00:00कुवारी लड़कियों को अपनी कटपुतलियां बनाकर उनके साथ खेलने से उस दुष्ट दानव को असीम आनंद की प्राप्ती होती पर जब जब धर्ती पर बुराई ने अपनी सीमा को लांगने की कोशिश की है तब तब उसे खत्म करने के लिए अच्छाई ने जन्म लि
00:30जहरे पर सूर्य सा तेज, आँखों में ज्वाला सी चमक और शरीर पर देवों के देव महादेव के शस्त्र यानि त्रिशूल का चिन्ह था। उसकी ये विशेशताएं उस दिव्य बालिका को किसी भी साधारन कन्या से अलग बना रही थी।
00:43संयोग वश कुछ देर बाद ही उसी राजमहल में एक और कन्या ने जन्म लिया। पर इस बार फर्क ये था कि जन्म देने वाली दासी नहीं बलकि रानी थी। नन्ही किलकारियों से पूरा राजमहल गूंज उठा। हर तरफ खुशी का माहौल था। अरण्यपुर के उप
01:13धीरे धीरे समय अपनी गती के साथ बीतने लगा। दोनों लड़कियां बड़ी होने लगी। हमेशा साथ रहने और हमूम्र होने के कारण राजपुत्री और दासपुत्री दोनों में गहरी मित्रता हो गई। राजा त्रिभुवन पाल लड़कियों को भी लड़के जैसा
01:43पूरे राज महल में शोक की लहर दोड़ गई राजा त्रिभुवन पाल का बुरा हाल था अब चूंकि राजकुमारी रुद्र लेखा भी साथ साल की हो चली थी तो उन्हें भी सब कुछ अच्छे से समझा रहा था वो बेचारी भी मामा पुकारते हुए रोए जा रही थी �
02:13समय गुजरा पर अब भी राजा हमेशा अपनी दिवंगत राणी के बारे में ही सोचता रहता एक दिन मंत्रियों की सलाह से राजा एक वार्शिक सम्मेलन में गया जहां दूर दराज के सभी राजा एकत्रित होते थे उस समारोह में पास के ही राज जिसे राजा त्रिलोच
02:43पिता से राजा त्रिभुवनपाल के बारे में पूछा और कहा कि वो उस से विवाह करना चाहती है।
02:49राजा को जब अपनी पुत्री की इच्छा का पता चला,
02:51तो उसने तुरंत एक हरकारे को विवाह प्रस्ताव संदेश के साथ राजा त्रिभुवन पाल के यहां भेज दिया
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