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  • 5 months ago
स्वतंत्रता संग्राम के दौरान काशी क्रांतिकारियों का दूसरा घर था. आजादी की लड़ाई में बनारस के लोगों के बौद्धिक ज्ञान से अंग्रेज परेशान थे.

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00:00We often talk about what we call our own.
00:05Who has what we call our own, who has what we call our own, and who has what we call our own, is that we call our own country.
00:12But the Kashi, which is a very good and good country, is a very good and good country.
00:20foreign
00:48...
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01:06...
01:08...
01:09कोई शक्स दोंगा नहीं हो सकता क्योंकि महात्मा गांदीने खुद काशी विट्या पीट की नीव रचनए के साथ 1916 में वाराणसी में काशी हिंदो विश्य विश्विध्याले में आकर जिस तरह से लोगों को जगाने का काम किया था उसने बड़ा रोल अणादा किया आजा
01:39Thank you very much.
02:09and there were very bad things that Wilhelm
02:39ुपान इस सभ्यता की इस देश की आजादी की लडाई में बहु आयामी है।
02:46आप याद कीजिये बहती गंगा जो एक छोटा सा नौवेला है।
02:51एक लगु ओपन्यासिक कृती बनारस के लाल अग्रणी गद्यकार हिंदी के शियू प्रसाद मिश्व।
03:01जिने प्यार से रुद्र काशी के यह कहा जाता था उनकी कृती है बहती गंगा उसमें छोटी-छोटी कहानिया है और उस महान गाथा का भी जिक्र है एक स्थान पर कि कैसे वारेन हिस्टिंग्स को काशी की जनता ने 1857 के नजाने कितना पहले ख़देड दिया था बनारस से ब
03:31का अंग्रेजी से युद्ध उस किताब को नागरी प्रचाणी सभा ने प्रकाशेत किया है काशी हर समय आजादी की लडाई से सीधे या परोग्च रूप से जुड़ी रही है नागरी प्रचाणी सभा की भूमिका बहुत मुश्किल थी
03:47नागरी प्रचाणी सभा एक संस्था के तौर पर सीधे सीधे स्वाधिनता अंदोलन में कूद नहीं सकती थी क्योंकि प्राइमरी एजुकेशन में सरकारी कामकाज में अदालतों और कचहरियों में अंग्रेजी और फार्सी के साथ नागरी लिपी के प्रवेश का जो अं�
04:17कर अंग्रेज सत्ता को बीस्वी सदी के शुरुवाती वर्षों में हिंदी को सरकारी कामकाज की भाषा के तौर पर मान्यता देनी पड़ी थी समूचे संयुक्त प्रांत में जिसे अब उत्तर प्रदेश कहा जाता है वो अंदोलन नागरी प्रचाणी सभा ने चलाया था
04:47से लेके पंडित मदन मोहन मालवी से लेके गने संकर विद्यार्थी से लेके प्रताप नयाण मिस्र से लेके प्रेम चंजी से लेके जितने साहित्तिकार हैं राजा सिव प्रसाद सितारे हिंद से लेकर के बावो सिव प्रसाद गुप्त से लेकर जितने स्वाधिनता अंद
05:17जगा मुख्पत्र निकालना,
05:19यहां के लोगों के दौरा,
05:21जगा-जगा पर्चे बाटना,
05:22जगा-जगा हिंदी में चोटे-चोटे
05:25जो बाकी किताबें ہیں,
05:27बुकलेटें उनको निकालना,
05:28और उनको लोगों तक ले जाना,
05:30कविताय लिखना,
05:32लेख लिखना,
05:33कहानिया लिखना उपन्यास लिखना
05:35इस तरह से काशी का बहुत बढ़ा योगदान है
05:38स्वाधित दान दो
05:39दिखे काशी ने वो दिन देखा है
05:42जब यहां आम के पेंड के नीचे
05:47या नीम के पेंड के नीचे
05:50ऐसे तमाम नौजवानों को
05:52अंग्रेजों ने फांसी के फंदे पे जुला दिया
05:55कितनी लडाईयां लड़ी
05:58यहां जगा जगा से पुर्वांचल के
06:01जो भी ऐसे लोग पकड़े जाते थे
06:03उनको काशी में ही फांसी दे दी जाती थे
06:05काशी का आम जन्मानस
06:08जो न किसी जात, धर्म, पंथ, मजहब में कोई नहीं बटा था
06:13स्वाधिन्ता अंदोलन में सब ने अपना-पना योगदान दिया
06:16और छोटी जाती से लेकर के बड़ी जाती तक
06:21अगर आप देखेंगे तो सब का
06:23कासी नदेश का बहुत बड़ा योगदान दा
06:25राजाचियत सिंग का बहुत बड़ा योगदान दा
06:55अंग्ति ने अंग्रेजियों की बुनियादें हिला दी कि खून का वह आखिरी कत्रा जो वतन के हिफाजत में गिरे वही दुनिया के सबस्वन
07:02चीज है तो अंग्रेजियों को लगा कि तो बड़ी किरादिकारी किताब है उन्होंने जब करके आक के हवले कर दिया
07:07आज तो कोई असा सहीतकार नहीं हुआ होगा जिसका सहीत के देश के आजादी के लिए चीता पचारी कोई था तमारे लमही से कलम सिपाई प्रेज़न
07:15तो उस समय उस समय पर रादेश्याम चर्मा जी और पंडित पंडित जी का पंडित जी का कोई नाम लेते थे यह लोग उनके चीने लीडर्स थे
07:26कॉंग्रिस के तो उनके नेतित्रों में हिंदु इसी डाले में चंगठन चल दा था का आजादी के लिए तो पिदाई जी उसी के मेंबर थे शुरू से और इसी अपने मित्तरों के साद उनके साद राज नरायन जी पढ़ते थे
07:41प्रभु नरायन से थे तो यह सब लोग का एक गुड़ था गंगाशंका दिक्षित जी का इनका एक उस जमाने में यूवकों का एक गुड़ था तो पिदाई जी उस समय केवल सेंटरल डेलिगेसी का एलेक्शन होता था
07:56तो सेंटरल डेलिगेसी के पिदाई जी प्रभु नरायन सिंग उनके मंत्री रहे तो सन 42 में जब आजात कराने वाली बात हुई और 9 अगस्त को नहरु जी रावी के तट पे लोगों को शपद दिला रहे थे
08:13और पिदाई जी एंफी थीटर मैदान पर मालवी जी की उपर सिथी में वहां के छात्रों को वही शपद दिला रहे थे जो उस समय नहरु जी दिला रहे थे 9 अगस्त को 9 अगस्त सन 42 को उसके बाद 15 अगस्त को यह पूरा होगा कि देश को आजात गोशना कर देनी है उसमे
08:43इनकी ग्रिफ्तादी भी स्टुटेंट लाइफ में पिताई जी हमेशा वह थे गांधी गांधी वादिये गांधी समर्थक थे राजनेराइन जी भी गांधी विचाधाराके थे यह मंडिली अलग थी लेकिन शक्रिनाथ बख्षी वगर इन लोगों से भी इनकी मित्रता थ
09:13नाम नहीं बताए जाता कि कोन आएगा कोन नहीं आएगा उसी में एक बार की बात पिताई जी बताते थे कि चंशेखर राजाद भी जो है वह फराजी के दोड़ा एक रात के लिए आये थे तो नीचे वह बैठक के बगल में एक बुसे वाली कोटी है गाए भैस रहती थी �
09:43जाते थे अस्ची घाट और अस्ची घाट से उदर निकल जाते थे बिलवरिया आज अगबार ने तो शापना ही बंद कर दिया इस्तागित कर दिया तो उस समय पे परार्टर जी यहां पे रहते थे गोल घर के आगे
09:59बुकालभेरो जी के घर के उदर उनका एक निवासिस्तान था तो वहां से वह इस टेंसिल पे लिखते थे और सीता राम नाम से चर्म नाम से लिखते थे समाचार उसमें शहर में होने वाली खबरों को कि फ़रा जगा पुलिस नशाबा मारा फ़रा फ़रा करांदिकारी की �
10:29एक पेज में या दो पेज में कि हैंड डिटर अगबार से आजाती थी तो इस तरीके की जो मशीन हमने आपको दिखाई ये मशीने एक नहीं थी कई एक मशीने थी और कई जगा छपती थी वह तो यह नहीं कि रोज एक ही जगा छपते की तो तुम रख पुलिस को पता लग
10:59पारा नसी से कैमरा परसन मनोज के साथ गोपाल में इटिंग भारा
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