00:00लंकापती, रावन, भगवान, भोले के परम भक्तों में से एक हैं और इस बक्त हम खड़े हैं पिठोरिया छेत्र के रावनेश्वर मंदीर धाम में और इस मंदीर धाम को लेकर धार्मिक और आतिहासिक कई कथाएं प्रचलीत है।
00:16राजधानी राची से करीब 22 किलमेटर दूर उत्तरिस्थित पिठोरिया ना सरिप एतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है बलकि हां स्थीत एक अनुखा शिव मंदीर भी चर्चा में रहता है।
00:46कि पूजा करते हैं।
01:16पिठोरिया का यह शिर्धाम एक धार्मिक स्थल के साथ साथ जारखन के एतिहासिक और स्राश्कतिक पहचान का प्रतिक है।
01:38यह रावन की पूजा नासरी पे कनुठी परमपरा है बलकि यह भी प्रमान है कि भक्ति और स्था में संकिर्णता की कोई जगह नहीं होती।
01:46यही जारखन के आत्मा है।
01:48विधिवत, एकता, इतिहास में आस्था और परमपरा में प्रगर्ति शिलता है।
01:52यह श्तल जारखन के साथ स्कृतिक आत्मा का प्रतित्व करता है।
01:56और देश के सद्धालू को यह संदेश देता है कि सच्ची भक्ति किसी छबी, जात्ती या विचार से बंधी नहीं होती।
02:03वह तो केवल समर्पन और सद्धा से जुड़ी होती है।
02:06रावनेश्वर नाम क्यूं पढ़ा इसका।
02:08देश के कई हिस्सों में रावन का परतिकात्मक दहन होता है, लेकिन भारत में कुछ ऐसे भी स्थान है, जहां उसे पुझ्य माना जाता है।
02:36ये स्थल नाकेबल धार्मेक दिश्टी कोन से, बलकि सांस्कितिक विदिवत के दिश्टी कोन से भी मात्यपपूर्ण है।
02:42और जहारखन के राजधानी राची के पिठोरिया भी इन्हीं छेत्रों में से एक है।
03:06तो उन्हीं के चलते यहां पर रावनेश्वर शीव मंदीर का निर्मान किया गया है।
03:12और यह आज से नहीं हम लोग तो खेर नहीं जानते बहुत पुरान है बहुत प्राचिन मंदीर है।
03:17भगवान भोले का सबसे बड़ा भक्त रावन को माना जाता है।
03:21और राची के इस वक्त जिस जगपरम खड़े है यह एतिहासिक छेत्र पिठोरिया के रावनेश्वर मंदीर धाम है।
03:31ऐसी कथाएं प्रचलित हैं धार्मिक माननताय हैं कि रावन के साथ भगवान सिव का जुड़ाव इस मंदीर के साथ भी है।
03:41और जिसके बज़ से भगवान भोले के पूजा अर्चना के साथ साथ रावन की भी आरधना इस मंदीर प्रांगन में की जाती रही है।