00:00अध्यक्ष महोदे, मैं आपको धन्यवाद देना चाहती हूँ, कि इस महतवपून मुद्दे पर आपने मुझे बोलने का मुखा दिया, यह अलग बात है कि सत्ता पक्ष के लोग सब मेरे बोलने से पहले ही भाग गाये, आईए आईए, आपको देखे, मैं खुछ थी कि अब
00:30नफसरों को नमन करना चाहती हूँ, जो हमारे देश के रेकिस्तानों में, हमारे देश के घने जंगलों में, बरफीले पहाडियों पे, हमारी देश की रक्षा करते हैं, जो हर पल देश के लिए अपनी जान देने के लिए तैयार रहते हैं,
01:00प्रेडर्स ने कश्मीर पे हमला किया, तब से लेकर अब तक हमारी देश की अखंडता की रक्षा करने में उनका बड़ा योगदान है.
01:11हमारी आजादी अहिम्सा के आंदोलन से हासिल हुई, लेकिन जैसे मैंने कहा, उसको कायम रखने के लिए हमारी सेना का बहुत बड़ा योगदान है.
01:27अध्यक्ष महोदय, कल में सदन में बैठी हुई, सब के भाशन सुन रही थी.
01:38आदर्निय रक्षा मंत्री महोदय ने बोला, सत्ता पक्ष के कई मंत्रियों ने बोला, एक घंटे का रक्षा मंत्री जी का लंबा भाशन था.
01:49सुनते सुनते, एक बात मुझे बहुत खटक रही थी. उसके बात जब दूसरे भाशन भी सुनें आपके, सत्ता पक्ष के, तब भी ये बात बार बार मेरे मन में आ रही थी.
02:04कि सारी बातें कर ली, ओपरिशन सिंदूर की बात कर ली, आतंगवाद की बात कर ली, देश की रक्षा की बात कर ली, इतिहास का पाठ भी पढ़ा दिया, लेकिन एक बात चूट गई.
02:21उस दिन, 22 अपरेल 2025 को, जब 26 देश वासियों को, अपने परिवार के सदस्यों के सामने, खुले आम मारा गया, तो ये हमला कैसे हुआ, क्यूं हुआ?
02:42ये लोग, बैसारन वाली में, पहल गाम के पास, कश्मीर में क्या कर रहे थे, आज कल, पब्लिसिटी का दौर है, प्रचार का जमेना है, कुछ समय से हमारी सरकार ये प्रचार कर रही थी, कि कश्मीर में आतंगवाद खत्म हो गया है,
03:10कि कश्मीर में शांती है, अमन चैन है, प्रधान मंत्री जी ने खूब भाशन दिये, देशवासियों को कहा कि चलिए कश्मीर चलिए, सेर करिये, कई बार मैंने ये भी देखा, मीडिया पर, टीवी पर, कि कश्मीर जाईए, जमीन खरी दिये, अब वहाँ अमन चैन है, शा
03:40और उनके पूरे परिवार ने तै कि वह कश्मीर जाएंगे, शुभम दुवेदी की छे मही ने पहले शादी हुई थी, उसकी पत्नी ने कहा कि उनके बीच एक ऐसा रिष्टा था, प्रेम और दोस्ती का ऐसा रिष्टा था, कि वह एक दूसरे को बच्चों की तरह हसाते थ
04:10एक साथ बैठा हुआ ताश खेल रहा है, और ऐसे हस रहे हैं, ऐसे हस रहे हैं कि उस वीडियो को देख कि किसी का भी दिल टूच जाए, कि इस परिवार को इस तरह से उजड़ने के लिए हमने हैं, बाइस अपरेल दोहजार पच्चीस को, बैसारन वैली में, मौसम का मिजा
04:40सौ लोग वहां पहुचते थे, उसी तरह से, उस दिन भी, तमाम परियाटक वहां पहुचे, वहां का रास्ता असान नहीं है, अध्यक्ष महोदे जी, जंगल से जाना पड़ता है, पहाडों के बीच जाना पड़ता है, घोड़े से जाना पड़ता है, ये परिवार वहां �
05:10तो कोई कश्मीर की सुंदर वादियों की ठंडी हवा का मज़ा ले रहा था।
05:17शुभम अपनी पत्नी के साथ एक स्टॉल पे खड़े थे।
05:22तभी अचानक चार आतंक वादी जंगल में से निकलते हैं और शुभम को वहीं अपनी पत्नी के सामने मार डालते हैं।
05:33उसके बाद वेवां से पूरे वाली में एक घंटे के लिए लोगों को चुन-चुन कर मारते हैं।
06:00घब राकर वहां से भागने की कोशिश करती है, अपनी जान बचाने के लिए जंगल की तरफ दोड़ती है, वहां पता चलता है कि तमाम लोग जंगल की तरफ दोड़े हैं और अपनी जान बचाने की कोशिश कर रहे हैं, कोई अपने बेटे का हाथ पकड़ के पहाडों पर घ
06:30ऐसी शक्ती ने हम को बचा कर रखा कि हमें किसी न किसी तरह से हम अकेले नीचे पहुँचे हैं पर मैं उनके लफ्स पढ़ना चाहती हूं क्योंकि उन्होंने कहा कि इस पूरे समय जब एक घंटे के लिए चुन-चुन कर भारतिय नागरिकों को मारा जा रहा था इस पूरे सम
07:00एक जानिक नहीं नहीं नहीं दिखा शुबं की पत्री ने कहा कोट मैंने अपनी दुनिया को खत्म होते हुए देखा अपनी आखों के सामने एक सेक्यूरिटी गाड नहीं था
07:21मैं ये कह सकती हूँ मैं ये कह सकती हूँ कि देश ने सरकार ने हमें वहां पे अनाथ छोड़ दिया था
07:32सेक्यूरिटी क्यूं नहीं थी वहां वहां पे एक सेनिक क्यूं नहीं दिखा
07:41क्या सरकार को मालुम नहीं था
07:44कि यहां रोज
07:50कि यहां कि पहुंचने के लिए जंगल के रास्ते से जाना पड़ता है अगर कुछ हो जायागा