00:00I am Dr. Mahindr Singh, Ipihas, Uvhag, Dyanand Kolej Hissar.
00:07Shautantata के Shangram में Haryana की बेमिसाल भूमीका है.
00:12और जैसा कि हम जानते हैं कि आजादी की लड़ाई भारत की 1857 से प्रारंब होकर 1947 तक चलती है.
00:20तो हरियाना प्रारंब से लेकर और 1947 तक बहुत जागरुक भूमीका के साथ आगे बढ़ता है.
00:28क्योंकि मैंने हरियाना में 1857 पे काम किया, तो उस दोरान ये बात सामने आई कि अंग्रेजी रिकोर्ड ये मानता है कि 1857 में 182 हजार लोगों ने पूरे देश में शहादत ली, उन में से 24,000 लोग हरियाना के थे.
00:46लेकिन जब मैंने व्यापक तोर पर रिकोर्ड को अलग लग धुम से खंगाला, तो 6,000,000 लोग पूरे भारत में शहीद हुए हैं, जिन में से 80,000 के आसपास लोग हरियाना के थे.
00:59तो इस कड़ी में अमबाला से लेकर हम होडल पलवल तक की बात करें, या फिर डववाली से लेकर नारनोल में नसीब पूर तक की बात करें, हर जगहे पर लोग बहुत ज़ादा जागरूख थे.
01:14यदि 1857 के परमुख लोगों में मैं नाम लूँ, उन में जैसे हम मुहमद आजम की बात करें, रुकुन दिन मोलवी की बात करें, शाबाज बेक की बात करें, हुकम जैन और मुनीर बेक की बात करें,
01:29or
01:31Rav Tula Ram
01:32Rav Tulsi Ram
01:34Rav Kishn Gopal
01:35Rav Gopal Dev
01:36or
01:37Sarduddin
01:38or
01:38Badruddin
01:39or
01:39Rav Tula Ram
01:40or
01:41Tafjal Hushain
01:43Rhotak
01:43or
01:45this
01:45KD
01:45or
01:46Sonepatt
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01:46Rami
01:47or
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01:49Rami
01:50or
01:50Rami
01:51or
01:52Kethal
01:52and
01:52Kudri
01:53or
01:54Rami
01:55or
01:56Rami
01:57Rami
01:58Rami
01:59Sakriyata
02:00के
02:00साथ
02:0110
02:02May
02:031857
02:03से
02:04लेकर
02:0427
02:06November
02:06तक
02:07लगातार
02:08लडाई
02:08लड़ी
02:08और
02:09पूरे के
02:10पूरे
02:10हरियाना
02:11में
02:1153 गाओं
02:12हैं
02:13नश्ट हुए
02:1315 जगह
02:14पर
02:15लोगों
02:15को
02:15रोड
02:16रोलर के
02:17नीचे
02:17कुचला गया
02:1810 जगह
02:19पर
02:19लोगों को
02:20तोफ से
02:21बांद कर
02:21उडाया गया
02:22तो ऐसे में
02:23महिलाओं में
02:25हम
02:25कैथल की
02:26रानी
02:27मैताबकूर की
02:28बात करें
02:28या फिर
02:29एक महिला का
02:30जिकर आता है
02:31जो बादली के
02:32मूर्चे पे
02:32लड़ी थी
02:33और
02:34अंबाला में उसको
02:35फांसी दी गई
02:35उसको अंग्रेज
02:37इतने ज़्यादा
02:38ड्रे हुए थे
02:39कि उसको
02:39जोन ओफ आर्क का
02:41नाम दे दिया
02:42अर्थात
02:42ये महिला
02:43हिंदुस्तान में
02:44बहुत बड़ी
02:45महिला के तोर पर ही
02:47स्थापित नहोंकर
02:48बलकि वो
02:49भारत माता के रूप में
02:50स्थापित हो सकती है
02:51ऐसा उनका
02:52मानना था
02:53तो अठारा सो स्तावन
02:54से जो सिलसला
02:55प्रार्म हुआ था
02:56वो बाद में भी
02:57जारी रहा
02:58बीच के समय में
03:00थोड़ा
03:00राष्ट्रिय भावनाई
03:01विक्षित होने की
03:02परस्तितियां पैदा हुई
03:04जिसमें आरिया
03:05समाज की भूमी का थी
03:06शिक्षा की भूमी का थी
03:08और जब राष्ट्रिय अंदोलनेक
03:10शंग्ठित दिसा में आगे बढ़ता है
03:12तो जिस दिन कॉंग्रेस
03:14स्थापित होती है
03:15मंबई में
03:1628 दिसंबर 1850 को
03:18जो 72 लोग उसमें सामिल थे
03:20उनमें लाला मुरलिधर
03:22नाम के विक्ति
03:23वो अंबाला के थे
03:25पंजाब को विरी परजेंट किया था उन्होंने
03:27उससे अगले में उनके साथ
03:29दो लोग और गए थे
03:31और जब 34 दिवेशन हुआ
03:35अकेले हिसार से
03:36चार लोग
03:37लाला लाज पत्राए लाला गोरी शंकर
03:40और चुडा मनी जैसे लोग
03:41उनके साथ थे
03:42हिसार में लाला लाज पत्राए
03:451886 लेके
03:461892 तक रहे
03:48और वो यहाँ परराष्ट्री अंदोलन के
03:51आरिये समाज के
03:52सुतरधार रहे
03:53और जब वो अंबाला
03:55यहां से लाहोर सिफ्ट हुए
03:57तो उसके बाद भी
03:58यह सिलसला जारी रहा
04:00तो जो पहला दोर है
04:03उदारवादियों का
04:041885 से 1905 तक
04:06इसमें पंडित दीन द्याल
04:08और
04:09लाला मुरली धर
04:11बाबु बाल मकंद गुप्त
04:13यह वो लोग थे
04:14जो लीड करते हैं
04:16उसके बाद 1905 से 1918 के बीच में
04:19जब लाल बाल पाल का दोर रहता है
04:21तो लाला लाज पत्राई
04:23उसकी केंदर में रहते हैं
04:24और लाला लाज पत्राई
04:26अपनी डाइरियों में लगातार लिखते हैं
04:28कि मुझे हिसार रोतक से
04:30जो समर्थन मिला
04:31देश के अन्य हिसों से बहुत कम मिला
04:34उसके बाद की परस्तिती में
04:36जब गांदी जी के तीन आंदोलन होते हैं
04:38तीनों के तीनों में
04:40बहुत बहतर सकरियता से भागिदारी होती है
04:43उनकी पहली जो गिरफतारी हुई थी पलवल में
04:46भारत में
04:47शोतंतरता के अंदोलन में
04:49जो गिरफतारी की
04:49वो 9 अप्रैल को पलोल में हुई
04:51गांदी जी दो बार
04:53ऐसहयोग अंदोलन के दुरान
04:55भिवानी में आई
04:57और उसके बाद
04:58पहले में लगवग 5,000 लोग
05:01ऐसहयोग अंदोलन में
05:03गिरफतार होते हैं हरियाना के इलाके में
05:05सविन्या वग्या अंदोलन के दोरान
05:07जो 78 लोग पैदल गए थे
05:09डांडी से लेकर
05:11और साबरमती से लेकर डांडी तक
05:13उनमें सूरजभान
05:15प्यारे लाल
05:16नाम के व्यक्ति भी उनके साथ थे
05:19इस इलाके से
05:21और लगातार जो भूमी का है
05:23बढ़ती गई व्यक्तिगत सत्यागरह
05:25में 541 लोगों ने
05:27गिरफतारियां दी भारत छोड़ो
05:29अंदोलन के दोरान भी हां
05:3042 बार लाठी चार्ज हुआ
05:33और लोग पूरी जागरूपता
05:35के साथ आगे बढ़े राष्ट्रिया
05:37अंदोलन की हर गतिविधी में
05:39खासकर जब आजादिद
05:41पोज की बात करते हैं
05:43लगवग 600 लोगों की
05:45परत्यक्स्ताय भागिदारी रही
05:47शहादत रही
05:4828 और 29 नुवंबर
05:501938 को खुद
05:52सुभासेंदर बोज हिसार में आई
05:55थे उनका आना हुआ था
05:56बलवन्त तायल
05:58भगत रामेशुवर दास
06:00श्यामलाल शत्याग्रही
06:02इन लोगों ने उनके
06:04जो करेकरम के थे
06:06ठाकुर्दास भारगव गोफिचंद भारगव
06:08इतियादी लोग उनके साथ
06:10इन्वोल हुए थे
06:11हिसार के कटला रामलिला में
06:14उनका करेकरम हुआ था
06:15धासू और जुगलान गाउं गए
06:18लाला हरदेव साहे का
06:20सातरोड में स्कूल था
06:22सरकारी स्कूल उससे
06:23बहुत परभावित हुए थे क्योंकि
06:25वहाँ पढ़ाई के साथ-साथ
06:27दस्तकारी भी सिखाई जा रही थी
06:29तो हर कदम पर
06:32यहां के लोग अजादी की
06:34लड़ाई में पूरी व्यस्तता
06:36के साथ पूरी तन्मयता
06:38के साथ शामिल हुए
06:39और इतने रोचक किशे
06:42हैं इतने रोचक बाते
06:44हैं कि यहां की मिट्टी
06:46का हर जर्रा जर्रा
06:47अजादी की लड़ाई में सामिल
06:49uh duas tha
06:50اور جس طرح
06:51کے تیاغ
06:52بلیدان
06:53شنگھرس
06:54ان لوگوں نے دیا
06:55ہم ان کے پرتی
06:56نمن کرتے ہیں
06:57اور یہ
06:58احساس کراتا ہے
06:59کہ ستمترتہ
07:00کے لڑائی
07:00صرف ستمترتہ
07:01کے لڑائی نہیں
07:02بلکہ
07:03ہمارے پوروجوں
07:04کے شپنے تھے
07:05ارمان تھے
07:06جو انہوں نے
07:06سوچے تھے
07:08کہ جب دیش
07:08آجاد ہوگا
07:09ہماری پرسیتیاں
07:10کس طرح کی ہوں گی
07:12تو ایسے میں
07:12پندرہ اگست
07:13کیول اور کیول
07:14रसम अदाईगी का आउसर नहीं, बलकि अपने उन कूरूजों के परती करतग्यता अगर्ट करने का, उनके कारणामों को शमजने का और अगली पीड़ी तक इस संदेश को ले जाने का एक उचीत आउसर भी है.
07:28अजादी की लड़ाई में अलग-अलग धाराई थी, अलग-अलग लोग थे, उनकी अलग-अलग भूमिकाई थी, ऐसे में उस राजनेतिक विरासत को जो 1857 से परार्म हुई थी और जो बात तक चली, बहुत कम परिवार ही आगे भढ़ा पाई हैं, यदि उस विरासत के तोर
07:58और उसके बाद यदि हम रोतक में वर्तमान भूपेंदर हुड़ा और इनके परिवार की बात करते हैं, इनके दादा जो है मातुराम जी बहुत सकरिये राजनती में सामिल हुए, उसके बाद इनके पिता जी जो है शुविधान सभा के सदस्या भी रहे, ये परिवार भी �
08:28कॉंग्रेश और उसके साथ मत्वेद होकर उन्होंने यूनिनिस्ट पार्टी मनाई थी, तो उनको वारिस के तोर पर जो आज आगे बढ़ा रहे हैं, वो चोदरी विरेंदर सिंग और उनके परिवार उस विरासब को बढ़ा रहे हैं, इसके अत्रिक जैसे हिसार में बलव
08:58उनसे ये चीजे आगे नहीं बड़ी हैं, लेकिन यदि हम सविधान निर्मान की व्यावस्था के साथ देखते हैं, कि उस दोर का जो पंजाब है, उसमें कुल 15 लोग सविधान सभा के सदस्य थे, जिन में से साथ वर्तमान हरियाना के थे, और वो परिवार भी अब राजन
09:2815 अगस 1947 को बने थे, वो परिवार भी उस परिधी के साथ नहीं, जबकि एक परिवार के दो सदस्य, नि कजन थे आपश में, ठाकुर्दास भारगव जो सविधान सभा के सदस्य थे, बहुत लेडिंग वकील थे, अपने दोर के, और डोक्टर गोपिचंद भारगव बहु
09:58परिकरिया है, लेकिन मिटी की खास बात यही है, समय के साथ लीडर भी देती गई है, और उनको किस तरह से आगे बढ़ना है, इस तरह का सबक भी सिखाती रही है
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