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  • 2 days ago
बूंदी के कमलेश्वर महादेव मंदिर श्रावण मास में उमड़ती है भक्तों की भीड़. चतुर्दशी को लगता है भव्य मेला.

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00:29This temple was held on the feet of the temple and arranged in the temple.
00:34The 13th century, the 4th of the temple was held on the throne of the temple.
00:41This temple is the temple to give its power to the temple.
00:46This temple was held on the temple of the temple,
00:51and this temple was held on the tomb of the temple.
00:55And this is the 양sir's indwarwhich is darshan, kundsakad sword, kundsakadhoa, pwni peinase,
01:04the old body and the old body is correct.
01:10And 40-40 people are here, the old body, the old body and the old body of both body.
01:17These are the old body and the old body is correct.
01:22उस कश्ट को जून करके यहां तक की लोग कनक डंडोत करते आते हैं, पेदल आते हैं, साधनों से आते हैं, लाखों लोग दर्शन करते हैं और बूंदी जिला ही नहीं, यह आज पास के जितने भी राजस्थान में कमले स्वर का एक अहम स्थान है और अगर इसको पुरा एत्
01:52में स्थान करके लोग अपने अपने रोगों को दूर करते हैं, मंदर से कुझी दूरी पर है दो चमतकारी चलकुन, जहां स्थान करने से दाद, खुझली और चर्म रोगों से राहत मिलती है, श्रधालों का विश्वास है कि अजल खनीच तत्वों से भरपूर है, जो रो�
02:22शेव लोग हैं, सनातनी लोग हैं, इन तो समाज की लोग हैं, भारियास्ता रखते हैं, महादेव का मंदिर कमलेश्वर के नाम से और आडोती में कहें तो कौन जी के नाम से प्रसिद्ध है, इस मंदिर की कई विशेष्टा हैं, जैसे चर्म रोग यहां मिठ जाता है, मनो�
02:52सामनेहवन कौंडे, जो निरंतर प्रज्वलित रहता है, लोग आते हैं, घी, नारियल सब वहां उसमें ओम करते रहते हैं, दूसरा जो है, पास में एक नहाने के लिए जो कौंडे, उसमें लोग कहते हैं, कि गंदक मिस्रित है इसका जल, और उसमें नहाने से लोगों के च
03:22आतोरे में लगवक तीन-चार बार वाँ गया, उसमंदिर के प्राचीर पर जो थोड़ा सा जो ऊपर शिखर से थोड़ा सा नीचे, वो जो इतने प्राचीर जो पत्थर लगें हैं, उनसे तेल निकलता रहता है, और वो लोगों को इस फश्ट दिखाई देता है, मैं जब �
03:52इसको चमतकारी भी कह सकते हैं, चमतकार का तो लोगों ने सुनकर ही वहाँ लाब उठाया है, जाकर लाब उठाया है, अपने आस्ता प्रकट की है, और अंदर शिवलिंग भी बहुत दिवय और भवय है, दर्शन मातर से ही प्रसन्यता और खुशी अंदर से प्रकट होती ह
04:22जिसमें भंडारे, जूले और लोक सांस्कृतिक कारिकरमों की धूम रहती है, लेकिन आस्ता की इस राह में एक बड़ी अर्चन है, रेल्वे का संक्रा अंदर पास, बरसात में पानी भरने से शद्धालों को जान जोखिम में डाल कर रेल ट्रैक पार करना पड़ता है, कमल
04:52ताकि शद्धालों का ये सफर और विसुगम हो सके, एटीवी भारत के लिए भूंदी से रियाजूल हुसैन की रिपोर्ट

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