कि सारा प्र भी वही थी
36:30पहले एक सलाम पिर दू तिन जुम्ले और पिर कभी किताब पर बहुत कि भी मुसम पर
36:47कभीर को महसूस होने लगा कि वो सारा के बगएर दिन का तसवर नहीं कर सकता
36:52एक दिन कभीर ने पूचा तुम हमेशा मस्कुराती हूँ लुकिन कभी कभी आनकुम में आजीब से उदासी आ जाती है
37:00क्यों सारा ने एक लम्हा खामोशी अख्यार की पिर देरे से कहा
37:05कि उनके एक बार मैंने किसी को दिल लिया था और बदले में सिर्फ दोका पाया
37:09कभीर ने उसके आनकुम में देखते हूए कहा
37:13शायद तुमने दिल गलत जगा रखता लेकिन इसका मतलब ये नही के महबत गलत थी
37:18चन्दिन बाद नहर किनारे बैटकर कभीर ने कहा
37:21सारा मैं तुमसे महबत करता हूँ
37:23सारा ने नजरे जुका लिया और देरे से बूली
37:27महबब खुसूरत है कबिर लेकिन मेरा दिल तूटने से डरता है
37:32कबिर ने मुस्कुरा कर कहा
37:34तुम पिर मैं वह शख्छस बनूँगा जो उसे कभी तूटने नहीं देगा
37:39महीने गुजर गए कबिर ने कभी जल्दी नहीं की
37:43वह हर दुक में सारा के साथ कड़ा रहा
37:47कि भी बारिश में उसे गरो चुड़ा था
37:49कभी किसी मुश्किल दिन पर साब खामोश बैट कर उसका साथ देना
37:54आइस्ता आइस्ता सारा के दिल का खोग कम होने लगा
37:58पिर एक दिन सारा के गर एक लपापा आया
38:01और उसमे कबिर का लिका हुआ एक खता मेरे तुमें इसलिए नहीं चाहा कि तुम मेरे साथ रहो बलकि इसलिए कि तुम खुश रहो चाहे मेरे साथ या मेरे बगेर लेकिन अगर तुम इजाज़त तो
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