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बेबाक भाषा के Dalit Discourse में आज जिस शख्सियत से मुलाक़ात है वह हैं - डॉ. सीमा माथुर. सीमा माथुर दिल्ली यूनिवर्सिटी के कालिंदी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफ़ेसर हैं, सोशल एक्टिविस्ट हैं, लेखिका व कवि हैं. उनके जीवन और लेखन के बारे में बात कर रहे हैं पत्रकार राज वाल्मीकि.
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00:00नमस्कार दोस्तों मैं हूँ राजवालमी की और आप देख रहे हैं बेबाग भासा बेबाग भासा के दलिट डिस्कोर्स में आपका स्वागत है
00:14आज हम जिस सक्सियस से आपकी मुलाकात करवा रहे हैं उनका नाम है डॉक्टर सीमा माथूर
00:26सीमा जी दिल्ली इंवर्सिटी के कालेंदी कॉलेज में एसोसेट प्रोफेसर हैं
00:33सोसल एक्टिबिस्ट हैं और राइटर और पोईट भी हैं और इसके अलावा भी बहुत कुछ हैं आये सातियों हम लोग उनी से करते हैं बाच्चित
00:43सीमा जी बेबाग भाषा में आपका सागत है जी राजी आपका बहुत बहुत धन्यवाद आपको आपने मुझे बलाया बेबाग भाषा में और मैं सुनती रहती हूं
01:02में लोगों को ज्यादा से ज्यादा मालुम होना चाहिए जानना चाहिए और इसी सिलबसिले में हम
01:08आप से सबसे पहले पूँछना चाहते हैं कि आपके जो बारबारिक प्रेष्ट
01:14हूमी है आपने एक एसो से今 już process तक का सफर तै करने के पीछे क्या-कै
01:23इस्ट्रकल आपके रहे क्योंकि आप अंबट करवादी हैं और अमने करवादियों
01:28का तो एक नाराई है कि हम मेरे लसिसों के आधी है तो आपके
01:34में यहां तक पहुँचने के लिए किस तरह के संगर्स रहे आप हमारे दर्सकों के साथ साज़ा केजिए राजी बहुत-बहुत शुक्रियां आपका इस सवाल के लिए कहां से सुरू करूं मैं जो जीवन यात्रा रही है मेरी क्योंकि आज जब हम मैं अपने आपको पाती हू
02:04जो है वो रहा है लेकिन अगर मैं इसको दलित डिसकोर्स के साथ जोड़ूं कि या अमपीट-करवादी विचार-धरा के साथ जोड़ूं कि जो आज फील है जिस पर हम बात कर पाते हैं बाबासाभ को जानते हैं सावित रबाय फुले को
02:19जानते हैं, जो हमारे आइकन रहे हैं, उनको हम जानते हैं, तो बच्पन में ये सब हम नहीं जानते, क्योंकि मैं एक ऐसे परिवार से आती हूँ, जो बहुत साधारन परिवार रहा, क्योंकि दलित फैमिली, जब दलित को हम बात करते हैं, तो बच्पन में या हम ये कहें कि ह
02:49और पापा जू है वो नोकरी करते थे उस समय लेकिन गाउं में में रहती थी तो यह कहें कि फिप्ट क्लास में
02:58में जो गाउं का प्राइमरी स्कूल होता है ठेट एकडम गाउं में जहांपर हम जो जो जोला होता था
03:16बोरी का जोला सिलके और वो पट्टी लेके हम जाते थे जिससे खड़िया जो है जो आप चौक
03:22जो समझते है ना चौक तो भूँत उसका अप ग्रेड वर्जन है लेकिन जो पहले मोटा-मोटा जो आता था
03:28तो उसको हम उसमें दवात में घोल के और जो कलम जो बनाते थे वो जो सेंटा जिसको बोलते हैं अब सड़के किनारे बहुत होगा होता है तो उसको काटके पैना करके उसको हम करते थे तो उस चीज से मैंने फिप तक जो है वो पढ़ाई करी है सिर्फ एक पट्टी और वो कल
03:58आई तो फिर वो भी सरकारी स्कूली था मेरी जो फ्रूआउट एजूकेशन है वो सरकारी बिद्याले में या कहें कि कॉलेज में या इन्यूरस्टी में हुई है और जादा तर जो है वो फैलोशिप लेके कही है तो अगर मैं कहूं कि मतलब बहुत जादा खर्चा ना परिव
04:28बज़े से मैं पड़ पाई तो जो दलिट डिस्कोर्स है वो उसकी में एक इंट्रेस्टिंग आपको बात बताऊं कि बचपन में गाओं में जब मैं रहती थी तो दादा दादी के में साथी रही हूं और जो एक वर्ड होता है ना उत्रन है ना तो दादा जी जो है वो ज�
04:58और वो मैं बड़े उसको अच्छे से पहनती थी स्कूल जाती थी तो वो मैंने पहना हुआ है सिमा जी इसी क्रम से जुड़ा है कि आप ओल इंडिया दलित महला अधिकार मंच से भी जुड़ी रही है तो उस दोरान आपने जो मनुबादी विवस्ता है जिसमें आप जाती
05:28किस तरह का असर होता है या आपने महसूस किया क्योंकि ओल इंडिया दलित महला अधिकार मंच में इस तरह के केसिज भी आए होंगे आपके सामने तो उसके बारे में आप कुछ बताए जी राजी एक बात मैं ये सबसे कहती हूँ कि जो कुछ भी मैं आज हूँ उसमें NCDHR
05:58मतलब एक proud moment था वो मेरे लिए proud feel करती थी कि मैं उस organization में काम कर रही हूँ तो मुझे दिल्ली chapter मिला था और उस समय जो है वो विमल थोराट और पॉल दिवागर विंसेंट मनुहरन और विल्सन विजबाडा सर के साथ मुलाकात होती कि आपनी जो कहा NCDHR और EDMUM की बात आप
06:28उभर कराई वो वहां से आई और अब आप चाहती है कि आगे जो लड़कियों को आप पढ़ा रही है उनमें भी इस तरह की जाग रुखता हो मैं आपसे इसी से जुड़ा एक सवाल है कि बावा साब अंबेटकर ने संसद में आपको पता हिंदू कोड़ लेकर आये और उन
06:58आता हूं कि जो बाबा साहब की आइडियोलोजी की अभी आप बात कर रहे हैं तो उससे हमारे समाज में जो महलाएं हैं और कास्ट और से मैं दलिक महलाएं और जीवन में किस तरह का बदलाव आता है अगर वो बाबा साहब
07:25अमबिटकर की आइडियोलोजी से रूबरू हो जाती हैं अबगत हो जाती हैं यह किस तरह आप इसको महसूस करते हैं सेच का मैं बात जो है वो खुछ से शुरू करते हूं क्योंकि डॉक्टर बियार अमबिटकर अगर यह नहीं बनाते सम्मिधान नहीं बनाते जिस पर आ�
07:55अब नहीं है जिस दिन सम्मिधान लागू हुआ उसी दिन पहले के सारे जितने लौ थे वो सब रिपील हो गए वो सब खतम हो गए और सम्मिधानी जो है वो प्रायोरिटी तोर पर एक बड़ा सुप्रीम लौ बना जिसके बेसिस पर और बाकी जो है वो कानून आए तो बा
08:25जो अपनी बात कह पा रही है वो बावास सहाब की वजह से क्योंकि उन्होंने समाज में देखा बाकी जो लीडर्स हुए हैं सबने फ्रीडम के लिए फाइट किया कि हमारा देश कैसे आजाद हो बावा सहाब एक अकेले इनसान थे उस समय अकेले व्यक्ति थे जिन्होंने स
08:55एक हिंदू रास्ट की भी विचारधारा चल रही है और अभी आपने गटना सुनी होगी कि पिता-पुत्र गाए अपनी बेटी को देने के लिए ले जा रहे होते हैं तो उनके साथ किस तरह का कुरूर और अमानी भी बहबार किया जाता है उन्हें जालवरों की तरह चलाया �
09:25तो मेरा आपसे सवाल यही इसी से जुड़ा हुआ है कि एक तरफ हमारा संभिदान है जो हमें सारे अधिकार बराबरी का समानता का गरिमा से जीने का अधिकार देता है दूसी और एक हिंदू रास्ट की जो बिशारधारा चल लए है जिसमें RSS वगयरा आप जानती है अच
09:55है एसा आप क्या सोसते है इस वारे में राजी देखिए जो धर्म के नापर जो सबीए चीजे चल रहे हैं धर्म actually क्या है कि आपका जो पत है कि आप कौन से पत पर जाना चारते हैं तो संभिधान को फॉलो करना बावस आपको फॉलो करना वो मेरे लिए धर्म हो सकता है क्य
10:25गरीब महीलाएं सब जो है वो बराबर हैं सब को हक अधिकार लेने की जो है वो आजा दी है हम ऐसे समाज की कल्पना करते हैं लेकिन जो धर्म ये सिखाए कि आप मंदिर में प्रभीश नहीं कर सकते आप
10:40आप स्कूल में नहीं जा सकते, आप स्कूल में मिडे मील बनाने वाली महिला के साथ
10:47डिस्क्रिमिनेशन कर रहे हैं, बच्चे नहीं खा रहे हैं, तो आप बताइए बच्चों के दिमाग में कौन डाल रहा है
10:52कि यह जो है वो दलित कुक है, इसके हाथ का खाना नहीं खाएंगे, वहीं पर कुछ ऐसे एक्जामपल्स होते हैं, जहां पर DM, SDM आते हैं, और वो मिड़े मील चेक करते हैं, और खाते हैं, एक मैसेज देते हैं, कि यह बावा साब का जो कॉंसिट्यूशन है, वो समानता का हा
11:22फैलाते हैं विचारधारा के नाम पर, उस तरब ज़्यादा ध्यान नहीं दे के, हमको सम्मिधान को फॉलो करना चाहिए।
11:52आइसे को ले के, धर्म नहीं पर सब्थ शब्थ रथांने की बात हो रही है, समाज बादी सब्थ रथाने की बात हो रही है तो जो इस तरह की ताकते हैं, यह क्या चाहते हैं?
12:11आप देखिए कि ये पहले नहीं था ये सही बात है कि जब सम्मिधान लागू हुआ था तो उसके बाद ये शब्द जो है वो जोड़े गए थे क्योंकि उस समय समाज को जरूरत थी क्योंकि हमारा सम्मिधान जो बावा साब ने बनाया था वो रिजिड नहीं है और समय के सा�
12:41आप उसको हटाने की बात क्यों नहीं करते है आप उन शब्दों पे बे मतलब की जो बात्चीत है उसको कहीं ने कहीं आप हवा देते हैं और जो हमारी जन्ता है वो अधर मुड़ जाती है जाकर आपको क्लियर करना चाहूंगा कि जो आर्टिकल 17 है डैटिस अगेंस दा अन
13:11तो उसको क्यों हटारना चाहिए वो तो रहना ही चाहिए क्योंकि वो उसी की वज़े से स्वाचत खत्म होगी अभी जैसे हमारे आद सफाई करमचारी आंदुलन को आप जानती है तो उसमें जो मैला प्रिथा के विरुद्ध हमारी जो लड़ाई है तो उसमें क्या है कि हम
13:41लोग हैं जो सत्ता में जो लोग हैं वो इशूज को डाइवर्ट करने के लिए अलग लग तरीके के जो है सगू पे चोड़ते हैं बीच बीच में जैसे समाजवादी शब्ध धर्म निर्पेक्षता शब्ध जो हो हटाना है समिदान से क्योंकि ओरिजिनल नहीं थे ठीक है
14:11कि बजाए आप जो 1987 का SCST कानून है उसको जब रिवाइज किया था 2015 में यह सोच के कि जो एट्रोसिटीज हैं उनकी संख्या कम हो गई होगी लेकिन ताज्यूप की बात है कि वो बढ़ गए उसके नंबर ओफ एट्रोसिटीज बढ़ गए जिसमें जो जूतों की माला पिन
14:4121st century में रहते हुए इतना सारा scientific और technological development करते हुए जो social setup है उसमें हम पीछे जाने की बात कर रहे हैं कि आप किसी भी तरीके से घुमा फिरा के उसी setup में ले जाना चाहते हैं जहांपर जो यह वर्ण ब्यवस्था मौजूद है जहांपर जो हाइरार्कल
15:04हाइरार्कल जो setup है भ्रामन चत्रिया वैश्य और शूद्र और आउट इसकर्ट में जो लोग है उस वर्ण व्यवस्था में हैं ही नहीं है तो हम तो आउटर लोग है जो बावा साब ने भी कहा था कि वी आ नोट पार्ट आप देट सिस्टम तो डिप्रेस्ट क्लास ना ज
15:34और महलाओं के लिए मान भी गरिमा के साथ जीने संबैदानिक अधिकारों के साथ जीने के लिए इस तरह का जो माहौल है इसमें किस तरह की चुनौतियां है और कैसे फेस किया जाना चाहिए आदिखी राजी जब हम दले तीशू और कास्ट डिस्क्रिमिनिशन की बात करते
16:04अगर करते हैं अगर कोई जाडू लगा रहा है सफाई करम्चारी
16:34तो automatically, consciously, unconsciously सब के मुँँ पे हाथ या कपड़ा चला जाता है, है ना, या उससे बच करके निकलते हैं, तो मतलब हम वहाँ पे अपने आपको नॉर्मल फील नहीं कर पाते हैं, तो इसका मतलब क्या है, कि वो कास्ट है, चाहे हम उसको शो कर रहे हैं, या नहीं कर रहे हैं, इन
17:04मास्टर्स हो गई, मास्टर्स में मिशन हो गया, तो क्यों लगे आपको, क्या रहे हैं, क्रेजुएशन के बाद में बीएड करना चाहरी थी, क्योंकि हमारे माइन में समय डाल दिया जाता है, कि टीचिंग का कोर्स कर लोगे, तो जल्दी नोकरी लग जाएगी, तो वही मे
17:34तो नहीं हुआ, तो मैंने साइमल्टिनेसली में में डाल दिया था, तो में मैं मिशन ले लिया, फिर उसके बाद सेकेंड एर में में आ गई, तो इधर फिर से मैंने दिया, कि ड्रॉप ले लूँगी, यहां कर लूँगी, तब भी नहीं हुआ, तो लकीली, जब फाइनल �
18:04उसमें हुआ, तो और उसी के साथ ही मैंने जो है, हैं, एमफिल, हां, एमफिल के लिए मैंने टेस्ट दिया, तो एमफिल में मेरा रिटन में हो गया, इंटर्व्यू के लिए जब मैं गई, तो मेरा बहुत अच्छा हुआ था, और मैं लें अंदर पूच ने गई, कि मेरा,
18:34मेरा करना है तुमको सैंति करें, तो सकूल करम से लग जाओगीॹ।
19:01तो मैंने का क्यों मैं higher education के लिए कर रहे हूं तो आपको B8 से क्या मतलब है
19:06तो आप यह देखिए कि जो higher post पे बैठे हैं वो आपके प्रति किस तरह की मानसिक्ता रखते हैं
19:14उन्हें पता था कि आप दलित हैं यह जातिवादी मानसिक्ता
19:18कि आपको यह सब कर नहीं हुआ है तो कोई बात नहीं मत करो तुम्हारी तो नोक्री लग जाएगी
19:22सीमा जी तोड़ा आप से क्यूंकि आपने इतनी पड़ाई लिखाई कि और काफी आप active रहे हैं लेखन में
19:29कई आपने रिसर्च पेपर भी लिखे हैं तो क्या कुछ ऐसी उपलब्धियां आपकी रही है कोई अवार्ड वेगारा मिला हो तो आप सेयल कर सकते हैं
19:39जी मुझे 2020 में 2020 में नारी शक्ती excellence अवार्ड मिला था और यह जो अलग अलग platform
19:50space social organizations के थ्रू जो दलित महिलाओं के लिए में काम करने की कोशिच करती रहती है उनके upliftment के लिए उसके लिए दिया गया था उसके बाद 2022 में
20:00सावित्री भाई फुले अवार मिलादा राजिस्थान में क्यूंकि आप लेखी का हैं कवित्री हैं तो एक सवाल तो साहित से
20:08था चाथए �पर लेट्री हैं और उसके बाद हम आपकी कुछ कव्ता सुनेंगे वही यह जानना चाहत हूं कि जो
20:27अब किस तरह देखती है क्या दलिश साहित सो कॉल सबरनों की दलितों की मांसिता बदलने में कोई भूमी का निवाता है आज आपने ब्रुकुल सही सवाल उठाया है क्योंकि आप जो है आप हामलों कह रहे हैं उसको दलिश साहित नहीं तो इस पर एक डिस्कॉर्स रहा है अ�
20:57साइट की बात करते हैं तो हमारे खुद के समाज के लोग जो है चाहे वो उम्प्रकाश बालमिकी हो चाहे वो बेचेंजी हो और नैमिशराय जी हो या बहुत सारे लोग है यह तो अभी के कॉंटेक्स्ट में है नहीं तो आप जो है तो महिलाएं भी है उनकी अगरा बार शु
21:27अनिता भारती है तो इन सबसे जो है वो मुलाकात होती रहती है और इनसे निरंतर में सीखने का प्रयाज कर रहे हूं तो जब हम बात करते हैं टांग भोरे जी का जो बुक है वो पित्र सत्ता पर बहुत बड़ा बहुत कुठारा गात जी आत्म कता है तो मुझे जो है लि�
21:57तो मुझे वो पड़ने का मौगा मिला उनके साथ जो है तब मुझे यह आ अनुभब हुआ के हाँ यह जो आत्म कताएं हैं कहीं न कहीं मेरी खुद की जीवन की कताएं हैं
22:11जब जूटन को हम पढ़ते हैं तो सच में कहीं न कहीं वो हर किसी ने फिल किया होता है या मुर्धाया को आप देख लीजिए तुलसी राम जी की तो इन सबसे इंटरेक्शन मुझे NCDHR में हुआ और अभी मुझे मौका मिला है आपने सुना होगा दलिट लिटरिचर फेस्�
22:41दो लिटरिचर फेस्ट थे वो KMC में हुए थे करोडी मल कॉलेज में दिल्ली इनिवर्सिटी के और ये लास्ट थर्ड और फोर्थ आरे भट कॉलेज में हुआ था तो आप ये देखे कि पूरे देश्ट दुनिया से लोग वहां पर आते हैं और ये हमने एक लिगेसी बना
23:11ये जरूरी भी है जो ये साहित्य की जो यात्रा है वो कहीं न कहीं हर किसी के जीवन से जुड़ी है और समाज में एक नई चेतना पैदा करती है क्योंकि हमने जैसे उनका एक अंटेचेबल जो है वो मुलकराज आनंद का जो है वो सबसे पहले अगर लिटरेचर की बात करत
23:41मुटन को पड़े है आपको एकदम साफ साफ डिफरेंस जो है वो पता चलेगा कि रियल में तो जो हमारे अपने अनुभव हैं हमारे खुद की अपनी जीवन की यात्राएं हैं जो बहुत बारिकियों से बाहर जो है वो रखी गई है कि किस तरह की परिशानियों का हम कहें �
24:11बाइकोट की वो चल रहे हैं जिसको हम सह रहे हैं उसको इस समाज से निकालने की जरूरत है और वो तब होगा जब हम बाबा साथ की सम्मिधान को अच्छर सहा फॉलो करेंगे जी बहुत धन्यवाद सीमा जी और दोस्तों अभी आपने सुना डॉक्टर सीमा माथूर को ले
24:41यह मेरी बुक है जंग जारी है तो यह खुद के experience समाज में क्या हो रहा है उस related जो है वो कविताएं हैं तो आप भी पढ़ सकते हैं तो चलिए मैं सुनाती हूँ आपको मेरी कविता आख की किरक्री आख की किरक्री बन जाती हैं वे लड़कियां जो कर देती हैं खिलाफत �
25:11आख की किरक्री बन जाती हैं वे लड़कियां जो दाग देती हैं पुरुषवादी सोच पर सवालिया निशान और पूछ लेती हैं गलत बाद पर तुमसे सवाद
25:25आख की किरक्री बन जाती हैं वे लड़कियां जो उधेर देती हैं सदियों से सिले अपने ओठों की सीवन
25:36कर देती हैं विरोध अपने अपमान और तिरसकार का
25:41आख की किरकिरी बन जाती हैं वे लड़कियां जो कर देती हैं चुपचप तुम्हारी बात मानने से इनकार
25:51समजदार होती अपने हकों की बात करती हैं लड़कियां हाँ मुझे पसंद हैं आख की किरकिरी बनती हैं लड़कियां
26:03ये कविता जो हात्रस गैंग रेप हुआ था उसका हम लोग ने फैक्ट फाइनिंग किया था तो उसी पर ये लिखी गई कविता है कविता का शीर्शक है हैवानियत
26:13आज एक बार फिर हो गई मानवता शर्मशार हो गई इंसानियत की इज़्जत तार तार हार गई वह जिन्दगी की जंग एक बार फिर क्योंकि की थी कोशिश उसने भागने की उन इंसानी दलितों के चुंगल से
26:36काट दी गई उसकी जुबान क्योंकि की थी कोशिश उसने बोलने की
26:44उन इंसानी भेडियों के खिलाफ तोड़ दी गई थी हड्डियां गर्दन की क्योंकि की थी कोशिश उसने सिर उठाने की उन इंसानी हैवानों के खिलाफ
27:00लिखी नहीं गई रिपोर्ट जुर्म की सही धाराओं के साथ
27:07मिटाने को सभी सबूत हैवानियत के रातों रात कर दिया गया उसका दाहा संसकार
27:15और एक बार फिर हो गई मानवता शर्म साथ
27:20अब क्योंकि हम सब के हाथ में जो कलम है जो हमारी आवाज है वो बावा साहब की देन है
27:30तो उसी पर एक जोश भरती होई मेरी कविता है और मैं खुद को भी ये बोलती हूँ
27:36सारी महिलाओं को ये बोलती हूँ कि हम सब को अब चुपचाप नहीं बैठना है बोलना है
27:41तो कविता का शीर्शक है बोलना है मुझे
27:44नहीं बैटना है मुझे अब चुपचाप
27:47कहना है, सुनना है
27:50सीखना है और सीख कर बोलना है
27:54सदियों से चली आ रही
27:56तुमारी चुप रहने की प्रथा के खिलाफ
27:59परंपराओं के नाम पर अंदर डर भरने के खिलाफ
28:04वर्ण और जाती आधारित भेदभाव और अत्याचार की मानसिकता के खिलाफ
28:12हाँ, बोलना है मुझे हर उस बात काम और तरीके के खिलाफ
28:19जो बनाकर रखना चाहते हैं हमें जिंदगी भर गुलाम
28:24हाँ, बोलना है मुझे क्योंकि अब मैंने बोलना सीख लिया है
28:30क्योंकि अब मैंने बोलना सीख लिया है
28:33धन्यवाद

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