Skip to playerSkip to main content
  • 3 months ago
शरीर ही ब्रह्माण्ड –अन्न ही सप्तलोक

Category

🗞
News
Transcript
00:00नमस्कार आईए आज आपको सुनाते हैं राजस्थान पत्रिका के प्रधान संपादर डॉक्टर गुलाब को ठारी का शरीर ही ब्रह्मभान्द शृंट्रला में पत्रिकायन में प्रकाशितालिक जिसका शीर्शक है अन्न में सब्त लोक
00:15सृष्टी निर्मान का अधार अगनी की चिती है इसे ही शास्त्र की परिभाशा में अगनी चयन कहा जाता है सोम पदार्थ रूप है यह अगनी के साथ जुड़कर नया निर्मान करता है जो कुछ निर्मान दिखाई देता है यह सारा जो विश्व रूप है अगनी रूप है
00:45
01:15सब्द जिती लक्षन चयन से यह स्वरूप बनता है
01:19अगनी में जब अशनाया मुमुक्षा धर्म जन्म ले लिता है
01:22उस अगनी को ही रुद्र कहते हैं
01:25एक-एक बीजांकुर में यह प्राणागनी अशनाया द्वारा बाहर से अपने लिए अनलाती है
01:31रुद्रागनी शांत हो जाती है
01:33जागरुक रुद्र अगनी को इसके न्योक सखा सोम ही उप्षांत करते हैं
01:39इसी यग्या से मानव की स्वरूप रक्षा होती है
01:41प्रक्रिया बार-बार होने से सब प्रानात्मक पिंड अभिविद्धी खाप्त करते हैं
01:47यही अगनी चयन है फिर भूख फिर अन यग्याहुती रूप सोमान को दधी घृत मधु अम्रित इन चार भागों में बाढ़ता है
01:55इन चार रसों के कारण ही अन मानवी रुद्रागनी का अन होता है
02:00कच्चा अन मानव का अन नहीं बनता
02:03दूधिया अन जब खेत में पकने लगता है
02:06दूध जब दही बन जाता है
02:08जिसमें चारों की मात्राइं विध्यमान रहती हैं
02:11वही पकाधान अन बनता है
02:13दधिभाग पार्थी द्रव्य है
02:15व्रित आंतिरिक्ष्य है
02:16मधु का चांदल नाणी के द्वारा
02:18भरनी नक्षत्र में वर्षन होता है
02:21सूर्य जब भरनी नक्षत्र पर आते हैं
02:24तब प्रान अत्मी का मधु मात्रा का वर्षन होता है
02:26यही मधु मास है
02:28अम्रित भाग प्रान रूपरस है
02:30यह परमेष्ठी लोग से आता है
02:33इसी सोम रस से मन का पोशन होता है, जिस अन से यहां अम्रित भाग निकल जाता है, वह रुचिपूर्ण नहीं रहता, यात याम अर्थात एक पहर से जादा पुराना, बासी ठंडा अन इस सोम मात्रा से विहीन हो जाता है, वायव्य इंद्र इसका पान कर जाते हैं,
02:52सोम गो माता के दूद में ही अपने मूल स्वरूप में रहता है, गो की मूल प्रतिष्ठा गो प्रान है, इसके साथ रुद्र वसु आदित्य की प्रान शक्तियों का घनिष्ट संबंद है, अतह इस दूद में जीवनिय रसात्मक पारमेश्ठय अम्रित सोम प्रभूत मात्रा
03:22इस गोब अशुको रुद्रों की माता वसु की गन्या आदित्यों की बहन कहा है, अधिती रूपा है, यह अम्रित सोम का केंडर है, ज्यान और कर्म, दो ही मानव स्वरूप बनते हैं, राम्मन और गव इनके प्रतिक हैं, इनके साथ ही राष्ट्र की ज्यान शक्ति एवं �
03:52स्वसात्यानाम अम्रितस्यनाभी ही प्रनु वोचम चिकी तुशे जनायमा गाम नागाम अरितिम वधिष्ठ लिगवेद 8.101.15 शंकर के संगीत से पिखलकर शेश शाई विष्णु गंगा रूप में अवतरित हुएं, इस पौरानिक आख्यान में अध्यात्म, अधिदै�
04:22अम्रित तर्थुपन ही अन्न की चतुर्विद व्याख्या की गई है, अन्न मयम की सौम्य मनह यहीं बंध मोक्ष का कारण है, अन्न दोश्च से यग्यस्वरू गुदूशित हो जाता है, इसमें मानव के अव्यक्त महद आदी पर्वु विष्व के वयंभू परमेष्ठी
04:52कण है, जिसमें केंद्र में ब्रम है, ब्रम सोम है, रित है, निराकार है, अकरता है, अगनी के सखा भाव से सत्य रूप लेता है, यहीं विवर्थ है, हर विवर्थ में संपूर्ण सृष्टी रहती है, अव्यकेंद्र पिता है, परीधी माता है, मध्य में यजु कुरुष
05:23Yes,
05:25yes,
05:33Yes,
05:35yes,
05:41Yes,
05:43Yes,
05:46Yes,
05:49Right,
05:52श्रीड में व्याफ्ट शुक्र ही वाक्षुक्र है, अन्र के माथिम से ही स्वैम्भू, परमेष्ठी, सूर्य के अंशी ही मानव शुरीर में पहुचते ही, यहां सदेव शुक्रम रूप में ब्रह्भ का शुक्र बनते हैं, गौर्ट पाटिगल का इस्थूल रूप है, रि�
06:22अन्र की वाक्षित करते हैं, माता पिता के अंश के साथ ही शुक्र अधुगती करता हुआ, शुनित में आखुथ होने इस्त्री शरीर में प्रवेश कर जाता है, यहां से आगे, शक्ति रूप प्रप्रति बनकर संतान की देह का निर्मान करती है,
06:43Finally the
06:52movement."
07:01Shandamishnu Indra Agmi Somhi Charki Kalai Kramishar Pran Avaak An Nag Anbanti
07:07Hain Istri Purushka Shari Vhi Ek Dusharai Ka An An Hei HoTae Hain Sarvamidham Anadam Sarvamidham Annam
07:14An An Hei Maa Hai Pantin Hai Brahma Hai Maa Lakshmi Hai Prithvi Hai An Hai
07:20Nabhi Kirvara Garb Nal Se Swayam K An Se Garbhastha Shishu ka Pao Shand Kalitai
07:26Because all the people who are living in the same way, the person who is living in the same way is the same.
07:32Selfish degree centigrade is the same.
07:36The day is the Jeevatma's Prakritik-Akhrati.
07:39The Jeevatma's Ahenkrati and Prakriti Rooq Rheathah.
07:43Pran-Rooq-Nirakar Dehah Me
07:46Brahma, Ishwar, Jeeva, Sambhi, Pran-Rooq-Nirakar are
07:49Brahma-Áalamban, Ishwar-Sakshi, Dwasupanna, Tathajeevatma, Mata-Pita's family, and the mother's family?
07:57In the parents' father, our parents, the mother's family and the mother's family.
08:01The child is the same, the Charter-Rooq Rit Rooq-Nirakar.
08:05The Jeevatma pran-Praan-Silhti, Laxmi-Sar-Haswati Rooq-Avinaabhav is the same.
Be the first to comment
Add your comment

Recommended

4:30
2:27
Sakal
4 years ago