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Nimisha Priya Case: केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन में एक नागरिक की हत्या के मामले में फांसी की सजा सुनाई गई थी, जिसे 16 जुलाई 2025 को लागू किया जाना था। लेकिन ऐन वक्त पर यमन के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस मुहम्मद बिन अमीन शेख के हस्तक्षेप से यह फांसी अस्थायी रूप से टाल दी गई। इस वीडियो में जानिए इस पूरे मामले की पृष्ठभूमि, जज की भूमिका, धार्मिक नेताओं की मध्यस्थता और पीड़ित परिवार की कड़ी प्रतिक्रिया। क्या ब्लड मनी से निमिषा की जान बच सकेगी? देखिए पूरी जानकारी इस स्पेशल रिपोर्ट में।

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~HT.410~PR.250~ED.276~GR.122~GR.124~

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Transcript
00:00यमन के किस जज ने टाली निमिशा की फांसी?
00:05न्याय मूर्ती मुहम्मद बिन अमीन शेक कौन है?
00:11किन शर्तों पर टली सजाय मौत
00:13केरल की रहने वाली नर्स निमिशा प्रियाकू यमन में एक यमनी नागरिक
00:25तलाल अब्दो महदी की हत्या के मामले में 16 जुलाई 2025 को फांसी दी जानी थी
00:32लेकिन अंतिम ख्षणों में इस सजा को अस्थाई रूप से ताल दिया गया
00:37और इस रुकावट के पीछे एक एहम नाम सामने आया
00:41यमन के मुख्य न्याय धीष न्याय मूर्ती मुहम्मद बिन अमीन शेक, यमन के एक प्रमुक प्रांथ के मुख्य न्याय धीष हैं
00:52भारत के प्रसिद्ध मुस्लिम धर्मगुरू कंधापुरम एपी अबूग कर मुसलियार ने जब्यमन के प्रभावशाली सूफी धर्मगुरू हबीब उमर बिन हफीज से अनुरूत किया तो उन्होंने जस्टिस सशेख को इस मामले में मध्यस्था के लिए राजी कर लिया
01:22महदी के भाई ने कोट को फांसी रोकने की अस्थाई सहमती दे दी जिसके बाद न्यायाले ने निमिशा की फांसी पर फिलहाल रोक लगा दी निमिशा प्रियत 2008 में यमन गई और वहाँ एक क्लिनिक खूलने के लिए इस्थानिया नागरिक तलाल महदी को पार्टनर बनाय
01:52जैसे महदी की मौत हो गई फिर शव के टुकडे कर उसे पानी की टंकी में डाल दिया एक महीने बाद निमिशा को पकड़ा गया और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई यमन का कानून कहता है कि हत्या के मामलों में पीडित का परिवार बलड मनी के जरिये माफी दे सकता है न
02:22पोस्ट में लिखा खून खरीदा नहीं जा सकता हमें सर्फ बदला चाहिए हलाकि जस्टिस मुहम्मद विन अमिन शेक की सक्रिया भूमिका से निमिशा को कुछ समय की रहत मिली लेकिन महदी परिवार के कड़े रुक और यमन में भारत से सीमित राजनाईक प्रभाव के का
02:52समय की महलत जैसी है

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