00:00रक्षा बंधन सिर्फ एक पर्व नहीं भावना है लेकिन महरास्ट की नासिक निवासी एक 73 वर्षिय महिला ने इस्तेवहार को एक नहीं सूच दी है
00:19विमल भावास्माटकर नाम की इस ग्रीन दादी ने बीजों से राखियां बनाई है और वो भी खास तोर पर उन भाईयों के लिए जो सीमाओं पर देश की रक्षा कर रहे हैं
00:29विमल भाई का कहना है कि ये सिर्फ राखी नहीं धर्ती से जुड़ा एक संदेश है
00:35उन्होंने इस साल पच्ची सो ऐसी राखियां बनाई है जो पहनने के बाद जमीन में बोई जा सकती है और उसमें से निकलते हैं पौधे
00:44विमल भास मटकर पिछले पाच वर्षों से परेवर्ण बनाई है
01:14परन संरक्षन में जुटी है अब तक 16,500 कपड़ों के थैले वो बना चुकी है और मुफ्त में बाठ चुकी है अब बीजों से बनी राखियां बनाकर उन्होंने रक्षा बंधन को भी हरियाली से चोड़ दिया है
01:26विमलपाई की बहु शर्मीला वासमाटकर का कहना है माजी इस काम में दिन के 3-4 घंटे देती हैं पूरा परिवार उनकी इस मुहीम में साथ है
01:35इन राखियों में टमाटर, मूली, करेला, नीमबू, फलो समीच सतर से अधिक प्रकार के बीचों का इस्तमाल किया गया है
02:05सतर से अधिक प्रकार के बीजों से बनी ये राखियां एक मिसाल है साधगी, सेवा और संकल्ब की
02:20राखि का ये रूप शायद आपको थोड़ा नया लगे लेकिन यही है असली संदेश रक्षा का सिर्फ भाई की नहीं परिवरन की भी
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