00:00खेत और नीला आसमान हर दिन को खुबसूरत बनाते थे।
00:08दाओं के बीच में एक बला सा पुराना दरख था।
00:12उसी दरख पर कई परिंदों के घुंसले थे।
00:14चुडियां, तोते और खास तोर पर कबूतरों के, काँवाले इस दरख को दोस्ती का दरख कहते थे।
00:22क्योंकि यहа जानवर, परिंदे और इनसान सब एक साथ मिलकर रहते थे
00:28एक दिन एक छूटा सा कबूतर जिसका नाम पीलु था आसमान में उरते हुए नीचे देखा तो एक नन्नी सी गलेरी दरख्त से गर गई थी
00:38पिलू फॉरन नीचे उत्रा और दूसरे जानवरों को आवाज दी
00:43चिको खरगोश टोड़ता हुआ आया
00:45और नर्मी से गाय गोरी की मदद से नन्नी गिलेरी को उसके घोसले में वापस रख दिया
00:51सब परिंदे खुशी से चहकने लगे
00:54और दाओं में खुशी की आवाजे गुंचने लगे
00:57उस दिन के बाद पिलू गाओं का छोटा हीरो बन गया
01:03गाओं के लोग परिंदों को दाना डालने लगे
01:06और जानवरों के लिए भी खास खुराक आई
01:09चराखपुर एक ऐसा गाओं बन गया
01:13जहां परिंदे, जानवर और इनसान मुहबबत और अमन के साथ रहते थे
01:19हर शाम जब सूरज खेतों के पीछे चुपता
01:23पिलू और उसके दोस्त आस्मान में चकर लगाते
01:26और अपनी खुबसूरत दुनिया का जशन मनाते
01:30खेत और नीला आस्मान हर दिन को खुबसूरत बनाते थे
01:40जाओं के बीच में एक बला सा पुराना दरख था
01:44उसी दरख पर कई परिंदों के घुंसले थे
01:47चुडियां, तोते और खास तोर पर कबूतरों के
01:51काँवाले इस दरख को दोस्ती का दरख कहते थे
01:54क्योंके यहां जानवर, परिंदे और इनसान सब एक साथ मिलकर रहते थे
02:01एक दिन एक छूटा सा कबूतर जिसका नाम पीलू था
02:05आस्मान में उरते वे नीचे देखा
02:07तो एक नन्नी सी गलेरी दरख्ट से गर गई थी
02:11पीलू फॉरण नीचे उत्रा और दूसरे जानवरों को आवाज दी
02:16चिको खरगोश टोड़ता हुआ आया
02:18और नर्मी से गाए गोरी की मदद से नन्नी गलेरी को उसके घोसले में वापस रख दिया
02:23सब परिंदे खुशी से चहकने लगे
02:27और दाओं में खुशी की आवाजे गुंचने लगे
02:30उस दिन के बाद पिलू गाओं का छोटा हीरो बन गया
02:36गाओं के लोग परिंदों को दाना डालने लगे
02:39और जानवरों के लिए भी खास खुराक आई
02:41चराखपुर एक ऐसा गाओं बन गया
02:46जहां परिंदे, जानवर और इंसान महबबत और अमन के साथ रहते थे
02:52हर शाम जब सूरज खेतों के पीछे छुपता
02:55पिल्लो और उसके दोस्त आस्मान में चकर लगाते
02:59और अपनी खुबसूरत दुनिया का जशन मनाते
03:02खेत और नीला आस्मान हर दिन को खुबसूरत बनाते थे
03:12दाउं के बीच में एक बला सा पुराना दरख था
03:16उसी दरख पर कई परिंदों के घुणसले थे
03:19चुडियां, तोते और खास तोर पर कबूतरों के
03:23काँवाले इस दरख को दोस्ती का दरख कहते थे
03:26क्योंके यहां जानवर, परिंदे और इनसान सब एक साथ मिलकर रहते थे
03:33एक दिन एक छूटा सा कबूतर जिसका नाम पीलू था
03:37आस्मान में उरते वे नीचे देखा
03:39तो एक नन्नी सी गलेरी दरख्ट से गर गई थी
03:43पीलू फोरण नीचे उतरा और दूसरे जानवरों को आवाज दी
03:48चिको खरगोश टोड़ता हुआ आया और नर्मी से गाय गोरी की मदद से
03:53नन्नी गलेरी को उसके घोसले में वापस रख दिया
03:55सब परिंदे खुशी से चहकने लगे और दाओं में खुशी की आवाजे गुंचने लगे
04:02उस दिन के बाद पिलू गाओं का छोटा हीरो बन गया
04:08गाओं के लोग परिंदों को दाना डालने लगे और जानवरों के लिए भी खास खुराक आई
04:13जराखपुर एक ऐसा गाओं बन गया जहां परिंदे जानवर और इनसान मोहबबत और अमन के साथ रहते थे
04:24हर शाम जब सूरज खेतों के पीछे चुपता पिलू और उसके दोस्त आसमान में चकर लगाते
04:31और अपनी खुबसूरत दुनिया का जशन मनाते